हिमाचल प्रदेश में आई सदी की सबसे बड़ी तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के खिलाफ बीजेपी खुल कर उतर गई गई है। विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत बीजेपी के विधायकों के तेवर देख लोग हैरान हैं। विधानसभा में लंबी बहस के बाद यह भी बिल्कुल साफ हो गया कि आपदा में मदद के नाम पर केंद्र सरकार ने हिमाचल को फूटी कौड़ी नहीं दी है। लेकिन विधानसभा में हंगामे पर आमादा बीजेपी को कांग्रेस ने उत्तराखंड में केदारनाथ त्रासदी के वक्त पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की ओर से दी गई तत्काल मदद का उदाहरण देकर उसे आईना दिखा दिया है।
हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन देवभूमि के लोगों ने भारतीय जनता पार्टी का वह चेहरा देखा, जिसकी शायद वह उम्मीद नहीं कर रहे थे। सबसे पहले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और शिमला के ठियोग से विधायक कुलदीप राठौर ने बीजेपी को आईना दिखाया। उन्होंने कहा कि हिमाचल में ऐसी आपदा आई है कि हम एक दशक पीछे चले गए हैं। ऐसी स्थिति में बीजेपी का एक दिन पहले किया गया वाकआउट गलत था। होना तो यह चाहिए था कि राष्ट्रीय आपदा के विषय पर किसी चर्चा की भी क्या जरूरत थी। दोनों पक्षों के सासंदों और विधायकों को मिलकर प्रधानमंत्री के पास जाना चाहिए था। यह टकराव का विषय ही नहीं है। हिमाचल की स्थिति ऐसी नहीं है कि हम अपने संसाधनों से इस विपदा का भार वहन कर सकें। कुलदीप राठौर ने कहा कि हिमाचल की त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने में आखिर समस्या क्या है। यह नाजुक समय है। हिमाचल के लोग हमारी तरफ देख रहे हैं। सदन का वाकआउट इस समस्या का समाधान नहीं है। हिमाचल का इस देश के लिए बहुत बड़ा योगदान है। हिमाचल को उसका हक मिलना चाहिए। विपक्ष लोकसभा चुनाव की तरफ न देखे। हम पूरे देश में एक उदाहरण प्रस्तुत करें कि हम सब एक हैं और दिल्ली से मदद लेकर आएंगे।
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इसके बाद बोलने खड़े हुए बीजेपी विधायक रणधीर शर्मा पहले तो नियम 120 और 67 के तहत चर्चा पर उलझ गए। फिर कहने लगे कि अगर नियमों के तहत सब कुछ होता तो वाकआउट की नौबत नहीं आती। एक दिन पहले कही गई बातें एक बार फिर वह दोहराते हुए कहने लगे कि अगर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 254 सड़कों के रिपेयर के लिए पैसा मिलेगा तो क्या वह केंद्र की मदद नहीं होगी। एनडीआरएफ के तहत 200 करोड़ मिला तो क्या यह मदद नहीं है।
रणधीर शर्मा का जवाब देने के लिए सदन में खड़े हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इनकी जुबां से तो राष्ट्रीय आपदा का शब्द तक नहीं निकल रहा है। सीएम ने कहा कि प्रदेश हित में राष्ट्रीय आपदा घोषित करने में बीजेपी को आखिर संकोच क्या है। क्या हिचकिचाहट है। सीएम ने कहा कि जी-20 समिट में रिक्वेस्ट कर हमने पीएम से कहा कि आप राष्ट्रीय आपदा घोषित करें और हमारी मदद करें। सीएम ने कहा कि भगवान बीजेपी को सद्बुद्धि दे कि हमारे संकल्प का वह समर्थन करे।
