महिला एथलीट के यौन उत्पीड़न के आरोपों में घिरे हरियाणा सरकार के मंत्री संदीप सिंह की सरकारी कोठी पर केस दर्ज होने के पांचवें दिन आज एसआईटी पहुंची, लेकिन अपने पीछे सवालों की फेहरिस्त छोड़ गई। सवाल यह है कि पीड़िता से तो एसआईटी ने आठ-आठ घंटे थाने में बुलाकर उसे बिना कोई रेस्ट दिए पूछताछ की। लेकिन जब मंत्री की बारी आई तो उन्हें बिना कोई तकलीफ दिए घर पहुंच गई और सवालों की फेहरिस्त देकर लौट आई। जांच के दौरान चल रहा यह घटनाक्रम सामान्य नहीं है और हर सवाल की सुई खट्टर सरकार और पुलिस की तरफ जाकर ही अटक रही है।
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सेक्सुअल हरासमेंट के आरोपों की जांच के लिए बुधवार को दोपहर तकरीबन 1 बजे चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी हरियाणा सरकार में मंत्री रहे संदीप सिंह की सेक्टर-7 स्थित सरकारी कोठी में पहुंची। महिला एथलीट को भी संदीप सिंह की कोठी में लाया गया, जो तकरीबन वहां 20-25 मिनट रही। इससे पहले सुबह महिला एथलीट का 164 के तहत मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज हुआ। ऐसा माना जा रहा है कि एसआईटी ने संदीप सिंह की कोठी में क्राइम सीन को रिक्रिएट किया है। एसआईटी 1 बजे से लेकर तकरीबन साढ़े पांच बजे तक मंत्री की कोठी पर रही।
लेकिन एसआईटी के संदीप सिंह की कोठी पर पहुंचने के साथ गंभीर सवाल उठे हैं कि पीडि़ता से पूछताछ तो थाने में बुलाकर घंटों की गई और जब मंत्री की बारी आई तो एसआईटी सम्मान के साथ उनकी कोठी पर पहुंच गई। सवाल उठता है कि जब पीडि़ता को थाने बुलाया गया तो मंत्री को थाने में बुलाकर पूछताछ क्यों नहीं की गई। क्या चंडीगढ़ पुलिस की एसआईटी भी किसी भारी दबाव में काम कर रही है।
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मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान दर्ज करवाने के बाद महिला एथलीट ने भी एक बार फिर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। महिला एथलीट ने कहा कि आज पांचवीं बार बुलाकर मेरी स्टेटमेंट ली गई है। 164 के तहत मेरे बयान लिए गए हैं। संदीप सिंह से पूछताछ के सवाल पर पीड़िता ने कहा कि जांच तो ऑलरेडी लेट चल रही है। उन्हें तो दो दिन पहले ही गिरफ्तार कर लेना चाहिए था। पर कोई बात नहीं अब जल्दी से जल्दी गिरफ्तारी हो। वह इस्तीफा दें। महिला एथलीट ने कहा कि मेरे सारे बयान हो चुके हैं और मैंने अपनी तरफ से पूरा कोआपरेट किया है। पांच बार लगातार मैं अपने स्टेटमेंट दे चुकी हूं। आठ-आठ, नौ-नौ घंटे बिना किसी रेस्ट के सवाल हो चुके हैं। मेरी तरफ से जितना हो पा रहा है इन्वेस्टिगेशन में मैंने मदद की है। यहां तक कि मैंने अपना फोन भी उन्हें सीज करा दिया है। यह कहते हुए सरकार और पुलिस के रवैये पर पीड़िता का दर्द साफ छलक रहा था।
वहीं, पीड़िता के वकील दीपांशू बंसल ने सवाल उठाया कि इन्हें तो थाने बुलाया गया और उनके घर जा रही है पुलिस। आखिर इसके पीछे क्या संदेश है। बिना किसी देरी के संदीप सिंह को अरेस्ट किया जाना चाहिए। वकील ने कहा कि पीड़िता का तो फोन भी सीज कर लिया और मंत्री का फोन भी अभी तक सीज नहीं किया है। वह एवीडेंस के साथ कोई भी टेंपरिंग कर सकते हैं। लिहाजा, बिना किसी देरी के उन्हें अरेस्ट किया जाए। साथ ही दीपांशू बंसल ने कहा कि उन्हें मंत्री पद से हटाया जाए। वकील ने कहा कि हरियाणा सरकार ने पहले एसआईटी बनाई, लेकिन अब उसका नाम बदलकर फैक्ट फाइंडिंग कमेटी कर दिया गया है, जिसके बाद उस एसआईटी का प्रभाव कुछ कम हुआ नहीं तो हरियाणा पुलिस ने इतना दबाव इनके उपर बना दिया था कि जिससे यह अपनी बात ही कहीं न रख पाएं।
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वकील ने कहा कि आज यह भी सबसे बड़ी चीज है कि हरियाणा सरकार कानून की धज्जियां उड़ा रही है। किस कानून के तहत और किस व्यक्ति के आदेश से वह एसआईटी बनी इसकी जांच भी किया जानी बड़ा जरूरी है। हमने पुलिस से कहा है कि संदीप सिंह को अरेस्ट करो। अरेस्ट क्यों नहीं कर रहे जब नॉन बेलेबल धाराएं लगी हुई हैं। पीड़िता की कंप्लेंट में रेप अटेम्ट साफ मेंशन किया हुआ है। फिर भी क्यों नहीं धारा 376 लगाई गई। क्यों नहीं संदीप सिंह को अरेस्ट किया गया। दीपांशू बंसल ने कहा कि इस मामले मेंं हरियाणा के मुख्यमंत्री ने गैरजिम्मेदाराना बयान साफ तौर पर जांच को टेंपर करने के लिए और दबाव बनाने के लिए दिए हैं।
गौरतलब है कि एक दिन पहले मंगलवार को महिला एथलीट से चंडीगढ़ के सेक्टर 26 थाने में एसआईटी ने 8 घंटे से अधिक बिना किसी ब्रेक के पूछताछ की थी। मीडिया के काफी हंगामे के बाद महिला एथलीट को थाने के बाहर ब्रीफ करने के लिए लाया गया था, जिसमें भी साफ तौर पर पुलिस के दबाव डालने की बात सामने आई थी।
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