झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने गुरुवार को ईडी के समक्ष पूछताछ के लिए पेश होने के पहले एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि ईडी की कार्रवाई उनकी सरकार को अस्थिर करने के षड्यंत्र का हिस्सा है। अवैध खनन को लेकर उनपर लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं।
मुख्यमंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस में राज्यपाल रमेश बैस पर भी बड़ा हमला बोला और कहा कि राज्यपाल का पद राजनीति और पार्टी से ऊपर होता है, लेकिन इनके कार्यकलापों से ऐसा लगता है कि वे षड्यंत्रकारी राजनीति करनेवाले दलों को संरक्षण दे रहे हैं। एक तरफ माइनिंग लीज मामले में चुनाव आयोग के मंतव्य की चिट्ठी का लिफाफा राज्यपाल महीनों बाद भी नहीं खोलते, और दूसरी तरफ बयान देते हैं राज्य में बम-पटाखा फूट सकता है। उनके बयान के तुरंत बाद ईडी का समन आता है और सत्ताधारी दलों के विधायकों के यहां आईटी और केंद्रीय एजेंसियों का छापा पड़ने लगता है।
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उन्होंने कहा कि उन्हें खबर है कि अभी कई और विधायकों के यहां छापमारी की तैयारी चल रही है। यह सब षड्यंत्र का हिस्सा है।
सोरेन ने राज्यपाल द्वारा माइनिंग लीज मामले में चुनाव आयोग से सेकंड ओपिनियन मांगे जाने को भी असंवैधानिक बताया। उन्होंने कहा कि जबकि राज्यपाल मीडिया में बयान देते हैं कि चुनाव आयोग से उन्होंने सेकंड ओपिनियन मांगा है, जबकि आयोग ने उन्हें बताया है कि इसे लेकर राज्यपाल का कोई पत्र नहीं आया है।
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सोरेन ने कहा कि जब उनकी सरकार ने राज्य में संसाधनों का सदुपयोग कर राजस्व बढ़ाया, लंबी लकीर खींची और राज्य के जनमानस का विश्वास सरकार के प्रति बढ़ा तो हाशिए पर जाते विपक्षी दलों में बौखलाहट बढ़ गई और षड्यंत्र शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार बनने के साथ ही इसे गिराने का षड्यंत्र शुरू हो गया था।
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतंत्र का सम्मान होना चाहिए, इसलिए वे ईडी के सामने जा रहे हैं। ईडी की अब तक की जांच पड़ताल पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि साहबगंज जिले में एक हजार करोड़ के अवैध खनन का आरोप लगाया गया है, जबकि यह संभव ही नहीं है।
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