पंजाब और हरियाणा के किसान शंभू बॉर्डर पर दिल्ली मार्च के लिए अड़े हुए हैं। वहीं सुरक्षा बल किसानों के ऊपर आंसू गैस के गोले दागर उन्हें आगे बढ़ने नहीं दे रहे हैं। किसान और जवान आमने सामने हैं। इस बीच किसान संगठनों और सरकार के बीच आज फिर वार्ता होने वाली है। इससे पहले चंडीगढ़ में हुई वार्ता बेनतीजा रही थी। इन सबके बीच किसानों ने हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सरकार ताकत के दम पर किसानों के आंदोलन को कुचल देना चाहती है? सरकार की मंशा पर शक करने की कई वजहें हैं। शंभू बार्डर पर सिर्फ आंसू गैस के गोले नहीं बल्कि एसएलआर (सेल्फ लोडिंग राइफल से भी फायरिंग की गई है। किसान एसएलआर के खाली कारतूस दिखाते हुए यह दावा कर रहे हैं। वायरल हो रहे एक वीडियो में दिल्ली कूच रोकने के लिए तैनात पुलिस के जवानों को एक डीसीपी लेवल का पुलिस अफसर आदेश दे रहा है कि किसानों को लठ नहीं मारने, उन्हें खोद मारनी (निशान पड़ जाए) है। सोनीपत में एक पुलिस अधिकारी यकीन के साथ कह रहा है कि किसानों के मसले का शंभू बार्डर पर ही निबटारा हो जाएगा। गृह मंत्री अनिल विज किसानों की मंशा पर ही शक जताते हुए एक्शन की बात कर रहे हैं।
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दिल्ली कूच पर अडिग किसानों की 15-14 फरवरी की रात शंभू बार्डर पर ही गुजरी। हरियाणा पुलिस ने रात में सो रहे किसानों को भी नहीं बख्शा। रातभर वह आंसू गैस के गोले दागती रही, जिसके खौफ के साये में किसान सो भी नहीं पाए। 14 फरवरी को फिर सुबह का आगाज होते ही आंसू गैस के गोले बरसने लगे। मीडिया के लोग भी इस बात से हैरान थे कि खामोश किसानों पर भी हरियाणा की पुलिस आंसू गैस के गोले बरसा रही है। किसान मजदूर मोर्चा के कोऑर्डिनेटर सरवण सिंह पंधेर ने खाली कारतूस दिखाते हुए दावा किया कि एसएलआर से भी फायरिंग की गई है। कुछ और किसान भी एसएलआर के खाली कारतूस दिखा रहे थे। पंधेर ने प्लास्टिक और रबर के आंसू गैस के खाली गोले भी दिखाए। साथ ही केंद्रीय सुरक्षा बलों की ओर से दागा गया खाली गोला दिखाया। पूरे दिन नॉन स्टॉप गोले फायर किए जाते रहे, जिससे शंभू बार्डर धुएं के गुबार में डूबा रहा। एक तरफ किसान ऐलान करते रहे कि हमें शांतिपूर्वक रहना है। कोई ऐसा काम नहीं करना है, जिससे सरकार को अपना दमनचक्र बढ़ाने का अवसर मिले। दूसरी तरफ आंसू गैस गोले बरसते रहे। किसान इनका असर कम करने के लिए पानी का स्प्रे करते रहे।
सरवण सिंह पंधेर का दर्द भी छलका। उन्होंने कहा कि हमें फिर आतंकवादी-खालिस्तानी कहने की शुरुआत हो गई है। हमारे साथ फिर कांग्रेस का समर्थन होने-आम आदमी पार्टी का समर्थन होने के आरोप लगने लगे हैं। लेकिन हम सिर्फ एक किसान हैं। शांतिपूर्व आंदोलन हमारा अधिकार है। पंधेर ने कहा कि पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने भी कहा है कि उन्हें रोका नहीं जा सकता। यह उनका लोकतांत्रिक अधिकार है। शंभू बार्डर पर किसानों का हुजूम है। 13 फरवरी को हरियाणा पुलिस के बरपे कहर को देखकर न सिर्फ पूरे पंजाब से और किसान जत्थेबंदियां शंभू बार्डर पहुंच चुकी हैं, बल्कि हरियाणा के किसान भी खुलकर समर्थन में कूद पड़े हैं। शंभू बार्डर पर पंजाब की तरफ 4 से 5 किलोमीटर तक जिधर नजर डालो किसान ही किसान हैं। किसानों का यह हुजूम देखकर एक बात बिल्कुल साफ हो गई कि किसानों का मकसद एक है। कैसे भी उन्हें दिल्ली पहुंचना है। एमएसपी की गारंटी का कानून उन्हें बनवाना है। किसानों का कहना है कि यह उनका हक है। किसानों का यही संकल्प इस बात की तस्दीक कर रहा है कि वह बिना मंजिल हासिल किए पीछे हटने वाले नहीं हैं।
