देश की राजधानी दिल्ली की सीमा पर चारों तरफ किसान धरने पर बैठे हैं और हरियाणा के राज्यपाल ने प्रदेश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के विधायकों को इस विषय पर चर्चा करने के लिए मिलने तक का समय नहीं दिया। कांग्रेस ने राज्यपाल को पत्र लिखकर विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की भी मांग की थी, लेकिन इसका भी आज तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। यह खुलासा करते हुए नेता विरोधी दल और राज्य के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कई गंभीर सवाल उठाए हैं।
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पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की अध्यक्षता में गुरुवार को चंडीगढ़ में कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई। बैठक में केंद्र के तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलनरत किसानों के समर्थन में एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में कहा गया कि किसानों की मांगें पूरी तरह जायज हैं। यह आंदोलन पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक और शांतिप्रिय तरीके से चल रहा है। निश्चित तौर पर किसान संगठन आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन एक जिम्मेदार विपक्ष के तौर पर तमाम कांग्रेस विधायक और पार्टी किसानों का समर्थन करती है।
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बैठक के बाद हुड्डा ने कहा कि 36 दिनों से प्रदेश का अन्नदाता आंदोलनरत है। वह दिल्ली बॉर्डर समेत पूरे प्रदेश में कड़कड़ाती ठंड में खुले आसमान के नीचे धरना दे रहा है। 36 दिनों में 42 किसानों की जान जा चुकी है। ऐसे गंभीर हालात में किसानों के मुद्दे पर चर्चा जरूरी है। इसलिए हमने 7 दिसंबर को महामहिम राज्यपाल के नाम एक पत्र लिखा था, जिसमें विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने की मांग की गई थी। लेकिन राज्यपाल ने आज तक उस मांग को नहीं माना। इतना ही नहीं राज्यपाल ने कांग्रेस विधायकों से मिलने से भी इंकार कर दिया, वह भी बिना कोई कारण बताए।
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हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में ऐसा पहली बार देखा है कि राज्यपाल इस तरह विपक्ष से मिलने से इंकार कर रहे हैं। विधायक दल की बैठक के बाद उन्होंने फिर से राज्यपाल को एक पत्र लिखा है और जल्द विधानसभा सत्र बुलाने की मांग की है। हुड्डा ने कहा कि हालात ऐसे हो चले हैं कि राज्यपाल अपनी संवैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करके सत्र नहीं बुला रहे हैं और गठबंधन सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने से भाग रही है। क्योंकि यह सरकार जनता और विधायकों का विश्वास खो चुकी है।
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नेता विपक्ष हुड्डा ने कहा कि 2 महीने में इस सरकार को दो बड़े झटके लग चुके हैं। बरौदा उपचुनाव के बाद गठबंधन को स्थानीय निकाय चुनावों में भी करारी हार का सामना करना पड़ा है। निकाय चुनावों में 7 में बीजेपी को सिर्फ 2 में जीत मिली और उसकी सहयोगी जेजेपी पूरी तरह साफ हो गई। जबकि सोनीपत में कांग्रेस उम्मीदवार ने प्रदेश की सबसे बड़ी जीत दर्ज की। वहीं, उकलाना, सांपला और धारूहेड़ा में कांग्रेस समर्थक उम्मीदवारों ने बीजेपी को मात देकर जीत हासिल की। हुड्डा ने कहा कि इन नतीजों से साफ है कि ग्रामीण मतदाताओं के बाद अब शहरी मतदाताओं ने भी बीजेपी-जेजेपी को नकार दिया है। बरौदा के बाद स्थानीय निकाय के नतीजों से साफ है कि जनता अब परिवर्तन के मूड में है और हरियाणा से बीजेपी-जेजेपी जा रही हैं।
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