बिहार में गर्मी और उमस के बढ़ने के बाद मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाकों में एक बार फिर से बच्चों में होने वाली एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) बीमारी के मरीज अस्पताल पहुंचने लगे।
मुजफ्फरपुर श्रीकृष्ण मेमोरियल मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एसकेएमसीएच) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, अब तक मुजफ्फरपुर और आसपास के जिले से एईएस के लक्षण वाले कुल 8 बच्चे भर्ती हुए हैं।
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एसकेएमसीएच के एईएस के नोडल अधिकारी और शिशु रोग विभागाध्यक्ष जी एस सहनी ने बुधवार को बताया कि फिलहाल गर्मी के मौसम में तापमान में वृद्धि की शुरूआत हुई है। उन्होंने कहा कि फिलहाल दो संदिग्ध मरीज भी भर्ती हैं। इसकी जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। उन्होंने बताया कि कई जांच के बाद ही एईएस की पुष्टि होती है, जिसमें एक सप्ताह का भी समय लग जाता है। उल्लेखनीय है कि मुजफ्फरपुर और आसपास के इलाके में जैसे ही गर्मी और उमस बढ़ती है, वैसे ही इस बीमारी से बच्चे ग्रसित होने लगते हैं। प्रतिवर्ष इस बीमारी से बच्चों की मौत होती है। मुजफ्फरपुर जिले में खासकर मीनापुर, कांटी, मुसहरी और पारू प्रखंड के कई गांवों में इस बीमारी ने लोगों को खासा परेशान किया है। जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर ग्रामीणों क्षेत्रों में जागरूकता अभियान भी चलाया जाता है, लेकिन आजतक इस बीमारी से निजात दिलाने में सफलता नहीं मिली है। राहत की बात है कि पिछले साल इस बीमारी के कम मरीज सामने आए हैं। एईएस पीड़ित बच्चे की अचानक तबीयत बिगड़ जाती है। अचानक बच्चा कोमा में चला जाता है। गर्मी के दौरान इन लक्षणों को काफी गंभीरता से लेने की आवश्यकता है। तेज बुखार, सिर दर्द, गर्दन में अकड़न, उल्टी होना, सुस्ती, भूख कम लगना इत्यादि इसके लक्षण होते हैं। इधर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी मंगलवार को एईएस की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिया कि लोगों को इसके लक्षणों और इलाज के प्रति जागरूक करें। इसके लिए व्यापक रूप से जागरूकता अभियान चलाएं। समीक्षा बैठक में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने एईएस के संबंध में अद्यतन स्थिति की विस्तार से जानकारी दी।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि एईएस के प्रति पूरी सतर्कता बरतें। एईएस से प्रभावित बच्चों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने की सारी व्यवस्थाओं को सुनिश्चित करें। इसके लिए पीकू वार्ड को पूरी तरह से तैयार रखा जाए, जिससे एईएस प्रभावित बच्चों को समय पर इलाज उपलब्ध हो सके। अस्पतालों में पर्याप्त मात्रा मे दवाओं की उपलब्धता को भी सुनिश्चित किया जाए। जिलाधिकारियों और सिविल सर्जनों को पर्याप्त संख्या में एंबुलेंस और दवाओं की व्यवस्था रखने के निर्देश दिए गए हैं।
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