हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने वित्त मंत्री के तौर पर अब तक की सबसे लंबी स्पीच देते हुए 2020-21 का बजट विधानसभा में पेश किया। 68 पेज का बजट दस्तावेज , तकरीबन पौने तीन घंटे का लंबा भाषण और 302 बिंदुओं में विस्तार से दिया गया बजट अनुमान प्रदेश के कर्ज के जाल में फंसने की गवाही दे रहा है। राज्य के सबसे बड़े सवाल रोजगार के मसले पर बजट खामोश है। उद्योग और कृषि पर कोई स्पष्ट तस्वीर नहीं है।
इस बार के बजट में पिछले वर्ष के 1.32 लाख करोड़ की तुलना में तकरीबन 1.42 लाख करोड़ का बजट पेश करते हुए मुख्यमंत्री की ओर से राज्य पर बढ़ने वाले कर्ज की दिखाई गई तस्वीर चिंता की गंभीर लकीर खींचती है। वर्ष 2019-20 में 176832 करोड़ के कर्ज में डूबा प्रदेश 2020-21 में 198700 करोड़ के बोझ से दबा होगा। प्रदेश में कर्ज के बढ़ते बोझ का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि 2014-15 में यह महज 70931 करोड़ था। यही वह वर्ष था जब बीजेपी ने राज्य की बागडोर संभाली थी। इसके बाद से अब तक करीब 20 से 30 हजार करोड़ के बीच राज्य पर यह कर्ज बढ़ रहा है।
बजट पेश करने के बाद मीडिया से रूबरू हुए मुख्यमंत्री से यही सवाल पूछा गया कि क्या राज्य कर्ज आधारित अर्थव्यवस्था में तब्दील हो रहा है। जवाब दिलचस्प था। यह कहा गया कि यदि हम ज्यादा कर्ज नहीं लेंगे, ज्यादा इनवेस्ट नहीं करेंगे तो राज्य अधिक गति से विकास कैसे करेगा। इस तर्क को पुख्ता करने के लिए अमेरिका और जापान जैसे देशों का उदाहरण देते हुए कहा गया कि वहां जीएसडीपी का 300 और 200 प्रतिशत तक कर्ज है, लेकिन बह बताते हुए वह भूल गए कि यह हरियाणा है।
देश में सर्वाधिक तकरीबन 28 फीसदी बेरोजगारी के साथ अव्वल प्रदेश की इस सबसे गंभीर समस्या से सरकार बजट में पूरी तरह से बचकर निकल गई है। रोजगार के सिलसिले में कहा गया है कि सरकार एक रोजगार पोर्टल और कॉल सेंटर स्थापित करेगी, जिनके जरिये युवाओं का विवरण और सूचनाएं प्रेषित की जाएंगी। 2020-21 में सरकार 25000 उम्मीदवारों को निजी क्षेत्र में रोजगार के अवसरों से जोड़ने का वादा कर रही है। साथ ही विशेष कोचिंग और प्रशिक्षण के जरिये अगले दो वर्ष में सरकार ने कम से कम एक लाख उम्मीदवारों को हरियाणा और राज्य से बाहर सरकारी नौकरियों से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
लेकिन, पिछले वर्ष प्रदेश में रोजगार की स्थिति क्या रही इसका कोई जिक्र नहीं है। हालांकि पिछले साल यानी 2019-20 के बजट अनुमान में ओला और उबर में ड्राइवर की नौकरी पाने वाले युवाओं को भी सरकार की उपलब्धि के तौर पर पेश किया गया था।
किसानों के मसले पर भी सरकार के बजट दस्तावेज में नया कुछ नहीं है। पिंजौर, गुरुग्राम और सोनीपत में मंडी बनाने, फसलों की भावांतर भरपाई योजना का विस्तार और सॉयल हेल्थ कार्ड जैसी बातों का उल्लेख महज बातों का दोहराव है।
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प्रदेश की तीसरी सबसे बड़ी समस्या बदहाल उद्योग-धंधों से जुड़ी बात को महज चार बिंदुओं में समेट दिया गया है। दावा किया गया है कि कारोबारी सुगमता रैंकिंग में हरियाणा तीसरे स्थान पर है। 2018-19 में निर्यात लगभग 98,570.24 करोड़ रहा। हजारों की तादाद में बंद हुए उद्योग और छोटा करोबार व बेरोजगार हुए लोगों पर बजट खामोश है। देश की जीडीपी से तुलना करते हुए बताया गया है कि 2019-20 में भारतवर्ष का सकल घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्यों पर 204.42 लाख करोड़ रहने का जहां अनुमान है वहीं हरियाणा की जीएसडीपी 8.32 लाख करोड़ रुपये रहेगी।
