हरियाणा में बर्ड फ्लू की पुष्टि हो गई है। राज्य सरकार ने पंचकूला के दो पोल्ट्री फार्मों के पक्षियों में ‘एवियन इन्फ्लुएंजा’ (एच5 एन8) मिलने पर उनके एक किलोमीटर की परिधि में संक्रमित-जोन और एक से 10 किलोमीटर के क्षेत्र में सर्विलांस-जोन घोषित कर दिया है। अब इन क्षेत्रों से न तो कोई पक्षी और न ही अंडा और न ही खाने का दाना बाहर जाएगा। बीमारी को अन्य क्षेत्र में फैलने से रोकने के लिए विशेषज्ञों की देखरेख में संक्रमित-जोन के अंदर आने वाले पांच पोल्ट्री फार्मों के 1,66,128 पक्षियों को मारा जाएगा।
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कुछ दिन पहले ही पंचकूला में 4 लाख से ज्यादा पोल्ट्री की मौत से हड़कंप मच गया था, जिसके बाद मृत मुर्गियों के सैंपल जांच के लिए भेजे गए थे। पहले जालंधर में एक लैब में इन पक्षियों के सैंपल भेजे गए थे, परंतु वहां से रिपोर्ट न मिलने के कारण बाद में सैंपल भोपाल की एक लैब में भेजे गए। रिपोर्ट में दो पोल्ट्री फार्मों के पक्षियों में ‘एवियन इन्फ्लुएंजा’ (एच5 एन8) मिलने की पुष्टि हुई है। हरियाणा सरकार का कहना है कि बर्ड-फ्लू की यह स्ट्रेन ज्यादा घातक नहीं है, फिर भी एहतियातन पंचकूला के प्रभावित पोल्ट्री फार्मों के लिए अधिसूचना जारी कर दी है।
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बरवाला क्षेत्र को, जहां ये पोल्ट्री फार्म स्थित हैं, पोल्ट्री व्यवसाय के लिए एशिया के एक बड़े केंद्र के तौर पर जाना जाता है। यहां से कई राज्यों में अंडों की सप्लाई होती है। अभी कोरोना से यहां के व्यवसायी उबरे भी नहीं थे कि बर्ड फ्लू की गाज इन पर गिरी है। अब राज्य सरकार ने ‘एवियन इन्फ्लुएंजा’ (एच5 एन8) से संक्रमित पंचकूला जिले के गांव खेड़ी स्थित ‘सिद्धार्थ पोल्ट्री फार्म’ और गांव गनौली स्थित ‘नेचर पोल्ट्री फार्म, डंडलावर’ के एक किलोमीटर तक के क्षेत्र को ‘इन्फेक्टेड जोन’ और एक से 10 किलोमीटर के क्षेत्र को ‘सर्विलांस जोन’ घोषित किया गया है।
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इस क्षेत्र से अब एवियन-प्रजाति के पक्षी, अंडे आदि दूसरे क्षेत्र में भेजने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, ताकि बीमारी को फैलने से रोका जा सके। इसके लिए संक्रमित क्षेत्र में चेक-पोस्ट बनाए गए हैं। प्रभावित क्षेत्र में पांच पोल्ट्री फार्म हैं, जिनमें 1,66,128 पोल्ट्री पक्षी हैं। इन सभी को केंद्र की गाइडलाइन के मुताबिक मार कर जमीन में दबा दिया जाएगा। इसके लिए 59 टीमों का गठन किया गया है। इन पोल्ट्री-फार्मों में कार्य करने वाले कर्मचारियों और मालिकों के स्वास्थ्य की भी जांच की जाएगी। राज्य के जींद और सफीदों आदि क्षेत्रों, जहां पर पोल्ट्री फार्म ज्यादा हैं, वहां पर भी नजर रखी जा रही है।
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पशुपालन और डेयरी मंत्री जयप्रकाश दलाल ने कहा कि रोग मुक्त क्षेत्रों में पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों को सही तरीके से पकाकर खाया जा सकता है। एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस गर्मी के प्रति संवेदनशील है। भारत में खाना पकाने के लिए उपयोग किए जाने वाला सामान्य तापमान (भोजन के सभी भागों के लिए 70 डिग्री सेल्सियस) वायरस को मार सकता है। पोल्ट्री का उपभोग करने से पहले उपभोक्ताओं को यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि पोल्ट्री या अंडे के सभी भाग पूरी तरह से पके हुए हैं या नहीं। पोल्ट्री और पोल्ट्री उत्पादों को कभी भी कच्चे खाए जाने वाले पदार्थों के साथ मिलाकर खाने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। मंत्री ने बताया कि आज तक कोई भी ऐसा सबूत नहीं है कि एवियन इन्फ्लूएंजा से दूषित होने के बावजूद अच्छी तरह से पकाए गए पोल्ट्री या पोल्ट्री उत्पादों को खाने के बाद कोई व्यक्ति संक्रमित हो गया है।
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