हिमाचल प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के पहले दिन मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रदेश में आई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए सरकार का संकल्प प्रस्तुत कर दिया। उन्होंने मांग की कि गुजराज के भुज और केदारनाथ त्रासदी की तर्ज पर केंद्र सरकार हिमाचल की मदद करे।
सीएम सुक्खू ने कहा कि भयावह आपदा में कई घर उजड़ गए। कई परिवार दब कर रह गए। 441 लोग इस आपदा का शिकार हो गए। लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस प्रस्ताव को समर्थन देने से इंकार कर दिया। शब्दों का जाल बुनते हुए उन्होंने कहा कि इस प्रस्ताव को इस रूप में वह समर्थन नहीं करेंगे।
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हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र का आगाज प्राकृतिक आपदा में प्रभावित परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करने के साथ हुआ। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल में आई इस भीषण तबाही का दर्द बयां करते हुए केंद्र सरकार से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की। उन्होंने इस बाबत विस में सरकारी संकल्प प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि जान गंवाने वाले 441 लोगों के परिवारों से वह शोक व्यक्त करते हैं।
वहीं नेता विरोधी दल जयराम ठाकुर ने भी इस बात को स्वीकार किया कि हिमाचल के इतिहास में इस तरह की आपदा का यह पहला अवसर है। उन्होंने कहा कि हिमाचल का हर व्यक्ति इस पीड़ा को महसूस कर रहा है, लेकिन आश्चर्य इस बात पर हुआ जब बीजेपी अगले ही पल अपने सियासी एजेंडे पर आ गई। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार बीजेपी के काम रोको प्रस्ताव पर चर्चा की मांग करने लगे। स्पीकर कुलदीप पठानिया ने कहा कि नियम 102 के तहत सरकार के संकल्प की उन्होंने इजाजत दे रखी है। बीजेपी का प्रस्ताव समान विषय का होने के कारण उन्होंने स्वीकार नहीं किया है। सदन यदि चाहे तो वह सभी कार्य रोक कर इस पर चर्चा आरंभ करवा सकते हैं, जिसे कल तक भी जारी रखा जा सकता है। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार के प्रस्ताव की मंशा कुछ और है। जयराम ठाकुर नियम 67 के तहत चर्चा चाह रहे थे। इस पर संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान ने कहा कि यह विषय राजनीति से हटकर है। आपका इश्यू राजनीति से प्रेरित है।
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बीजेपी ने अखबारों में चर्चा और वाकआउट के लिए काम रोको प्रस्ताव दिया है। अपना एजेंडा छोड़कर आप चाहें तो नियम 102 के तहत चर्चा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि आपदा के दौरान सुक्खू सरकार के प्रयासों की नीति आयोग, वर्ल्ड बैंक और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार तक ने प्रशंसा की है। स्पीकर ने जब सभी विषय रोक कर नियम 102 के तहत सरकार से चर्चा शुरू करने के लिए कहा तो बीजेपी विधायक नारे लगाने लगे, लेकिन सीएम सुक्खू ने सरकार का संकल्प पढ़ना शुरू कर दिया। इस बीच बीजेपी विधायक वाकआउट कर गए।
इस पर सीएम ने कहा कि आपदा के वक्त जब लोगों को मदद की जरूरत थी तब बीजेपी मानसून सत्र बुलाने की मांग कर रही थी। अब जब सत्र बुलाया है तो यह चर्चा नहीं करना चाहते। अखबारों की सुर्खियों के लिए विपक्ष की नौटंकी से प्रदेश का भला नहीं होने वाला। सीएम ने कहा कि 7 से 11 अगस्त तक जब प्रदेश में भारी बारिश हुई तो राज्य के सामने बड़ी चुनौती थी। हमने दिन-रात मेहनत कर कुल्लू–मनाली में लोगों की मदद की। 75000 पर्यटकों को दिन-रात एक कर निकाला गया। 15000 गाडि़यां निकाली गईं। चंद्रताल में 295 पर्यटक फंसे थे। कई फिट वहां बर्फ थी। 1 दिन के भीतर यदि उन्हें वहां से नहीं निकाला जाता तो कुछ भी हो सकता था। हालात ऐसे थे कि एयरफोर्स के पायलट तक ने असमर्थता जता दी थी। सीएम ने कहा कि इन विकट परिस्थितियों में हमारे दो विधायकों संजय अवस्थी और कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने मोर्चा संभाला। जेसीबी में बैठकर रात 2 बजे तक बर्फ वहां से हटाई गई। फिर इन 295 पर्यटकों को वहां से निकाला गया।
