हालात

कृषि विधेयकों पर हरियाणा के किसान आर-पार के मूड में, कल के भारत बंद को लेकर सरकार के हाथ-पैर फूले

मोदी सरकार के कृषि विधेयकों को लेकर किसानों को समझाने की सरकार की सारी कवायद फेल हो गई है। हरियाणा के किसान पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। राज्य के सभी 17 किसान संगठन पूरी तरह एकजुट हैं। आढ़ती, पल्लेदार और मजदूरों के साथ पूरा विपक्ष किसानों के साथ खड़ा है।

फाइल फोटोः सोशल मीडिया
फाइल फोटोः सोशल मीडिया 

कृषि सुधार के नाम पर लाए गए तीन कृषि विधेयकों के विरोध में उठा तूफान आसानी से थमने वाला नहीं है। हरियाणा के किसान इन विधेयकों के खिलाफ सरकार से पूरी तरह आर-पार के मूड में हैं। कानून में तब्दील कर दिए गए तीनों कृषि अध्यादेशों को किसान कतई मानने के लिए तैयार नहीं हैं। विरोध में 25 सितंबर को प्रस्तावित प्रदर्शन और भारत बंद के लिए राज्य के किसान पूरी तरह से कमर कसे हुुए हैं, जिसे देखकर राज्य सरकार की हालत खराब है।

हालत यह है कि कुरुक्षेत्र में किसानों पर लाठीचार्ज करवाने वाली राज्य की खट्टर सरकार के हाथ-पैर फूल गए हैं। 25 सितंबर को किसानों के भारत बंद के मद्देनजर पंजाब जाने वाली दो दर्जन से ज्यादा यात्री ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। सरकार पर दबाव का आलम यह है कि गुरूवार को जींद में उप-मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को बयान देना पड़ा है कि किसानों पर आंच आई तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे।

तीनों कृषि विधेयकों को लेकर किसानों को समझाने की सरकार की सारी कवायद फेल हो गई है। हरियाणा के किसान पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। राज्य के सभी 17 किसान संगठन पूरी तरह एकजुट हैं। आढ़ती, पल्लेदार, मजदूर और पूरा विपक्ष किसानों के साथ खड़ा है। 20 सितंबर को जिस तरह किसानों ने पूरे हरियाणा में सड़कें जाम कर दी थीं, उसको देखते हुए 25 सितंबर को किसानों के भारत बंद के मद्देनजर हरियाणा सरकार की सांसें फूल रही हैं।

वहीं विपक्षी दलों समेत सभी किसान संगठन दुष्यंत के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी का कहना है कि दुष्यंत चौटाला में अगर थोड़ी भी शर्म बाकी है तो उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। उनका कहना है कि तीनों अध्यादेश देश की गुलामी के वारंट हैं। खेती के डेथ वारंट हैं। इससे मंडियां तो सौ फीसदी खत्म हो ही जाएंगी एमएसपी भी शत-प्रतिशत समाप्त हो जाएगा। चंद व्यापारी पूरे देश का माल खरीद लेंगे और फिर पूरा देश उनसे खरीदकर खाएगा। छोटे व्यापारी, आढ़ती खत्म हो जाएंगे। खेती भी तबाह हो जाएगी।

चढ़ूनी का कहना है कि वह 25 सितंबर को खुद सड़कों पर रहेंगे। वह सुबह 11 बजे पिंजौर, उसके बाद बरवाला, फिर अंबाला कैंट, अंबाला शहर, शाहबाद और आखिर में यमुना नगर में किसान आंदोलन का नेतृत्व करेंगे। उन्होंने कहा कि अभी भी सरकार अगर नहीं चेती तो 27 सितंबर को दिल्ली में किसान संगठनों के प्रतिनिधि आगे की रणनीति बनाएंगे।

इस बीच किसानों के मूड को देखते हुए सरकार भारी दबाव में है। सरकार में भागीदार जन नायक जनता पार्टी के तकरीबन आधे विधायक सरकार की मुखालफत करते हुए किसानों के साथ खड़े हो गए हैं। दबाव का नतीजा है कि गुरुवार को जींद में दुष्यंंत चौटाला को बयान देना पड़ा कि अगर किसानों की फसलें एमएसपी पर नहीं खरीदी जाती हैं तो सबसे पहले उनके द्वारा इस्तीफा दिया जाएगा।

उधर, किसानों के भारत बंद को देखते हुए रेलवे के अंबाला मंडल ने पंजाब जाने वाली 26 अप-डाउन ट्रेन और 9 पार्सल ट्रेनों को रद्द कर दिया है। ये ट्रेनें तीन दिन 24, 25 और 26 सितंबर को बंद रहेंगी। रद्द की गई ट्रेनों में मुंबई-अमृतसर, नांदेड़-अमृतसर जैसी लंबी दूरी की कई ट्रेनें भी शामिल हैं। अंबाला स्टेशन के निदेशक बीएस गिल का कहना है कि किसान आंदोलन के चलते रेलवे ने 26 ट्रेनें रद्द कर दी हैं। यह ट्रेनें अगले 3 तीन दिन तक रद्द रहेंगी।

वहीं, गुरुवार को अंबाला में विधायक अभय चौटाला के नेतृत्व में इनेलो के कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे। एक दिन पहले पानीपत अनाज मंडी से दिल्ली में संसद कूच के लिए निकली यूथ कांग्रेस की ट्रैक्टर यात्रा समालखा में ही रोक ली गई थी। 250 ट्रैक्टरों-ट्रालियों में 1000 से ज्यादा कांग्रेस कार्यकर्ता और किसान सवार थे। सरकार ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए वहां सात डीएसपी और 1000 पुलिस के जवानों को तैनात कर रखा था। दिल्ली कूच से रोकने के लिए उन पर वाटर कैनन से पानी की बौछार की गई। इस दौरान 3 घंटे से ज्यादा समय तक जीटी रोड जाम रहा।

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