हिंडनबर्ग ने रविवार शाम सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच और उनके पति पर नए सवाल उठाए। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए हिंडनबर्ग ने कहा कि सेबी में रहते हुए ही माधबी बुच विदेशी फंड से जुड़ी थीं। हिंडनबर्ग ने कहा है कि माधबी के जवाब से इस बात की तस्दीक होती है कि उनका बरमूडा/मॉरीशस के फंड में निवेश था और इस फंड का पैसा गौतम अडानी के भाई विनोद अडाणी ने इस्तेमाल किया। हिंडनबर्ग ने कहा है कि यह फंड उनके पति के बचपन के दोस्त चलाते थे, जो उस समय अडाणी समूह में डायरेक्टर थे।
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हिंडनबर्ग ने आगे कहा है कि सेबी को अडाणी से जुड़े निवेश फंड की जांच का जिम्मा दिया गया था, जिसमें माधबी के व्यक्तिगत निवेश वाले फंड भी शामिल थे। यह सीधे-सीधे हितों के बड़े टकराव का स्पष्ट मामला है।
बता दें कि माधबी बुच ने दावा किया है कि वे 2017 में सेबी में नियुक्ति होते ही दोनों कंल्सटिंग कंपनियों से हट गई थीं। हिंडनबर्ग का दावा है कि लेकिन मार्च 2024 की शेयरहोल्डिंग बताती है कि अगोरा एडवायजरी (इंडिया) में माधबी की 99 फीसदी हिस्सेदारी है। यह कंपनी अब भी कमाई कर रही है।
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हिंडनबर्ग के मुताबिक अगोरा पार्टनर्स सिंगापुर में माधबी की 16 मार्च 2022 तक 100 फीसदी हिस्सेदारी थी, यानी सेबी में पूर्णकालिक सदस्य रहते समय तक। अमेरिकी कंपनी कहती है कि माधबी बुच ने सेबी चेयरपर्सन बनने के दो हफ्ते बाद अपने शेयर पति के नाम पर ट्रांसफर किए थे।
हिंडनबर्ग के मुताबिक अगोरा एडवायजरी ने वित्त वर्षों (22,23, 24) में 2.3 करोड़ रुपए राजस्व कमाया, जबकि इस दौरान वे सेबी की चेयरपर्सन रहीं। यहां महत्वपूर्ण है कि बुच ने सेबी का पूर्णकालिक सदस्य रहते हुए अपने निजी ई-मेल आईडी से अपने पति के नाम का इस्तेमाल कर बिजनेस किया।
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हिंडनबर्ग ने सवाल उठाया है कि सेबी अध्यक्ष ने अपने आधिकारिक पद पर रहते हुए अपने पति के माध्यम से और क्या-क्या निवेश या व्यापारिक सौदे किए होंगे। हिंडनबर्ग ने बुच से सिंगापुर और भारतीय कंसल्टिंग फर्मों के साथ-साथ किसी भी अन्य संस्था के माध्यम से कंसल्टिंग ग्राहकों की पूरी सूची और उनसे जुड़ाव का ब्योरा जारी करने का आग्रह किया, जिसमें वह या उनके पति शामिल हो सकते हैं। अमेरिकी फर्म ने बुच के "पूर्ण पारदर्शिता के प्रति प्रतिबद्धता" के वादे का हवाला देते हुए इन मुद्दों की पूरी, पारदर्शी और सार्वजनिक जांच की भी मांग की।
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