देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक के महाघोटाले की आंच क्या अब केंद्र की मोदी सरकार की तरफ जाती दिख रही है? क्या किसी खास वजह से इस महाघोटाले की एफआईआर में पांच दिन की देरी की गई? क्या इस देरी के चलते ही नीरव मोदी देश से भागने में कामयाब रहा? क्या पंजाब नेशनल बैंक ने किसी खास दबाव के चलते इस मामले पर काफी दिनों तक पर्दा डाले रखा? यह वह सवाल हैं जो अब विपक्षी दल और एक्टिविस्ट उठा रहे हैं।
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कांग्रेस नेता और सांसद गौरव गोगोई ने सवाल उठाया है कि देश को यह जानने का अधिकार है कि किस आधार पर प्रधानमंत्री किसी विदेशी दौरे पर जाने वाले उद्योगपतियों का चुनाव करते हैं।
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प्रसिद्ध वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण ने इस मामले में सवाल उठाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा है कि क्या नीरव मोदी को भी विजय माल्या की तरह देश से भगाने में मदद की गई। उन्होंने ट्विटर पर लिखा है कि, “24 जनवरी 2018 को नीरव मोदी दावोस में प्रधानमंत्री के साथ नजर आया था। पीएनबी ने 2017 में हुए 280 करोड़ के घोटाले में पांच दिन इंतजार करने के बाद ही सीबीआई को इसकी जानकारी दी और सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की। तब तक नीरव मोदी भी विजय माल्या की तरह देश से भाग चुका था। अब हमें पता चल रहा है कि यह घोटाला तो 11000 करोड़ से ज्यादा का है। लेकिन पीएम कहते हैं कि सारे घोटाले कांग्रेस के शासन में हुए!”
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इसी तरह का सवाल सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी उठाया है। उन्होंने कहा है कि एक सप्ताह पहले तक तो नीरव मोदी प्रधानमंत्री के साथ था। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि, “अगर यह व्यक्ति 31 जनवरी को एफआईआर होने से पहले भारत से भाग चुका है, तो यह रही उसकी तस्वीर। एक सप्ताह पहले ही वह दावोस में प्रधानमंत्री के साथ था। मोदी सरकार को इस पर सफाई देनी चाहिए।”
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वहीं पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने भी इस मामले में सवाल उठाया है। उन्होंने नीरव मोदी के कुछ ताकतवर वरिष्ठ राजनेताओँ से नजदीकियों की बात की है और वहीं लिखा है कि आखिर किसने नीरव मोदी को देश से भागने की टिप दी थी।
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