उत्तर प्रदेश के हाथरस में इसांनियत को शर्मसार कर देने वाले गैंगरेप और हत्याकांड की सीबीआई जांच अपनी रफ्तार के साथ जारी है। लेकिन इसी बीच, अलीगढ़ के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में काम कर रहे दो डॉक्टरों को तत्काल प्रभाव से टर्मिनेट कर दिया गया है। हाथरस रेप पीड़िता को दिल्ली शिफ्ट किए जाने से पहले उसकी इसी अस्पताल में इलाज हुआ था।
आज तक की खबर के अनुसार, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के जेएन मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में लीव वैकेंसी पर इमरजेंसी और ट्रॉमा विभाग में कार्यकारी सीएमओ के पद पर कार्यरत डॉ अजीम और डॉ ओबैद को यूनिवर्सिटी वीसी प्रोफेसर तारिक मंसूर के आदेश से टर्मिनेट कर दिया गया है। दोनों डॉक्टरों को के वीसी के आदेश पर टर्मिनेट किया गया है।
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चर्चा है कि इन दोनों डॉक्टरों पर हाथरस मामले में रेप सैंपल को लेकर अपनी राय रखने के लिए गाज गिरी है। इनमें से एक डॉ. अजीम ने हाथरस केस में रेप की पुष्टि नहीं होने के दावों पर अपनी राय देते हुए बताया था कि 10 से 12 दिन बाद अगर सैंपल लिया जाता है, तो उससे रेप की पुष्टि करना मुमकिन नहीं है। घटना के इतने दिनों बाद रेप सैंपल का कोई अर्थ नहीं रह जाता।
वहीं, टर्मिनेट किये जाने पर दोनों डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि उन्हें किस वजह से टर्मिनेट किया गया है। उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि सीएमओ डॉक्टर एसएएच जैदी ने लिखित में अवगत कराया कि एएमयू वीसी ने उनको फोन पर निर्देशित किया है कि आज से हम दोनों डॉक्टरों की सेवाएं समाप्त की जाती हैं।
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दोनों डॉक्टरों ने कहा कि हाथरस गैंगरेप कांड में हमने मीडिया को कोई इंटरव्यू नहीं दिया था। कई मीडियाकर्मियों ने फोन करके फॉरेंसिक संबंधित कोई राय पूछी तो एक डॉक्टर की हैसियत से हम ने अपनी राय दे दी। उन्होंने बताया कि सोमवार को मामले की जांच कर रही सीबीआई की टीम भी आई थी, लेकिन टीम ने हमसे डायरेक्ट कोई बात नहीं की।
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दोनों डॉक्टरों ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में कार्यरत छह डॉक्टरों के कोरोना संक्रमित होने पर उनको बुलाया गया था। हम दूसरी जगह से नौकरी छोड़ कर आए और यहां उस भयंकर दौर में जब कोई भी यहां ड्यूटी नहीं करना चाहता था, तब हमने यहां फर्ज निभाया। डॉक्टरों ने वीसी को पत्र लिखकर मांग की है कि उन्हें बताया जाए कि किस कारण से उनकी सेवाएं समाप्त की गईं।
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