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हिमाचल प्रदेश चुनाव से पहले बीजेपी के सामने चुनौतियों का पहाड़! पार्टी के लिए मुसीबत बने बागी नेता

बीजेपी के 14 नेताओं ने नामांकन दाखिल कर खुली बगावत कर दी है। इनमें कई ऐसे नेता भी हैं जो आरएसएस से लंबे समय से जुड़े हैं। कहा जा रहा है कि इसका खामिजाया अभी से लेकर 2024 और 2027 तक भी BJP को भुगतना पड़ सकता है।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में BJP का तानाबाना मानो पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। इस अनुशासित कही जाने वाली पार्टी में फैली बगावत सबको हैरान करने वाली है। कोई ऐसा जिला नहीं है जहां पार्टी नेताओं में असंतोष न हो। करीब 14 नेताओं ने नामांकन दाखिल कर खुली बगावत कर दी है। इनमें कई ऐसे नेता भी हैं जो आरएसएस से लंबे समय से जुड़े हैं। कहा जा रहा है कि इसका खामिजाया अभी से लेकर 2024 और 2027 तक भी BJP को भुगतना पड़ सकता है।

हिमाचल में एक जुमला चलता है कि प्रदेश की सत्ता का रास्ता कांगड़ा से होकर जाता है। BJP के लिए शांताकुमार और प्रेम कुमार धूमल की जोड़ी यहां हमेशा अहम रही है लेकिन वर्तमान में दोनों नेता हाशिये पर हैं। कांग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री वीर भद्र सिंह कांगड़ा को हमेशा अहमियत देते थे। धर्मशाला में विधानसभा भवन और शीतकालीन प्रवास की परंपरा उन्हीं की देन है। 15 सीटों वाले कांगड़ा की सात में खुली बगावत BJP के लिए मुसीबत बन गई है। शेष आठ सीटों में भी सब कुछ ठीक नहीं है। 2017 के चुनाव में BJP ने कांगड़ा की 15 में से 11 सीटें जीतकर सत्ता में वापसी की थी। इस बार हालात बदले हैं।

2012 के चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 16 में से 10 सीटों पर जीत दर्ज की थी। धर्मशाला सीट पर निवर्तमान विधायक विशाल नैहरिया का टिकट काटे जाने से गद्दी समुदाय विरोध पर उतर गया है। विशाल नैहरिया गद्दी समुदाय से ही थे जो यहां किसी की हार या जीत में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है। धर्मशाला से 1985 से गद्दी समुदाय के नेता जीतते रहे हैं। BJP ने यहां से राकेश चौधरी को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके विरोध में BJP की स्थानीय इकाई ने न सिर्फ प्रदर्शन किया बल्कि मंडल कार्यकारिणी सहित सभी मोर्चों और प्रकोष्ठों के पदाधिकारियों ने सामूहिक त्यागपत्र पार्टी हाईकमान को भेज दिया।

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मंडल अध्यक्ष अनिल चौधरी और एसटी मोर्चा के प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन नैहरिया ने आजाद नॉमिनेशन भी भर दिया। कांग्रेस ने यहां से सुधीर शर्मा को प्रत्याशी बनाया है। नूरपुर से कैबिनेट मंत्री राकेश पठानिया को उनका क्षेत्र बदलकर फतेहपुर भेजने से यहां पूर्व में प्रत्याशी रहे कृपाल परमार बागी हो गए हैं। इंदौरा से रीता धीमान को टिकट मिला है। लेकिन यहां पूर्व विधायक मनोहर धीमान और निर्मल प्रसाद, जवाली सीट से संजय गुलेरिया को प्रत्याशी बनाने पर अर्जुन सिंह, कांग्रेस छोड़कर BJP में आए पवन काजल के विरोध में पूर्व विधायक संजय चौधरी और जसवां परागपुर विधानसभा क्षेत्र में पिछले दो विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करवा चुके विक्रम सिंह ठाकुर को समाज सेवी कैप्टन संजय पराशर चुनौती देते दिख रहे हैं। शाहपुर से जोगिंद्र पंकू और कांगड़ा से कुलभाष चौधरी आजाद मैदान में हैं। ज्वालामुखी से अतुल कौशल ने चिंता बढ़ा दी है। पार्टी ने वन मंत्री राकेश पठानिया का हलका बदलकर नूरपुर से फतेहपुर कर दिया है। इसके विरोध में कृपाल परमार आजाद प्रत्याशी बनकर मैदान में कूद गए हैं। कांग्रेस ने फतेहपुर से भवानी सिंह पठानिया को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस के पास यह सीट पिछले 13 वर्ष से है।

