तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में अब भारी बारिश बंद हो गई है, लेकिन लोगों को अब इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि शहर के कई इलाके पूरी तरह जलमग्न हो गए हैं। इस कारण से राजधानी के कई इलाकों में बिजली सप्लाई पूरी तरह ठप हो गई है।
बंगाल की खाड़ी के ऊपर बना दबाव गुरुवार शाम यहां के पास के तट को पार कर गया जिससे शहर में बारिश थम गई। सरकार ने जलभराव के कारण चेन्नई, तिरुवल्लूर, कांचीपुरम और चेंगलपट्ट जिलों में स्थित स्कूलों और कॉलेजों में अवकाश घोषित कर दिया है। हालांकि, रुके हुए पानी को बाहर निकालने के लिए बड़े आकार के पंपों का इस्तेमाल किया जा रहा है, जबकि कई जगहों पर ट्रैफिक डायवर्ट किया गया है।
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अड्यार पुल का नजारा भी पूरी तरह से बदला हुआ नजर आया। यहां भारी बारिश के कारण नदी पुल को छू रही थी। बारिश से अप्रभावित कुछ लोगों को पुल पर सेल्फी लेते हुए भी देखा गया। एहतियात के तौर पर, अधिकारियों ने शहर को पानी की आपूर्ति करने वाली चेंबरक्कम झील से पानी छोड़ना जारी रखा।
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मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने रोग प्रसार के खिलाफ एक निवारक उपाय के रूप में विशेष चिकित्सा शिविरों का उद्घाटन किया। वहीं ग्रेटर चेन्नई कॉरपोरेशन के अधिकारियों ने कुछ हिस्सों में फंसे लोगों को बचाने के लिए नावों का इस्तेमाल किया और उन्हें भोजन, किराना और दवाएं उपलब्ध कराईं। कावेरी डेल्टा क्षेत्र के किसानों ने कहा कि हजारों एकड़ में उनकी फसल बारिश के कारण जलमग्न हो गई थी और उन्होंने राज्य सरकार से सहायता प्रदान करने का अनुरोध किया है।
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पीएमके के संस्थापक एस. रामदास ने कहा कि जिन इलाकों को पहले सुरक्षित माना जाता था, वे बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और लोग जलभराव के कारण अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि छह दिनों तक 'वाटर जेल' में रहने से लोगों पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा। रामदास ने कहा कि सरकार को बारिश से प्रभावित लोगों को 5,000 रुपये की वित्तीय सहायता देनी चाहिए क्योंकि कई लोगों की आजीविका चली गई है।
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