दावा किया गया है कि 2014-15 से 2018-19 के दौरान हरियाणा की प्रतिव्यक्ति आय में 35.49 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2018-19 में स्थिर मूल्यों पर 1,69,409 रुपये की तुलना में 2019-20 में इसे 1,80,026 रुपये होने का अनुमान जताया गया है। वर्तमान मूल्यों में इसके 2,64,207 रुपये होने का दावा किया गया है, लेकिन फरीदाबाद और गुरुग्राम को इस उजले पक्ष से यदि निकाल दें तो राज्य में बचने वाली प्रति व्यक्ति आय के सवाल पर सरकार चुप्पी साध लेती है।
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पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कहना है कि प्रदेश को कर्ज में डुबोने और विकास को धक्का पहुंचाने वाला है यह बजट। उन्होंने कहा कि बीजेपी ने तमाम रिकॉर्ड तोड़ते हुए प्रदेश को 1 लाख 98 हजार 700 करोड़ के कर्ज तले दबा दिया है। इसका मतलब हरियाणा में हर बच्चा करीब 80 हज़ार रुपये का कर्ज सिर पर लेकर पैदा होता है। हरियाणा बनने से लेकर 2014 तक तमाम सरकारों ने जितना कर्ज लिया था, उससे भी तीन गुना ज़्यादा कर्ज अकेले इस सरकार ने लिया है।
उन्होंने कहा कि, कांग्रेस सरकार में महज़ 61 हज़ार करोड़ कर्ज लेने पर बीजेपी ने सवाल उठाए थे। इस सरकार को कर्ज पर श्वेत पत्र जारी कर बताना चाहिए कि ये राशि कहां इस्तेमाल हुई। इतना कर्ज बढ़ना समझ से परे है। क्योंकि बीजेपी सरकार के दौरान प्रदेश में कोई बड़ी परियोजना, कोई बड़ा संस्थान, कोई नई मेट्रो लाइन, रेलवे लाइन, कोई नया पावर प्लांट या बड़ा उद्योग नहीं आया।
भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि बजट की 30 फीसदी राशि तो कर्ज का ब्याज और मूल देने में चली जाती है। आज हरियाणा पूरे देश में सबसे ज़्यादा बेरोज़गारी झेल रहा है। इससे पार पाने के लिए बजट में कोई विशेष ऐलान नहीं किया गया। भावांतर भरपाई के बजट पर सवाल उठाते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि ये ऊंट के मुंह में जीरे जितना है।
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हरियाणा प्रदेश व्यापार मंडल के अध्यक्ष व अखिल भारतीय व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव बजरंग गर्ग ने कहा है कि कि इस बजट से प्रदेश के व्यापारी व उद्योगपतियों को निराशा हाथ लगी हैं। उम्मीद थी की बजट में सरकार प्रदेश के व्यापार व उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ज्यादा से ज्यादा रियायतें देगी। युवाओं को रोजगार देने के लिए व्यापार व उद्योग को बढ़ाएगी, लेकिन बजट में कोई प्रवधान ना करने से युवाओं में भी खासी नाराजगी है। बजरंग गर्ग का कहना है कि जीएसटी लगाने के बाद एक देश, एक टैक्स प्रणाली के तहत मार्केट फीस समाप्त होनी चाहिए थी। ऐसा न करने से प्रदेश के किसानों व आढ़तियों में भी भारी रोष है।
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