योगी सरकार में मानवीय संवेदनाएं उस समय तार-तार हो गईं, जब एचआईवी पॉजिटिव प्रसूता 6 घंटे से ज्यादा स्ट्रेचर पर प्रसव पीड़ा से कराहती रही। मगर, स्टाफ ने प्रसव कराना तो दूर छह घंटों तक उसको छूआ तक नहीं।
फिरोजाबाद में एक चौंकाने वाली घटना में 20 वर्षीय एचआईवी पॉजिटिव गर्भवती महिला को डॉक्टरों द्वारा इलाज करने से मना कर दिया गया। प्रसव पीड़ा से तड़पती महिला ने एक बेटे को जन्म दिया, जिसकी कुछ घंटो बाद ही मौत हो गई।
फिरोजाबाद मेडिकल कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ संगीता अनेजा ने कहा, 'महिला के परिवार से मिली शिकायत के आधार पर जांच के आदेश दे दिए गए हैं।'
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चूड़ी बनाने के उद्योग में काम करने वाली महिला के पिता ने कहा, निजी अस्पताल सामान्य प्रसव के लिए 20 हजार रुपये मांग रहा था। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (एनएसीओ) के जिला क्षेत्र अधिकारी से परामर्श करने के बाद मैं अपनी बेटी को मेडिकल कॉलेज ले गया, जहां वह एक स्ट्रेचर पर लेटी रही और छह घंटे तक दर्द से कराहती रही। बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कोई डॉक्टर उसकी मदद के लिए नहीं आया।'
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जब मामला वरिष्ठ अधिकारियों तक पहुंचा तो एक नर्स उसे लेबर रूम में ले गई। उसने एक बच्चे को जन्म दिया, जिसे सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। स्टाफ ने परिवार को बच्चे को देखने की अनुमति नहीं दी और उसे एक विशेष नवजात शिशु देखभाल इकाई में ले गए। अगली सुबह बच्चे की मौत हो गई।
नाको की फील्ड ऑफिसर सरिता यादव ने कहा, मैं एचआईवी पॉजिटिव महिला के लगातार संपर्क में थी। परिवार एक निजी अस्पताल में इलाज कराने में असमर्थ था, इसलिए मैंने उन्हें मेडिकल कॉलेज बुलाया। लेकिन कोई डॉक्टर या अस्पताल का कर्मचारी मेरे पास नहीं आया। घंटों तक मैंने चिकित्सा सहायता का अनुरोध किया। महिला बहुत दर्द में थी। मैंने वरिष्ठ अधिकारियों को घटना से अवगत कराया है। शादी के एक साल बाद पति से अलग होने के बाद महिला फिरोजाबाद में अपने माता-पिता के साथ रह रही है। उसके परिवार ने दावा किया कि शादी के तुरंत बाद उसे एचआईवी संक्रमण हो गया।
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