उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए हादसे ने पूरे देश को स्तब्ध कर दिया है। बाबा भोलेनाथ के दरबार में सत्संग के लिए करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के बीच मची भगदड़ में अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है।
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इस बारे में एडीजी (आगरा) अनुपम कुलश्रेष्ठ ने बताया कि हाथरस में कम से कम 50 से 60 और एटा अस्पताल में 27 मौतें हुई हैं। उन्होंने दावा किया कि भीड़ तय संख्या से ज्यादा थी। उन्होंने कहा, वहां पर बाबा का प्रवचन हो रहा था और बड़ी संख्या में महिलाएं थीं। प्रवचन खत्म होने पर वहां भगदड़ मच गई और महिलाओं को घुटन होने लगी। उसके बाद हमें घटना का पता चला। पुलिस बल, प्रशासन और सरकार की संवेदनाएं शोक संतप्त परिवार के साथ हैं। इस वक्त हमारी प्राथमिकता उपचाराधीन लोगों को उचित इलाज उपलब्ध कराने की है। हम मृतकों की पहचान का काम कर रहे हैं और प्रयास कर रहे हैं कि शवों को उनके परिवार तक पहुंचाया जा सके।
उन्होंने बताया कि हाथरस में फिलहाल 15 और एटा में तीन लोग उपचाराधीन हैंं। इस प्रोग्राम को लेकर पुलिस ने इजाजत दे रखी थी और करीब 40 पुलिसकर्मी वहां तैनात थे। ये हादसा क्यों हुआ, इसकी जांच की जाएगी।
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इसी बीच एक मृतक के परिजन अजीत कुमार ने बताया कि यहां अस्पताल में किसी तरह की कोई व्यवस्था नहीं थी। डॉक्टर इधर-उधर घूम रहे थे। हमको केवल बताया गया कि परिजन की मौत हो चुकी है। लाशें ऐसे ही पड़ी हैं और कुछ लोगों को लाश भी नहीं मिल पा रही है। प्रशासन की ओर से कोई इंतजाम नहीं है।
एक और मृतक के परिजन ने भी सवाल उठाया है कि जहां केवल पांच हजार लोगों को इकट्ठा होने की इजाजत मिल सकती थी, वहां इतनी गर्मी में लाखों की संख्या में लोग कैसे जुट गए? प्रशासन पर सबसे बड़ा सवाल यही है कि इतने लोगों को रोका क्यों नहीं गया। ये भीड़ कल रात से चल रही थी। बाबा पर भी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। उनको इतनी गर्मी में ये कार्यक्रम नहीं करना चाहिए था। प्रशासन को बिजली का इंतजाम करना चाहिए था।
--आईएएनएस
एएस/सीबीटी
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