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इसके बाद बीजेपी को असली तकलीफ हुई जब कुल्लू के विधायक और सीपीएस सुंदर सिंह ठाकुर बोलने के लिए खड़े हुए। सुंदर सिंह ठाकुर ने केदारनाथ में आई त्रासदी के वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री मन मोहन सिंह का उदाहरण देकर बीजेपी को आईना दिखाया। सुंदर सिंह ने कहा कि विपक्ष के साथियों को राजनीति छोड़कर मन से इस संकल्प को लेकर सोचना चाहिए। केंद्र सरकार का अब तक का हिमाचल के प्रति व्यवहार जनता देख रही है। एक स्वर में कहना चाहिए कि इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित किया जाए। सुंदर सिंह ने कहा कि आपदा में भी बीजेपी ने कोई अवसर राजनीति का नहीं छोड़ा। उत्तराखंड के केदारनाथ में आई त्रासदी में 9 हजार करोड़ का नुकसान हुआ था। उस समय देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। उन्होंने 1000 करोड़ तो तत्काल दे दिए थे। इसके अलावा 1884 करोड़ विभिन्न विभागों को दिए थे। 1100 करोड़ प्रभावित 5 जिलों के लिए अलग से घोषित किए थे। विश्व बैंक और एडीबी के तहत 3700 करोड़ रुपये लोन के रूप में दिलवाए थे। 1207 करोड़ एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जरिये दिलवाए। 154 करोड़ प्रधानमंत्री राहत कोष से दिए थे। उस आपदा में लापता लोगों को भी मृत्यु प्रमाणपत्र देकर मदद की थी। सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि मनमोहन सिंह के नेतृत्व में चल रही यूपीए-2 की सरकार ने इस तरह 4345 करोड़ रुपये दिए थे। यह लोन के रूप में मिली राशि से अलग थे। इस पर बीजेपी विधायकों को लगा कि यह तो उनकी किरकिरी हो रही है तो वह हंगामा करने लगे।
सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री (जयराम ठाकुर) को लगता है कि ऐसी बातें करके वह जनता को बरगला देंगे। यूपीए सरकार की तरफ से केदारनाथ त्रासदी में उत्तराखंड को दी गई मदद को सुनकर आपकी आंखें बंद हो रही हैं। जयराम ठाकुर समेत बीजेपी विधायकों द्वारा इन आंकड़ों को झूठा करार देने पर सुंदर सिंह ठाकुर ने कहा कि हम यह टेबल भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास कोई ऐसा आंकड़ा नहीं है कि केंद्र से हिमाचल को इतनी मदद मिली है। बीजेपी विधायकों के लगातार हंगामा करने पर कैबिनेट मंत्री जगत सिंह नेगी ने खड़े होकर कहा कि विपक्ष का रवैया लोकतांत्रिक नहीं है। इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर और डिप्टी सीएम मुकेश अग्निहोत्री के बीच काफी बहस भी हुई। सत्ता पक्ष के सभी मंत्रियों और विधायकों ने विपक्ष के रवैये पर गंभीर आपत्ति जताई। तानाशाही नहीं चलेगी और गुंडागर्दी नहीं चलेगी के नारे भी लगाए, लेकिन बीजेपी के विधायक लगातार हंगामा कर रहे थे।
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सदन में हालात सामान्य हुए तो सुंदर सिंह ठाकुर ने फिर बोलना शुरू किया। उन्होंने कहा कि केदारनाथ त्रासदी में 9 हजार करोड़ के हुए नुकसान पर तत्कालीन प्रधानमंत्री मन मोहन सिंह ने पूरी मदद की थी। सुंदर सिंह ने एक और सवाल उठाया कि सभी कांग्रेस विधायकों ने अपना एक महीने का वेतन आपदा प्रभावितों की मदद के लिए दे दिया था, लेकिन बीजेपी के विधायक 2 महीने बाद आज क्यों जागे। विधानसभा में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की ओर से हिमाचल में आई तबाही को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के लिए पेश किए गए संकल्प पर लंबी बहस के बाद एक बात तो बिल्कुल साफ हो गई है कि बीजेपी को इस आपदा में अवसर नजर आ रहा है। लोकसभा चुनाव की देहलीज पर खड़े प्रदेश को किसी भी तरह की वित्तीय मदद मिलने की राह में वह खड़ी हो गई है। जिस अंदाज में पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत बीजेपी के सभी विधायकों ने हिमाचल की त्रासदी को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने के खिलाफ स्टैंड लिया है उससे उसकी चुनावी मंशा साफ दिख रही है।
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