BJP की सबसे बड़ी फजीहत कुल्लू में हुई है। यहां की चारों सीटों में BJP बागियों से जूझ रही है। कुल्लू सदर से BJP से बागी होकर मैदान में उतरे राम सिंह और बंजार से हितेश्वर सिंह को मनाने सीएम यहां आए थे। लेकिन सीएम के बुलावे पर न राम सिंह आए और न हितेश्वर। हितेश्वर की पत्नी विभा सिंह जरूर मिलने पहुंचीं लेकिन सीएम को निराश करके आईं। इसके बाद कुल्लू में BJP के लिए स्थितियां बेहद मुश्किल हो गई हैं। यहां से महेश्वर सिंह का टिकट भी अंतिम समय में काट दिया गया। बंजार से बागी होकर मैदान में उतरे महेश्वर सिंह के बेटे हितेश्वर को न मना पाने की गाज उन पर BJP ने गिरा दी। अब महेश्वर सिंह भी निर्दलीय मैदान में कूद पड़े हैं और राम सिंह भी बागी हो गए हैं। कांग्रेस ने कुल्लू से सुंदर सिंह ठाकुर और बंजार से खीमी राम को प्रत्याशी बनाया है। मनाली सीट से शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर के सामने महेंद्र सिंह ठाकुर बागी हो गए हैं। आनी सीट पर भी BJP में भारी असंतोष है।

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मुख्यमंत्री के गृह जिले मंडी के हालात भी बेहद चिंताजनक हैं। मंडी सदर सीट से पंडित सुखराम के पुत्र अनिल शर्मा को टिकट दिए जाने से प्रवीण शर्मा बागी हो गए हैं। सुंदरनगर में पूर्व मंत्री रूप सिंह ठाकुर के पुत्र अभिषेक ठाकुर के आजाद उतरने से BJP के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। रूप सिंह ठाकुर छह बार एमएलए और तीन बार मंत्री रहे हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के चहेते रहे कैबिनेट मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के कुनबे ने धर्मपुर में BJP के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं। पार्टी ने यहां महेंद्र सिंह ठाकुर के बेटे रजत ठाकुर को टिकट दिया है। इसके विरोध में महेंद्र सिंह ठाकुर की बेटी वंदना गुलेरिया ने बगावत कर दी है। पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया। सुंदर नगर से महेंद्र सिंह ठाकुर के दामाद निर्दलीय चुनाव मैदान में हैं। वहीं, द्रंग से BJP ने निवर्तमान विधायक जवाहर ठाकुर का टिकट काटकर पूर्णचंद ठाकुर को दिया है। इसके विरोध में बड़ी तादाद में BJP समर्थकों और पंचायत प्रधानों ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। कांग्रेस ने द्रंग से कौल सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाया है।

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BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के गृह क्षेत्र हमीरपुर लोकसभा क्षेत्र में सात बागी उम्मीदवार अधिकृत प्रत्याशियों के लिए परेशानी का सबब बन गए हैं। बिलासपुर में तीन और हमीरपुर के तीन विधानसभा क्षेत्रों में भी बागी हैं। देहरा के जसवां-परागपुर में हालात कठिन दिख रहे हैं। बिलासपुर सदर, घुमारवीं और झंडुता विधानसभा क्षेत्रों में बागी असर दिखा रहे हैं। नड्डा का कैंप करना भी नाकाम हो रहा है। बिलासपुर सदर से सुभाष शर्मा, घुमारवीं से राकेश शर्मा और झंडुता में दिवंगत पूर्व मंत्री रिखी राम कौंडल के पुत्र राजकुमार कौंडल भगवा दल की राह रोक रहे हैं। हमीरपुर के बड़सर में संजीव शर्मा, सदर में नरेश कुमार दर्जी और भोरंज में भी पवन कुमार बागी चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं। सोलन की नालागढ़ सीट से बागी होकर उतरे केएल ठाकुर के समर्थन में BJP के 140 पदाधिकारी सामूहिक इस्तीफा दे चुके हैं।

शिमला में BJP के लिए बड़ी शर्मनाक स्थिति पैदा हो गई है। शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ने नामांकन भरने के साथ ही मानो हार मान ली है। उनका क्षेत्र शिमला शहरी से बदलकर कसुम्प्टी कर दिया गया है। धूमल फैक्टर भी BJP के लिए मुसीबत का सबब बन गया है। तकरीबन आधा दर्जन धूमल समर्थक विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं। प्रदेश में इन हालातों से निबटने में जिस तरह BJP दिग्गजों की सासें फूल रही हैं उससे साफ है भगवा दल के लिए सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा है।

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