हरियाणा सरकार ने आखिर मान लिया है कि धान खरीद में 90 करोड़ का घोटाला हुआ है। राज्य की चावल मिलों की जांच में तकरीबन 42 हजार मीट्रिक टन धान कम पाया गया। यह बात राज्य सरकार ने तब मानी है जब तीन-तीन बार चावल मिलों की जांच हुई। प्रदेश में विधानसभा से लेकर सड़क तक छाए रहे धान खरीद घोटाले में सरकार ने कभी स्वीकार नहीं किया कि किसानों से खरीदे जा रहे धान में किसी तरह की कोई गड़बड़ है। यहां तक कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर खुद सरकार की खरीद एजेंसियों को क्लीन चिट देते रहे।
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सरकार ने बताया है कि स्टॉक की उपलब्धता और फर्जी धान खरीद की जांच करने के लिए राज्य में 1304 चावल मिलों का फिजिकल वेरिफिकेशन किया गया, जिसमें से 1207 राइस मिलों में 42,589 मीट्रिक टन (एमटी) की कमी पाई गई। राइस मिलों में 6440180.54 मीट्रिक टन के स्टॉक की जांच के लिए फिजिकल वेरिफिकेशन किया गया था। हालांकि, वेरिफिकेशन के बाद, मिलों में 6400400.28 मीट्रिक टन स्ट्रॉक पाया गया। वेरिफिकेशन के दौरान, 205 मिलों के स्टॉक में 5 टन तक कमी पाई गई। इसी तरह, 134 मिलों के स्टॉक में 5-10 टन तक, 248 मिलों में 10 से 25 टन तक, 325 मिलों में 25 से 50 टन तक और 295 मिलों के स्टॉक में 50 टन से अधिक की कमी पाई गई।
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खुद मुख्यमंत्री की नुमाइंदगी वाले शहर करनाल जिले में सबसे अधिक 284 मिलों के स्टॉक में कमी पाई गई है। उसके बाद कुरुक्षेत्र में 236 मिलों में, अंबाला में 185 मिलों में, फतेहाबाद में 168, यमुनानगर में 150 और कैथल में 115 मिलों के स्टॉक में कमी पाई गई है।
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हरियाणा सरकार के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास का कहना है, “जिन मिलों के स्टॉक में कमी पाई गई, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा जाएगा। जवाब मिलने के बाद गलत काम करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।” लेकिन सवाल इस बात का है कि धान खरीद में किसी भी तरह के घोटाले को हर मंच पर नकारती रही सरकार के मंत्री अब क्यों खामोश हैं। यहां तक की कृषि मंत्री जेपी दलाल ने जांच के बीच में ही कह दिया कि धान खरीद में कोई घोटाला नहीं हुआ है।
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पीके दास ने यह भी कहा कि अनियमितता की संवेदनशीलता के आधार पर एफआईआर दर्ज करने और ब्लैकलिस्ट करने जैसे अन्य विकल्प भी अमल में लाए जाएंगे। फिजिकल वेरिफिकेशन के लिए सरकार ने 300 टीमों को प्रतिनियुक्त किया गया था। वेरिफिकेशन के दौरान आवंटित धान, मिलों की मिलिंग क्षमता, मिलों के पास चावल की उपलब्धता और एफसीआई को दिये गए चावल और मिलों के पास बचे हुए धान स्टॉक का वेरिफिकेशन किया गया। एक सवाल का जवाब देते हुए, अतिरिक्त मुख्य सचिव ने कहा कि वेरिफिकेशन के संबंध में आज तक किसी भी राइस मिलर्स ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई है।
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हरियाणा के खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने कहा, “धान के स्टॉक को कहीं और ले जाने और धान की फर्जी खरीद से बचने के लिए खरीद तंत्र को और अधिक मजबूत करने और पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अब से धान को मंडियों से मिल परिसर तक पहुंचाने का कार्य विभाग और अन्य खरीद एजेंसियों की ओर से किया जाएगा और धान की ढुलाई के लिए उपयोग होने वाले ट्रकों को जीपीएस युक्त किया जाएगा, ताकि उनकी आवाजाही पर नजर रखी जा सके।”
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हालांकि सरकार की इस जांच के निष्कर्ष पर किसी को भरोसा नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक बार फिर धान घोटाले की सीबीआई से जांच की मांग की है। उन्होंने कहा, “अब तो सरकार की जांच में भी लगभग साफ हो गया है कि घोटाला हुआ है। लेकिन सरकार के मंत्री कोरी बयानबाजी करके कार्रवाई को टाल रहे हैं। इससे स्पष्ट है कि सरकार खुद दोषियों को बचाना चाह रही है। लेकिन प्रदेश की जनता भ्रष्टाचार के इस खेल को बख़ूबी समझ रही है।”
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वहीं इनेलो विधायक अभय चौटाला ने कहा, “सरकार राइस मिलर्स को तो अनावश्यक तौर पर प्रताड़ित कर रही है, जबकि यह घोटाला तो धान खरीद एजेंसियों की मिलीभगत से सरकार के अधिकारियों ने किया है। जिन खरीद एजेंसियों के अधिकारियों के खिलाफ जांच होनी थी, उन्हीं को सरकार ने जांच की जिम्मेदारी सौंप दी।” अभय चौटाला ने कहा कि इससे साफ है कि सरकार उन्हें बचाना चाहती है।
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इनेलो नेता ने कहा कि बड़े दुख की बात है कि कृषि मंत्री जेपी दलाल ने 25 नवंबर को बयान दिया था कि प्रदेश में कोई धान घोटाला नहीं हुआ और सभी आरोपों को निराधार बताया था, जबकि अब सरकार स्वयं मान रही है कि मिलर्स की जांच के बाद 40 हजार टन धान कम मिला है। हरियाणा कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष धान की बिजाई 12 लाख हेक्टेयर में की गई थी और लगभग 42 लाख मीट्रिक टन पैदावार का अनुमान था, परंतु हैरानी की बात है कि सरकारी खरीद एजेंसियों ने लगभग 70 लाख मीट्रिक टन की खरीद दिखाई गई है। सरकारी खरीद एजेंसियों के अधिकारियों ने व्यक्तिगत लाभ के लिए दूसरे प्रदेशों का धान खरीद कर मिलर्स को मिलिंग के लिए दे दिया।
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अभय चौटाला ने कहा, “इससे बड़ा और घोटाला है कि खरीद करते समय कागजों में धान की मात्रा ज्यादा दिखाई गई, जबकि वास्तव में मंडियों में उतना धान मौके पर मौजूद नहीं था। ज्यादा दिखाए गए धान की अदायगी करवाकर व्यापारियों के साथ मिलीभगत से सरकारी खजाने का दुरुपयोग किया गया।” इनेलो नेता ने मांग कि 2016 से लेकर अब तक हुई धान खरीद की किसी निष्पक्ष एजेंसी से जांच करवाकर सच्चाई सामने लाई जाए।
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