हाथरस गैंगरेप कांड में उत्तर प्रदेश सरकार के जातीय और सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की साजिश के दावों को विपक्ष ने सिरे से नकार दिया है। विपक्ष ने योगी सरकार को दलित विरोधी बताते हुए इन दावों को हाथरस पीड़िता के परिवार के जख्मों को कुरेदने वाला बताया है। विपक्ष दलों और नेताओं ने योगी सरकार को मूर्खतापूर्ण दावे करने से बचने और पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग की है।
दरअसल उत्तर प्रदेश सरकार ने दावा किया है कि हाथरस कांड का राजनीतिक लाभ लेने और योगी सरकार को बदनाम करने के लिए पीएफआई और एसडीपीआई जैसे संगठनों और विपक्षी पार्टियों ने सरकार के खिलाफ साजिश करते हुए सोशल मीडिया के जरिये माहौल बनाया। इस दौरान यूपी पुलिस ने कई केस भी दर्ज किए हैं, जिनमें कुछ राजनेताओं, समाजसेवियों और पत्रकारों को भी आरोपी बना दिया गया है। यूपी पुलिस का यह भी दावा है कि इस मामले को तूल पकड़वाने के लिए करोड़ों रुपये की विदेशी फंडिंग हुई और इसमें यूपी के चर्चित माफियाओं का हाथ शामिल है।
Published: 06 Oct 2020, 6:14 PM IST
योगी सरकार की साजिश की इस थ्योरी को तमाम विपक्षी दलों ने नकार दिया है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद पीएल पुनिया ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हाथरस की घटना में बीजेपी द्वारा दावा किया गया षड्यंत्र का सिद्धांत पीड़ित परिवार के साथ एक भद्दा मजाक है। सरकारी अधिकारी यह मानने को तैयार ही नहीं हैं कि पीड़िता के साथ बलात्कार हुआ था। पीड़िता का मेडिकल परीक्षण 12 दिनों के बाद किया गया और उसके परिवार पर भी आरोप लगाया गया था ।
पीएल पुनिया ने आगे कहा "अब जब बीजेपी बैकफुट पर है, तो वे नई कहानियां बना रहे हैं। इससे उनके दलित विरोधी चेहरे का पता चलता है। बीजेपी 'मनुवादी’ लोगों की पार्टी है। वे 'सबका साथ, सबका विकास' का दावा करते हैं, लेकिन वे दलितों के खिलाफ काम करते हैं। आरएसएस और बीजेपी के नेताओं ने भी आरक्षण खत्म करने की बात कही है। हाथरस की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। पीड़िता का शरीर आधी रात को जला दिया गया, जिससे राष्ट्र के सभी लोगों को पीड़ा हुई है।”
Published: 06 Oct 2020, 6:14 PM IST
बीजेपी सरकार पर हमला करते हुए पुनिया ने कहा "हमारे नेता पीड़ित परिवार से मिलने गए थे, लेकिन बीजेपी नेताओं को परिवार से मिलने का समय नहीं मिला। ऊंची जाति के लोग आरोपियों के पक्ष में पंचायत कर रहे हैं और बीजेपी सांसद और स्थानीय अध्यक्ष आरोपियों से मिलने जाते हैं। केंद्र और राज्य दोनों जगह उनकी सरकारें हैं, लेकिन बीजेपी का कोई भी बड़ा नेता पीड़ित परिवार से मिलने नहीं गया। परिवार सुरक्षा मांग रहा है और कह रहा है कि वे उच्च जाति के लोगों से लगातार खतरे में हैं, लेकिन स्थायी सुरक्षा के उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।”
वहीं, भीम आर्मी के नेता चंद्रशेखर आजाद ने इसे संवैधानिक अधिकार छीनने वाली बात कही है। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार को बर्खास्त करने की मांग के साथ राष्ट्रपति को ज्ञापन भी भेजा है। हाथरस में पीड़िता के परिवार से मिलने पहुंचे चंद्रशेखर के विरुद्ध भी मुकदमा दर्ज किया गया है। चंद्रशेखर ने कहा कि सरकार की प्राथमिकता पीड़िता को न्याय दिलाने की होनी चाहिए, मगर वो इस बच्ची के न्याय की आवाज उठाने वालों की आवाज दबाना चाहती है।
Published: 06 Oct 2020, 6:14 PM IST
समाजवादी पार्टी के नेता और एमएलसी सुनील यादव साजन ने भी हाथरस कांड में दंगे की साजिश के सरकारी दावे को हवाई बताया है। उन्होंने कहा कि आज ही हाथरस में एक और 6 साल की बच्ची के साथ दरिंदगी हो गई। यूपी की भृष्ट और नकारा योगी सरकार बेटियों को सुरक्षा देने की बजाय आरोपियों को बचाने के लिए विदेशी एंगल की कहानी बना रही है।
वहीं बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने भी हाथरस मामले में सांप्रदायिक और जातिवादी दंगे भड़काने की साजिश के उत्तर प्रदेश सरकार के दावों पर जमकर निशाना साधा। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट के जरिए कहा कि “हाथरस मामले में घटनाक्रम को प्रभावित करने के लिए जातिवादी और सांप्रदायिक दंगों की साजिश का यूपी सरकार का आरोप सही है या चुनावी चाल, यह तो समय बताएगा, लेकिन जनता की मांग पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए है, इसलिए सरकार इस पर ध्यान केंद्रित करे तो बेहतर होगा।”
मायावती ने आगे कहा, "हाथरस की घटना में पीड़ित परिवार के साथ जिस तरह का गलत और अमानवीय व्यवहार किया गया, उसके लिए देश भर में काफी हंगामा और आक्रोश था। सरकार को गलती को सुधारने और पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने के लिए गंभीर होना चाहिए, अन्यथा जघन्य घटनाओं को रोकना मुश्किल होगा।”
Published: 06 Oct 2020, 6:14 PM IST
बता दें कि हाथरस जिले का एक गांव बुलगढ़ी 14 सितंबर को एक 19 वर्षीय महिला के साथ कथित तौर पर गैंगरेप और मारपीट के बाद से चर्चा में है। एक पखवाड़े बाद पीड़िता ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसके बाद उसके माता-पिता की सहमति के बिना पुलिस ने आधी रात को ही मृतका का आनन-फानन में दाह संस्कार कर दिया। इसके बाद इस मामले ने और तूल पकड़ लिया। अब उत्तर प्रदेश सरकार ने मामले में दायर एक पीआईएल पर सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि अराजकतावादी तत्व राज्य में सांप्रदायिक और जातिगत हिंसा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रहे थे, इसलिए उन्हें ऐसा करना पड़ा।
Published: 06 Oct 2020, 6:14 PM IST
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Published: 06 Oct 2020, 6:14 PM IST