आम चुनाव नजदीक आने के साथ ही सियासी तापमान बढ़ने लगा है। इसके साथ ही हरियाणा में एक और राजनीतिक दल का जन्म हो गया है। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी से बागी होकर चुनाव लड़ने वाले रोहतक जिले की महम विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने चंडीगढ़ में नई पार्टी का आज ऐलान किया। कुंडू ने इस अवसर पर बीजेपी की खट्टर सरकार पर जमकर हमला बोला। बेरोजगारी में हरियाणा को नंबर एक बनाने से लेकर किसानों से लेकर युवाओं तक को मुश्किलों में धकेलने का श्रेय कूंडू ने खट्टर सरकार को दिया।
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चंडीगढ़ के होटल माउंट व्यू में आज अपनी नई राजनीतिक पार्टी लांच करते हुए कुंडू ने कहा कि उनकी पार्टी का नाम हरियाणा जनसेवक पार्टी है। बलराज कुंडू को 2019 में बीजेपी ने महम से टिकट नहीं दिया था, जिसके बाद उन्होंने बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। बीजेपी को हरियाणा में 40 सीटों पर ही जीत मिलने के बाद सरकार बनाने के लिए कुंडू ने उसे समर्थन दिया था। कुछ समय बाद ही 2020 में बीजेपी सरकार को भ्रष्ट करार देते हुए कुंडू ने अपना समर्थन वापस भी ले लिया था। कुंडू ने शुगर मिल में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। आरोप भी मुख्यमंत्री खट्टर के राईट हैंड माने जाने वाले पूर्व सहकारिता मंत्री मनीष ग्रोवर पर लगाए थे।
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बलराज कुंडू काफी समय से नए दल के गठन के लिए सक्रिय थे। नई पार्टी का गठन करते हुए कुंडू ने 1 नवंबर को जींद में एक विशाल रैली में अपने भविष्य की योजनाओं का ऐलान करने की बात कही थी। बलराज कुंडू ने कहा कि वह किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे। उनकी सोच हरियाणा की जनता को नया विकल्प देने की है। हमारा नौजवान नशे की गिरफ्त में आ रहा है, क्राइम रेट बहुत बढ़ गया है। किसानों का दर्द सुनने वाला कोई नहीं है। बीमा कंपनियां किसानों के साथ मनमानी कर रही हैं। पिछले दो सालों से मुआवजा नहीं दिया गया है। प्रीमियम जमा करने के बाद भी पैसा नहीं देते, न ही प्रीमियम वापस हो रहा। बीमा कंपनियों ने हजारों करोड़ का घोटाला किया है और यह सूबे की सरकार की शह के बिना संभव नहीं है, इसलिए मैंने हरियाणा को बचाने के लिए यह पार्टी बनाई हैI
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कुंडू ने कहा कि प्रदेश सरकार ने बिजली के नाम पर बड़ी लूट मचाई है। स्पीड मीटर लगाने से बिल बहुत ज्यादा आने लगे हैं। यह बहुत गलत हो रहा है। इन सभी चीजों को देखकर हमने नई पार्टी के गठन का निर्णय लिया। प्रदेश की मौजूदा सरकार ने पिछले नौ वर्षों में कुछ भी उल्लेखनीय नहीं किया, बल्कि अपराध पहले से दोगुने हो गए हैं। सूबे में कांग्रेस की पिछली सरकार से तुलना की जाए तो पांच गुना कर्ज, चार गुना महंगाई और तीन गुना बेरोजगारी बढ़ गई है। आशा कार्यकर्ता, कार्य अनुदेशक, क्लर्क सब तो धरने पर बैठे हैं, जिनका कोई हाल पूछने वाला नहीं है। मौजूदा सरकार अपनी जवाबदेही से बच रही है, इसीलिए विधानसभा सत्र से पहले विपक्ष द्वारा उठाई गई तमाम मांगों और प्रस्तावों पर सदन में चर्चा से इनकार कर दिया। इनमें आशा वर्करों का मानदेय, किसानों को मुआवजा, कच्चे कर्मचारियों की सुरक्षा, सरपंचों, पंचों, जिला पार्षदों, कॉन्ट्रैक्ट टीचर एसोसिएशन, व्यापारियों, खिलाड़ियों, दलित व पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधियों आदि की मांगें भी शामिल थीं, जिन पर ध्यान ही नहीं दिया गया।
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उन्होंने कहा कि विधानसभा में हरियाणा की बीजेपी-जेजेपी सरकार खुद ही मान चुकी है कि प्रदेश की बेरोजगारी दर 8.8 प्रतिशत हो गई है। 2013-14 में जो बेरोजगारी दर 2.9 प्रतिशत थी, वह आज करीब 9 प्रतिशत पर पहुंच गई है। राष्ट्रीय स्तर पर बेरोजगारी दर 4.1 प्रतिशत है यानी हरियाणा में राष्ट्रीय औसत से दोगुनी से भी ज्यादा बेरोजगारी है। राष्ट्रीय राजधानी से सटा होने के बाद भी हरियाणा बेरोजगारी से जूझ रहा है। युवा परेशान हैं, जबकि सरकारी विभागों में 2.02 लाख पद खाली पड़े हैं। भर्तियां करने की बजाए सरकार पेपर लीक और पेपर कॉपी जैसे घोटालों को अंजाम दे रही है। सीईटी में धांधलियां करके युवाओं के भविष्य से लगातार खिलवाड़ किया जा रहा है। लाखों बेरोजगार युवा नशे और अपराध की ओर मुड़ रहे हैं। अपराध की हालत यह है कि केंद्र सरकार के सामाजिक प्रगति सूचकांक में हरियाणा को देश का सबसे असुरक्षित राज्य माना गया है। हरियाणा में अपराध की यह स्थिति है कि क्राइम रेट 16.02 से बढ़कर 31.8 यानी दोगुना हो गया है।
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बलराज कुंडू ने कहा कि परिवार पहचान पत्र के नाम पर जनता से अनावश्यक जानकारियां ली जा रही हैं। पीपीपी में इतनी गड़बड़ियां हैं कि उन्हें ठीक करवाने के लिए लोग दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं। इसी तरह की गड़बड़ियां प्रॉपर्टी आईडी में की गई हैं। इसमें मकान मालिक को किराएदार तो किराएदारों को मकान मालिक दिखा दिया गया। लेकिन सरकार ने इतने बड़े स्तर पर गड़बड़ियां करने वाली कंपनियों पर कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के साथ लगातार धोखा कर रही है। सरकार ने खुद विधानसभा में माना कि 3 साल से किसानों का 1303 करोड़ रुपए का मुआवजा अटका पड़ा है। यह तो वह आंकड़ा है जो सरकार ने माना है। इसके अलावा इससे कई गुना ऐसे क्लेम हैं, जिसे सरकार ने अमान्य कर दिया। किसान कई सीजन से मुआवजे के इंतजार में बैठे हैं। पिछले दिनों आई बाढ़ का मुआवजा अब तक किसानों को नहीं मिला है।
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