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सरवण सिंह पंधेर ने बीजेपी सरकार से अनुरोध किया है कि वह जो व्यवहार कर रही है वह बंद करे और हमें दिल्ली जाने के लिए रास्ता दे। उन्होंने कहा कि उनका मकसद बैरीकेड तोड़ना नहीं है। वह तो लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात कहना चाहते हैं। किसानों की तरफ से किसी भी तरह की पत्थरबाजी की बात को भी उन्होंने पूरी तरह नकारा। पंधेर ने कहा कि अपवादस्वरूप किसी ने पत्थर फेंक दिया हो वह अलग बात है। दिन में ऐलान किया गया कि वह शाम तक सरकार की चिट्ठी का इंतजार करेंगे। बात नहीं बनने पर दिल्ली कूच का ऐलान कर देंगे। सरकार की किसान संगठनों में दो-फाड़ होने का फायदा उठाने की मंशा पर कुठाराघात होता दिख रहा है।
संयुक्त किसान मोर्चा का हिस्सा रहे भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) चढ़ूनी गुट के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी अब इसमें कूद पड़े हैं। भाकियू(चढ़ूनी) की कोर कमेटी की आपात मीटिंग बुलाई गई। इसमें आंदोलनरत किसानों की मांगों का समर्थन किया गया। साथ ही आंदोलन को कुचलने के लिए अपनाए जा रहे अमानवीय और असंवैधानिक तरीको की निंदा की गई। चढ़ूनी ने कहा कि आंदोलनरत किसान अपने ही भारत देश के किसान हैं किंतु सरकार किसी दुश्मन देश के सैनिकों की तरह किसानों से व्यवहार कर रही है। सड़कों पर कील, दीवार और बैरिकेड लगाकर राइट टू फ्री मूवमेंट का अधिकार किसानों से छीन रही है। 15 फरवरी को चढ़ूनी गांव में फिर आपातकालीन मीटिंग बुलाई गई है, जिसमें आंदोलन की मौजूदा स्थिति और आगामी रणनीति बनाई जाएगी।
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वहीं, शंभू, खनौरी और डबवाली बॉर्डर पर पैदा हुई टकराव की स्थिति के खिलाफ अभी तक आंदोलन से अलग रही पंजाब की बड़ी किसान यूनियनें भी उतर आई हैं। पंजाब के सबसे बड़े किसान संगठन भारतीय किसान यूनियन (भाकियू उगराहां) आज पंजाब में दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक रेलवे ट्रैक जाम करेंगे। बीकेयू उगराहां के नेता जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा है कि वह किसानों की मांगों का समर्थन करते हैं। ताजा टकराव को देखते हुए 15 फरवरी को दोपहर 12 से शाम 4 बजे तक रेल रोको आंदोलन होगा। संयुक्त किसान मोर्चा ने पंजाब के सारे टोल फ्री करने का ऐलान कर दिया है। साथ ही यह भी कहा है कि अगर जल्द ही बात नहीं बनी तो 18 फरवरी को आंदोलन के लिए एक बड़ी रणनीति बनाई जाएगी।
किसानों के समर्थन में निहंग भी आ गए हैं। भाई तारू सिंह जी पूहला तरना दल के मुखी निहंग संगठन के प्रमुख बाबा रणजीत सिंह ने गुरदासपुर में किसानों के समर्थन का ऐलान किया। उन्होंने ड्रोन से किसानों पर आंसू गैस के गोले छोड़ जख्मी करने को गैरकानूनी करार दिया। उन्होंने कहा कि 16 के बंद में वह भी समर्थन करेंगे।
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एक पुलिस अधिकारी का वायरल वीडियो सरकार की मंशा पर शक को पुख्ता कर रहा है। इस वीडियो में हरियाणा पुलिस के सीनियर आईपीएस अफसर डीसीपी रविंद्र तोमर पुलिस जवानों को आदेश दे रहे हैं कि लठ नहीं मारने, उन्हें खोद मारनी (निशान पड़ जाए) है। खोद एक हरियाणवी जुगाड़ है, जिसे प्रयोग करने के लिए डीसीपी आदेश दे रहे हैं। साथ ही वह कह रहे हैं कि इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) वालों को भी प्रैक्टिकली समझा देंगे। किसानों को रोकने के लिए पंजाब से सटे कैथल जिले में डीसीपी रविंद्र तोमर की ड्यूटी लगी है। सवाल यह उठ रहा है कि डीसीपी स्तर का एक पुलिस अधिकारी क्या अपने दम पर इस तरह फरमान दे सकता है। रविंद्र तोमर साफ कह रहा है कि हमें लठ नहीं मारने, सिर्फ खोद मारनी है। इससे आपकी दूरी भी बनी रहेगी और चोट भी कम लगेगी। आईटीबी के भी तैनात होने के कारण वह उन्हें भी समझाने की बात कर रहा है।
