क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह स्वीकार कर लिया है कि पाकिस्तान में जो एयर स्ट्राइक किया गया उसका नतीजा नहीं निकला? क्या प्रधानमंत्री देश की वायुसेना की ताकत को कमतर आंक रहे हैं? क्या प्रधानमंत्री ने मान लिया है कि पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई में भारत उनकी अगुवाई में नाकाम हो गया है? और सबसे बड़ा सवाल, जब देश के जांबाज़ अपने प्राणों को दांव पर लगाकर देश की रक्षा के लिए सामने आ रहे हैं, तो प्रधानमंत्री को अपने बयानों पर शर्म नहीं आती?
दरअसल शनिवार को प्रधानमंत्री ने एक न्यूज़ चैनल के कार्यक्रम में अप्रत्यक्ष रूप से माना कि पाकिस्तान के खिलाफ उनके शासन में उठाए गए कदम नाकाम साबित हुए हैं। उन्होंने कहा कि, “राफेल की कमी आज देश ने महसूस की है। आज हिंदुस्तान एक स्वर में कह रहा है, अगर राफेल होता तो शायद नतीजा कुछ और होता। राफेल पर पहले स्वार्थ नीति और अब राजनीति के कारण देश का बहुत नुकसान हुआ है।“
प्रधानमंत्री के इस बयान के यही निष्कर्ष निकाले जा सकते हैं कि भारत ने मिराज-2000 लड़ाकू विमानों से पाकिस्तान के बालाकोट में जो हमला किया वह नाकाम रहा। प्रधानमंत्री राफेल की कमी का जिक्र करते भूल गए कि देश के जांबाज़ वायुसेना पायलट विंग कमांडर अभिनंदन ने मिग-21 विमान से अपनी जान की बाज़ी लगाकर पाकिस्तान के अत्याधुनिक एफ-16 विमान को मार गिराया और दुर्भाग्यवश पाकिस्तानी सीमा में दुश्मनों के कब्जे में आ गए।
प्रधानमंत्री ने इस घटना का कोई जिक्र नहीं किया, लेकिन इसका जिक्र करके क्या प्रधानमंत्री ने वायुसेना के बेड़े में शामिल मिग-21 और सुखोई सीरीज के विमानों को कमतर नहीं आंका? क्या उन्होंने इस तरह देश की वायुसेना को हतोत्साहित करने का काम नहीं किया?
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एकदम जायज़ सवाल उठाया है कि यह सब बोलते हुए क्या उन्हें शर्म नहीं आई? राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि, “प्रिय प्रधानमंत्री जी, क्या आपको बिल्कुल शर्म नहीं आती? आपने 30,000 करोड़ चुराकर अपने मित्र अनिल को दिए। राफेल लड़ाकू विमानों के आने में देरी के लिए आप जिम्मेदार हैं। आपकी वजह से विंग कमांडर अभिनंदन जैसे वायुसेना के पायलटों की जान खतरे में पड़ रही है।”
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वहीं सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने भी प्रधानमंत्री को उनके बयानों के लिए आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि, “अगर मोदी कहते हैं कि नतीजा कुछ और होता, तो क्या वे कह रहे हैं कि उनके नेतृत्व में देश पाकिस्तान सामने नाकाम हुआ है? तो फिर वह सारे सरकारी बयान किस बारे में थे? हमारे बहादुर जवानों और पायलट का अपमान करना बंद करो मोदी जी।”
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येचुरी ने यह भी कहा कि, “वायुसेना ने 126 राफेल विमान मांगे थे, मोदी जी ने उनकी संख्या घटाकर 36 कर दी। इसके बाद भी कोई और लड़ाकू विमान अभी तक खरीदा नहीं गया। राफेल खरीदने में हुई देरी सिर्फ मोदी के नए फार्मूले के कारण हुई, क्योंकि वे इससे मित्रों को फायदा पहुंचाना चाहते थे।”
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येचुरी ने कहा कि, “हमारे बहादुर पायलटों और वायुसेना ने हमेशा देश के लिए शानदार काम किया है, और पिछला सप्ताह भी कुछ अलग नहीं था। लेकिन जब मोदी जी राष्ट्रीय सुरक्षा को राजनीतिक सस्तेपन से जोड़ते हैं, तो इससे देश की छवि बिगड़ती है और बहादुर जवानों का अपमान होता है।”
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