हरियाणा में अगस्त में करवाए गए सेरो सर्वे के नतीजे सामने आ गए हैं, जिसमें 8 प्रतिशत लोगों में कोरोना से लड़ने वाले एंटीबॉडी पाए गए हैं। इसका मतलब है कि राज्य में 8 फीसदी लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इससे साफ है कि प्रदेश के 92 फीसदी लोगों पर अभी कोरोना का खतरा बना हुआ है।
सेरो सर्वे के लिए पूरे राज्य से तकरीबन 19 हजार सैंपल लिए गए थे। इसमें शहरी आबादी ज्यादा प्रभावित मिली है। शहरों में 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 6.9 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाए गए हैं। एनसीआर के जिले सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। सबसे ज्यादा फरीदाबाद में 25.8 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी मिले हैं। इसके बाद गुरुग्राम में 10.8 , नूंह में 20.3 और सोनीपत में 13.3 प्रतिशत लोगों में इस महामारी से लड़ने की क्षमता मिली है।
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हरियाणा सरकार ने राज्य में जनसंख्या के आधार पर कोविड-19 के सेरो-प्रचलन (एंटीबॉडी) का पता लगाने के लिए अगस्त माह में एक सर्वे करवाया था। सेरो सर्वे करवाने का उद्देश्य सामुदायिक स्तर पर कोविड-19 के संक्रमण की पहचान करना तथा संक्रमण के फैलने की गति पर निगरानी रखना था।
सर्वे प्रदेश के सभी जिलों में डिपार्टमेंट ऑफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ तथा पीजीआईएमईआर चंडीगढ़ के सहयोग से करवाया गया है। सर्वे में प्रत्येक जिले के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों से 850 लोगों को शामिल किया गया। इसकी निगरानी और पर्यवेक्षण के लिए प्रत्येक जिले में एक नोडल अधिकारी नामित किया गया था। सरकार का कहना है कि सर्वे के अध्ययन से जो निष्कर्ष सामने आए हैं, वह हरियाणा में इस माहामारी की रोकथाम के लिए कदम उठाने व रणनीति बनाने में उपयोगी साबित होंगे। सभी सुरक्षा उपायों और अन्य प्रयोगशाला मानकों का पालन करते हुए पूरे राज्य में 18905 सैंपल एकत्रित किए गए थे।
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इसके अध्ययन से पता चला है कि राज्य में एसएआरएस-सीओवी-2 की सेरो-पॉजीटिविटी दर 8 प्रतिशत है। ग्रामीण आबादी के मुकाबले शहरी आबादी अधिक प्रभावित हुई है। शहरों में 9.6 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्र में 6.9 प्रतिशत सेरो-पॉजिटिविटी पाई गई है। इसके अलावा एनसीआर के जिलों में सेरो-पॉजिटिविटी अधिक पाई गई है। यह फरीदाबाद में 25.8 प्रतिशत, नूंह में 20.3 प्रतिशत, सोनीपत में 13.3 प्रतिशत, गुरुग्राम में 10.8 प्रतिशत मिली है। इसी प्रकार यह दर करनाल में 12.2 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 17.6 व ग्रमीण क्षेत्रों में 8.8 प्रतिशत) जींद में 11 प्रतिशत, कुरुक्षेत्र में 8.7 प्रतिशत, चरखी दादरी में 8.3 प्रतिशत और यमुनानगर में 8.3 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 5.9 प्रतिशत व ग्रमीण क्षेत्रों में 9.9 प्रतिशत) मिली है।
जिन जिलों में सेरो-पॉजीटिविटी दर राज्य की औसतन दर से कम पाई गई है, उनमें पानीपत में 7.4 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 7.8 प्रतिशत व ग्रामीण क्षेत्रों में 7.2 प्रतिशत), पलवल में 7.4 प्रतिशत, पंचकुला में 6.5 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 3.7 व ग्रमीण क्षेत्रों में 8.5 प्रतिशत), झज्जर में 5.9 प्रतिशत, अंबाला में 5.2 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 7.1 व ग्रमीण क्षेत्रों में 4.4 प्रतिशत), रेवाड़ी में 4.9 प्रतिशत, सिरसा में 3.6 प्रतिशत, हिसार में 3.4 प्रतिशत (शहरी क्षेत्रों में 2.3 व ग्रमीण क्षेत्रों में 4.4 प्रतिशत), फतेहाबाद में 3.3 प्रतिशत, भिवानी में 3.2 प्रतिशत, महेंद्रगढ़ में 2.8 प्रतिशत तथा कैथल में 1.7 प्रतिशत पाई गई है।
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स्वास्थ्य विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव अरोड़ा के मुताबिक हालांकि, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के जिलों में गैर-एनसीआर जिलों की तुलना में सेरो-पॉजिटिविटी दर अधिक पाई गई, जिसका मुख्य कारण शहरों में झुग्गियों, बहुमंजिला इमारतों में जनसंख्या का अधिक घनत्व और रोजाना बड़ी संख्या में लोगों की आवाजाही होना हो सकता है।
अध्ययन के निष्कर्षों में इस बात का भी उल्लेख है कि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में संक्रमण का जोखिम अधिक रहता है, जिसका अर्थ है कि जनसंख्या का एक बड़े हिस्से को स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर सुझाए गए कोविड-19 फैलने से बचने के एहतियाती उपायों का निरंतर पालन करना होगा।
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इसके अध्ययन हेतु सभी जिलों के शहरी क्षेत्रों में 350 और ग्रामीण क्षत्रों में 500 की आबादी कवर करते हुए प्रत्येक जिले से 850 नमूने एकत्र किए गए थे। इसके लिए रेंडम नमूनाकरण तकनीक इस्तेमाल की गई थी। पूरे राज्य में 16 कलस्टर बनाए गए थे, जिनमें 12 ग्रामीण क्षेत्र में और 4 शहरी क्षेत्र में थे। सरकार के मुताबिक चयनित व्यक्तियों की सहमति से रक्त के नमूने एकत्र किए गए।ध्यान देने योग्य बात यह है कि हरियाणा की 8 प्रतिशत जनसंख्या किसी न किसी स्थिति में कोविड-19 से प्रभावित हुई है और अब भी जनसंख्या के एक बड़े हिस्सा पर कोविड-19 के संक्रमण का खतरा बना हुआ है। जिस तेजी से वर्तमान में संक्रमण फैल रहा है, उसे देखते हुए सरकार के लिए चुनौती बेहद बड़ी है।
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