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बेमौसम आफत की बारिश से उत्तराखंड में भारी तबाही, मलबे में कई लोग जिंदा दफन हुए, अब तक 25 की मौत

केदारनाथ में बारिश के साथ ऊपरी पहाड़ियों पर बर्फबारी जारी है, जिसके चलते वहां चारधाम यात्रा के लिए पहुंचे करीब 6 हजार श्रद्धालु फंस गए थे। उनमें से 4 हजार श्रद्धालु वापस आ गए, लेकिन शेष 2 हजार श्रद्धालु वहीं हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।

फोटोः सोशल मीडिया
फोटोः सोशल मीडिया 

उत्तराखंड में दो दिनों से जारी बेमौसम की बारिश पहाड़ी इलाकों में कहर बनकर टूटी है। बारिश के साथ भूस्खलन ने पहाड़ी राज्य में भारी तबाही मचाई है। मंगलवार को कुमाऊं में बारिश और मलबे में दबने से अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि सोमवार को सूबे में छह लोगों की जान गई थी। राज्य के डीजीपी और आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव एस ए मुरुगेशन ने बताया कि दो दिन में प्रदेश में अभी तक 25 लोगों की मौत हो चुकी है।

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राज्य के पहाड़ी इलाकों में सोमवार को बारिश के कहर से लोग अभी संभले भी नहीं थे कि मंगलवार सुबह नैनीताल जिले के रामगढ़ के धारी तहसील में बादल फट गया। इस हादसे में वहां रह रहे मजदूरों की झोपड़ी पर रिटेनिंग दीवार गिर गई, जिसमें सात लोग मलबे में दब गए। इसके बाद खैरना में झोपड़ी पर पत्थर गिरने से दो लोगों की मौत हो गई। चंपावत में एक व्यक्ति की भूस्खलन की चपेट में आने मौत हो गई, जबकि तीन लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया। वहां, अभी भी कुछ लोग मलबे में फंसे हैं।

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इसी तरह बाजपुर के गांव झाड़खंडी में गडरी नदी में बहे किसान रामदत्त भट्ट का शव मिल गया है। वहीं, टनकपुर में भारी बारिश से आई बाढ़ में फंसे करीब 65 लोगों को निकालने के लिए सेना की मदद लेनी पड़ी। उधर अल्मोड़ा के भिकियासैंण में एक मकान भूस्खलन की चपेट में आ गया। इस दौरान दो बच्चों की मलबे में दबने से मौत हो गई। अल्मोड़ा के ही एनटीडी क्षेत्र में एक मकान मलबे की चपेट में आ गया, जिसमें एक बच्चे की मौत हो गई। गरमपानी में भारी बारिश के चलते हाईवे का निर्माण कर रही कंपनी के दो मजदूरों की टिन शेड में आए मलबे में दबने से मौत हो गई।

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लगातार भारी बारिश और भूस्खलन के कारण राज्य की कई नदियों का जलस्तर बढ़कर उफान पर आ गया है। कोसी नदी पानी बढ़ने से खतरे के निशान को पार कर गई है। कोसी बैराज के सभी फाटक खोल दिए गए हैं। नदी में उफान से कोसी नदी का पानी रामनगर-रानीखेत मार्ग स्थित लेमन ट्री रिजॉर्ट में घुस गया। इस दौरान लगभग 100 लोग फंस गए। फिलहाल सभी सुरक्षित बताए जा रहे हैं। उधर, हल्द्वानी में गोला नदी के उफान से नदी पर बना अप्रोच पुल ध्वस्त हो गया, जिससे आवाजाही बंद हो गई है। जलस्तर बढ़ने से गोला बैराज को खतरा पैदा हो गया है। टनकपुर में शारदा नदी के उफान से क्रशर मार्ग ने नाले का रूप ले लिया है।

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पहाड़ों में बारिश के बाद हरिद्वार में गंगा का भी जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया है। ऋषिकेश में भी गंगा खतरे के निशान से महज 20 सेंटीमीटर नीचे है। त्रिवेणी घाट पर आरती स्थल समेत विभिन्न घाट जलमग्न हो गए हैं। उधर, नैनीताल में भारी बारिश से शहर में कई जगह पानी भर गया है। वहीं, तल्लीताल चौराहे में लगभग दो इंच की दरार आ गई। कैंट रोड में सैलाब का पानी आने से कई लोग दुकानों के अंदर फंस गए। बाद में लोगों को सेना के जवानों ने रेस्क्यू कर निकाला।

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केदारनाथ में बारिश के साथ ही ऊपरी पहाड़ियों पर बर्फबारी जारी है, जिसके चलते वहां चारधाम यात्रा के लिए पहुंचे करीब 6 हजार श्रद्धालु फंस गए थे। उनमें से चार हजार श्रद्धालु वापस आ गए हैं। लेकिन शेष 2 हजार श्रद्धालु वहीं हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। वहीं, यमुनोत्रीधाम सहित यमुना घाटी की पहाडियां कोहरे से ढकी हुई हैं। बारिश के बाद उत्तराखंड आने वाली कई ट्रेनें निरस्त कर दी गई हैं। वहीं, कई ट्रेनों को शार्ट टर्मिनेट किया गया है।

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