हिंदी की मशहूर लेखिका कृष्णा सोबती का निधन हो गया है। दिल्ली में 94 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली। सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कृष्णा सोबती के निधन से सात्य जगत में शोक की लहर है।
वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने अपने फेसबुक पोस्ट में कृष्णा सोबती के निधन की जानकारी देते हुए बताया कि वे अभी कुछ दिन पहले ही उनसे मिलने गए थे। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा, “हिन्दी की शिखर-गद्यकार, अन्याय के विरुद्ध सदा एक सशक्त आवाज कृष्णा सोबती सुबह नहीं रहीं। हाल में जब उनसे अस्पताल में मिलकर आया, बोली थीं कि आज ‘चैस्ट’ में दर्द उठा है। हालांकि तब भी देश के हालात पर अपनी व्यथा जाहिर करती रहीं। हम ही उन्हें छोड़कर उठे। कहते हुए कि दर्द ठीक हो जाएगा। आपको सौ साल पूरे करने हैं। उस दशा में भी वे मुस्कुरा दी थीं। जबकि सचाई हम सबके कहीं करीब ही थी। शायद यही सोच मैंने कुछ तसवीरें लीं। शायद उनकी आखिरी छवियां।”
Published: 25 Jan 2019, 11:05 AM IST
कृष्णा सोबती हिंदी जगत की उन चंद लेखिकाओं में शूमार थीं, जिन्हें साहित्य जगत के तमाम बड़े सम्मानों सम्मानित किया जा चुका था। उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान ज्ञानपीठ पुरस्कार वर्ष 2017 से नवाजा जा चुका था। कृष्णा सोबती को 1980 में साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1996 में साहित्य अकादमी अध्येतावृत्ति से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा कृष्णा सोबती को पद्मभूषण, व्यास सम्मान, शलाका सम्मान से भी नवाजा गया था।
18 फरवरी, 1924 को गुजरात (वर्तमान पाकिस्तान) में कृष्णा सोबती का जन्म हुआ था। साहसपूर्ण रचनात्मक अभिव्यक्ति के लिए वे जानी जाती थी। उनके रचनाकर्म में निर्भिकता, खुलापन और भाषागत प्रयोगशीलता स्पष्ट परिलक्षित होती थी।
Published: 25 Jan 2019, 11:05 AM IST
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Published: 25 Jan 2019, 11:05 AM IST