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सीएम ने कहा कि विपक्ष राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए अब वाकआउट कर रहा है, लेकिन जनता सब जानती है। सीएम ने कहा कि बच्चों ने अपनी गुल्लक तोड़कर, कांग्रेस के विधायकों ने एक माह की सैलरी देकर और सरकारी कर्मचारियों ने एक माह की सैलरी देकर मदद की है। यहां तक कि तमिलनाडु से लेकर कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और बिहार तक की सरकारों ने इस आपदा में हिमाचल की मदद की है। एक पेंशनधारक ने अपनी 11 लाख की एफडी तुड़वाकर सरकार को पूरा पैसा दे दिया और बीजेपी राजनीति कर रही है। सीएम ने जब बीजेपी विधायकों से भी एक माह की सैलरी देने की अपील की तो आश्चर्यजनक रूप से जयराम ठाकुर कहने लगे कि हम भी कल दे देंगे। लेकिन सवाल यह था कि अभी तक बीजेपी के विधायकों ने ऐसा क्यों नहीं किया। सुक्खू ने कहा कि पहली बार हमने आपदा से प्रभावित परिवारों को गांवों में 5000 रुपये और शहरों में 10000 रुपये मकान का किराया देने का प्रावधान किया है। हमने गैस सिलेंडर से लेकर अनाज तक देने की व्यवस्था प्रभावित परिवारों के लिए की है। हम लोगों के लिए विशेष पैकेज भी लाएंगे। केंद्र से राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग हमने की है, जिसमें बीजेपी के विधायक भी हमारी मदद करें। आधा घंटे बाद जब बीजेपी के विधायक सदन में वापस आए तो जयराम ठाकुर फिर बोलने के लिए खड़े हुए। वह फिर नियम 67 के तहत चर्चा की बात करने लगे।
जयराम ठाकुर ने सरकार पर आरोप लगाया कि बारिश से पहले आपदा प्रबंधन की बैठक भी सरकार ने नहीं की, जिसका मुख्यमंत्री ने विरोध किया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार से ज्यादा बैठकें उन्होंने की हैं। जयराम ठाकुर के राज्य की मदद के लिए 3 बार दिल्ली तक जाने की बात कहने पर सीएम ने केंद्र से अभी तक किसी भी तरह की मदद मिलने की बात को नकार दिया। सीएम ने तंज कसते हुए कहा कि या तो यह तैयारी के साथ विस नहीं आए या यह चुनाव में हैं। 315 करोड़ तो केंद्र ने 2021-22 का पिछली सरकार के समय का ही टैक्स का हमारा नहीं दिया। सीएम ने कहा कि केंद्र ने जो भी अब तक हमें मदद के नाम पर दिया है वह हर राज्य को प्रत्येक वर्ष मिलने वाली सहायता राशि की किश्त है, जो हमारा अधिकार है। 2000 करोड़ हमने केंद्र से देने की मांग की थी, लेकिन मिला कुछ नहीं। सीएम ने कहा कि हमने आंशिक रूप से डैमेज हुए घर को मिलने वाली 10000 रुपये की राशि को 10 गुना बढ़ाकर 1 लाख किया है। साथ ही जिनका मकान नष्ट हुआ है। जिनका पशु धन पूरी तरह नष्ट हुआ है। रिलीफ पैकेज में सभी की भरपाई सरकार करेगी। सीएम ने जयराम ठाकुर से कहा कि केंद्र से राष्ट्रीय आपदा घोषित करवाने के लिए हमारे साथ दिल्ली चलिए। हमारे साथ नहीं चलना चाहते हो तो खुद ही दिल्ली चले जाओ। हमारा साथ तो दो। इस पर जयराम ठाकुर यूपीए-1 और यूपीए-2 की बात करने लगे। वह कहने लगे कि केंद्र ने हेलीकॉप्टर रेस्क्यू के लिए भेजा। एनडीआरएफ भेजी। लेकिन अनजाने में ही सही उन्होंने एक तरह से यह मान लिया कि केंद्र से मदद के नाम पर कुछ नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि 180-180 करोड़ जो नवंबर-दिसंबर के बाद मिलने थे वह पैसा केंद्र ने एडवांस में दिया है, जिस पर कांग्रेस के विधायकों ने कहा कि वह तो हमारा हक है। वह कहने लगे कि 190 करोड़ केंद्र से और मिला है। एनडीआरएफ के तहत 200 करोड़ मिला। यह मदद नहीं तो और क्या है। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को हिमाचल लाने का श्रेय भी जयराम ठाकुर लेने लगे। साथ ही प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत मिलने वाले पैसे का क्रेडिट भी वह लेने लगे, जिसका जवाब पीडब्ल्यूडी मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने दिया।
विक्रमादित्य ने कहा कि पीजीएसवाई का पैसा प्रक्रिया के तहत आया है। इसे आप आपदा में मदद के तौर पर कैसे जोड़ सकते हैं। आपने तो इसे जानबूझकर डिले करवाया। अपनी राजनीति चमकाने और सरकार को नीचा दिखाने के लिए आप यह कर रहे हैं। सबसे अधिक आश्चर्य तब हुआ जब जयराम ठाकुर ने यह कहते हुए कि किसी प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने का प्रावधान नहीं है, वह कहने लगे कि सरकार अपने प्रस्ताव में सुधार करे तो वह इसे समर्थन देने के लिए तैयार हैं। सरकार इसमें राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की जगह और केंद्रीय मदद की देने की मांग करे तो वह इसे समर्थन देंगे। जयराम ठाकुर की यह बात हैरान करने वाली थी। सीएम ने जवाब दिया कि केंद्र अगर हमें मदद नहीं भी देता है तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम लोगों की मदद नहीं करेंगे। हम अपने संशाधनों से लोगों की मदद करेंगे। इसके साथ ही सीएम ने 26 तारीख को विशेष राहत पैकेज देने का ऐलान भी कर दिया।
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