बारह दिनों की परीक्षा में 9 पेपर आउट हो जाए। इतनी दुर्गति तो बोर्ड परीक्षाओं में बिहार की भी कभी नहीं हुई। जी हां, यह हुआ है हरियाणा की दसवीं और बारहवीं की परीक्षाओं में। और यह सब तब हुआ जब परीक्षा को कदाचार मुक्त रखने के लिए पुलिस-प्रशासन और शिक्षा विभाग की पूरी फौज लगाई गई थी, यहां तक कि रैपिड एक्शन फोर्स भी।
इन सबके बावजूद न केवल प्रश्न पत्र केंद्र से बाहर आए बल्कि परीक्षार्थियों के करीबी रिश्तेदारों ने स्कूलों की दीवारें और छतें लांघकर खूब पर्चे पहुंचाए। इम्तेहान के दौरान अंदर या बाहर से पर्चेबाजी न हो, इसके लिए मुख्य सचिव ने प्रदेश के सभी उपायुक्तों और पुलिस अधीक्षकों को विशेष निर्देश दिए थे। केंद्रों के इर्द-गिर्द धारा 144 लगाई गई। लेकिन 4 मार्च से परीक्षा शुरू होते ही तमाम व्यवस्थाएं धराशायी हो गईं।
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सूबे के तकरीबन किसी भी सेंटर पर ऐसा दिखा ही नहीं कि यहां नकलमुक्त परीक्षा ली जा रही है। केंद्र के अंदर बंटने के कुछ देर बाद ही प्रश्नपत्र वाट्सएप के जरिये आउट हो जाते थे। इसकी वजह से परीक्षा के पहले दिन प्रदेश भर से 175 नकलची पकड़े गए और चार परीक्षा केंद्र रद्द करने पड़े। पानीपत के इसराना में तो प्रश्न पत्र बंटने के मात्र पंद्रह मिनट बाद ही पेपर आउट हो गया था।
इसी तरह 5 मार्च के री-एपीयर और मुक्त विद्यालय के सामाजिक विज्ञान के पेपर में नकल के 309 मामले बने और 15 सुपरवाइजरों को डयूटी से मुक्त किया गया। 13 मार्च को 154 नकलची पकड़े गए और दो परीक्षा केंद्रों की परीक्षाएं रद्द करनी पड़ी और परीक्षा कराने में लगे 9 सरकारी कर्मियों को ड्यूटी से हटाया गया।
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हरियाणा के पूर्व मंत्री और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला कहते हैं कि बारह दिनों की परीक्षाओं में नौ पेपर लीक होने का पहली बार कीर्तिमान बना है। 15 मार्च को हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग की सहायक लाइनमैन की परीक्षा होनी थी। सुरजेवाला कहते हैं कि कोरोना वायरस का बहाना बनाकर दरअसल इसे इसलिए रद्द कर दिया गया कि इसके पेपर भी लीक हो गए थे।वहीं शिक्षा मंत्री कंवरपाल और हरियाणा विद्यालय बोर्ड के सचिव राजीव प्रसाद मानते हैं कि इस बार नकलचियों का कुछ ज्यादा जोर है और पर्चा लीक कराने वालों की धरपकड़ की कारवाई जा रही है।
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वैसे, हकीकत यह भी है कि खट्टर सरकार में शिक्षा का स्तर गिरा है। साल 2014 की बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट 60.84 प्रतिशत था। उसके बाद से रिजल्ट में कोई सुधार नहीं आया है। साल 2019 में दसवीं बोर्ड की परीक्षा परिणाम 57.39 था। इसमें गुरुग्राम जैसा हाईफाई जिले की रैंकिंग 8वीं और 19वीं थी। इसमें फरीदाबाद 20 और इससे टूटकर बना जिला पलवल आखिरी स्थान पर था।
बता दें कि प्रदेश में कुल 14 हजार 373 स्कूल हैं, जिनके लिए शिक्षकों के स्वीकृत पद एक लाख 28 हजार 791 हैं। इनमें से 52 हजार पद खाली हैं। साढ़ तीन हजार से ज्यादा स्कूल ऐसे हैं जो बिना मुखिया के चल रहे हैं। वैकल्पिक तौर पर प्रदेश में साढ़े 13 हजार अतिथि अध्यापक काम कर रहे हैं। केवल रेवाड़ी में 130 से अधिक स्कूल एक शिक्षक के बूते चल रहे हैं। स्कूलों में जब पढ़ाई होगी ही नहीं, तो, ऐसे में, परीक्षा में नकल तो होगी ही।
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