सोनीपत पुलिस कमिश्नर बी सतीश बालन के भी किसानों के मसले का शंभू बार्डर पर ही निबटारा हो जाने का दावा सवाल खड़े कर रहा है। इसी के बाद यह बात उठ रही है कि सरकार क्या किसी भी हालत में किसान आंदोलन को शंभू बार्डर में खत्म करने की ठान चुकी है।
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13 फरवरी को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर हरियाणा सरकार से कहा कि किसी भी तरह का बल प्रयोग अंतिम विकल्प होना चाहिए। याचिका की सुनाई एक्टिंग चीफ जस्टिस जीएस संधावालिया और जस्टिस लपिता बनर्जी की बैंच कर रही थी। सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार ने कहा कि किसानों ने प्रदर्शन के लिए परमिशन नहीं ली है। जिस पर हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा कि किसान केवल आपके राज्य से गुजर रहे हैं। उन्हें आने-जाने का अधिकार है। उनका रास्ता क्यों रोका? आप क्यों परेशान हैं? क्या वह आपके राज्य में आंदोलन कर रहे हैं? आप सड़कें क्यों बंद कर रहे हो?
हाईकोर्ट में पंजाब सरकार ने कहा कि उन्होंने कोई सीलिंग नहीं की है। वह विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली जा रहे हैं। अगर वह शांतिपूर्ण ढंग से जा रहे हैं तो हम इसकी परमिशन दे रहे हैं। सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा कि भारत का नागरिक होने के नाते प्रदर्शनकारियों को अधिकार है कि वह देश में बिना किसी रोक-टोक के जा सकें। 15 फरवरी को फिर मामले की सुनवाई होगी।
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13 फरवरी को पंजाब की सीमा के अंदर ड्रोन से आंसू गैस के गोले दागने पर पंजाब ने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई है। पटियाला के डीसी शौकत अहमद परे ने सख्त चेतावनी देते हुए अंबाला के डीसी को एक पत्र लिखकर पंजाब की हद में आते शंभू बॉर्डर में ड्रोन ना भेजे जाने के लिए कहा है। इसके बाद हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज भड़क गए हैं। अनिल विज ने कहा कि उन्हें बहुत बड़ी हैरानी है कि पंजाब सरकार ने नोटिस जारी किया कि हमारी सीमा में ड्रोन मत भेजो। क्या यह हिंदुस्तान-पाकिस्तान हो गया। अगर, हमारी पुलिस को मारकर कोई पंजाब में भाग जाएगा तो क्या हम उसके पीछे जाकर उसे पकड़ नहीं सकते। विज ने कहा कि ‘जब अमृतसर से यह जत्थे (किसान) चले तो पंजाब सरकार ने इन्हें रास्ते में एक भी जगह रोकने की कोशिश नहीं की। इसका मतलब तो यह है कि यह दिल्ली को दहलाना चाहते हैं। क्या यह दोबारा चाहते हैं कि दिल्ली के लाल किले में जाकर डांस कर अपमानित किया जाए।
शंभू बार्डर पर जुटे किसानों पर गृह मंत्री अनिल विज ने कहा कि किसान कहते हैं कि हमने दिल्ली जाना है। दिल्ली इन्होंने किस लिए जाना है, जिनसे इन्होंने दिल्ली में बातचीत करनी है, जब वह सारे मंत्री व अधिकारी चंडीगढ़ आ गए तो आपने बात नहीं की। इसलिए इनका मकसद कुछ और है।
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