दिल्ली हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 'अनलॉक- 1' के सरकारी आदेश को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं को खारिज कर दिया। इस दौरान पीठ ने कड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि 'लॉकडाउन कोविड-19 महामारी से ज्यादा तकलीफदेह रहा।' लॉकडाउन में ढील के खिलाफ याचिकाओं पर कड़ा रुख दिखाते हुए पीठ ने उसे समय की बर्बादी और गलत ठहराते हुए केवल प्रचार हासिल करने के लिए दायर किया गया बताया।
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इसके साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पर 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया, जो कि कानून का छात्र है। देश में जारी कोरोना वायरस के खतरे को आधार बताते हुए कानून के छात्र अर्जुन अग्रवाल ने लॉकडाउन में ढील के सरकार के आदेश को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की थी।
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याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश हिमा कोहली और न्यायाधीश सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने कहा, "कई लोगों को आश्रयहीन छोड़ दिया गया था। कई लाख प्रवासी मजदूरों को पैदल चलकर अपने गृहनगर वापस जाना पड़ा। देश की आर्थिक स्थिति लॉकडाउन के कारण भयानक रूप से प्रभावित हुई है। वास्तव में, कई विश्लेषकों की राय रही है कि लॉकडाउन, कोविड-19 से अधिक मानवीय तकलीफों का कारण बना है।"
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साथ ही अदालत ने यह भी कहा कि लॉकडाउन के कारण कई लाख लोगों की नौकरियां चली गईं। लॉकडाउन के दौरान करोड़ों लोगों को पैदल ही काफी दूरी तय करना पड़ा और भोजन वितरण केंद्रों पर लंबी कतारों में खड़े रहने के लिए मजबूर होना पड़ा। कई लोग भूखे ही रह गए और उन्हें एक वक्त का खाना भी नसीब नहीं हुआ।
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