हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र के तीसरे दिन का नजारा बड़ा दिलचस्प था। राज्य की सत्ता में अहम भागीदार जन नायक जनता पार्टी (जेजेपी) का विधायक अपने ही नेता और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला और खट्टर सरकार की बखिया उधेड़ता रहा और बीजेपी इसका आनंद लेती रही। बात यहां तक बिगड़ गई कि दुष्यंत ने विधायक से इस्तीफा देकर चुनाव लड़ने के लिए कह दिया, जिसके जवाब में विधायक ने भी दुष्यंत से ही इस्तीफा देने के लिए कह दिया। स
दन में उस वक्त स्थिति बड़ी हास्यास्पद थी, लेकिन बीजेपी का रुख भी कम दिलचस्प नहीं था। अपने ही विधायक के डिप्टी सीएम पर हमले में शायद वह अपना फायदा देख रही थी। शायद यही वजह थी कि सदन में इस तरह के हालात में सख्ती से दखल देने वाले स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता भी ऐसा करते नहीं नजर आए। विषय से अलग बोलने पर विपक्ष के विधायकों का माइक बंद कर देने वाले स्पीकर ने यहां ऐसा भी नहीं किया।
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दरअसल विधानसभा में कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था। इस पर चर्चा के लिए 22 फरवरी की तिथि तय की गई थी। लंच के बाद दोपहर दो बजे जब सदन की कार्यवाही आरंभ हुई तो अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के लिए 2 घंटे का वक्त तय हुआ, जिसे बाद में बढ़ाकर 3 घंटे कर दिया गया। कांग्रेस को पता था कि संख्या बल सरकार के साथ है और उसका प्रस्ताव गिरना तय है, लेकिन जनता से जुड़े सवालों और सरकार की विफलताओं पर इसके जरिये वह अपनी बात विधानसभा में रखना चाह रही थी।
चर्चा के दौरान कई बार हंगामे के हालात बने, लेकिन सबसे दिलचस्प स्थिति उस वक्त थी जब सरकार में भागीदार जेजेपी में ही घमासान के हालात बन गए। हुआ यह कि अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सत्ता पक्ष की तरफ से जेजेपी विधायक राम कुमार गौतम खड़े हुए। उन्हें बोलने के लिए 7 मिनट का वक्त दिया गया था। खड़े होते ही गौतम ने कहा कि वह अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में खड़े हुए हैं, लेकिन एक शर्त के साथ कि बेरोजगार युवाओं की हर बात सरकार माने। उन्होंने कहा कि किसानों का बेटा ही आज नौकरी के लिए संघर्ष कर रहा है। यह कहते हुए शायद वह बेरोजगारी और किसान आंदोलन पर अपनी ही सरकार को कठघरे में खड़ा कर रहे थे। उन्होंने सरकार से वादे पूरे करने की बात कही। सीएम के टोकने के बाद भी वह रुके नहीं। गौतम बोले कि पंजाब और चंडीगढ़ में पुलिस के सिपाही का वेतन क्या है और हरियाणा में क्या है। उन्होंने सवाल उठाया कि हरियाणा की सरकार कहती रहती है कि वह पंजाब के समान कर्मचारियों को ग्रेड देगी।
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सबसे हैरान करने वाला नजारा उस वक्त था जब उनकी भिड़ंत सीधे अपनी ही पार्टी जेजेपी के चेहरा माने जाने वाले डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला से हो गई। डिप्टी सीएम पर निशाना साधते हुए जेजेपी विधायक रामकुमार गौतम ने कहा कि दुष्यंत चौटाला हुड्डा को बोल रहे थे कि तकलीफ है। तकलीफ मुझे है। गौतम ने कहा मुझे टिकट दी मगर 35 हजार वोट मेरे भी थे। मेरे पास 2 टिकट थीं। इस पर दुष्यंत चौटाला ने कहा रामकुमार गौतम लगातार 4 साल से बोल रहे हैं। अगर इनके इतने वोट व्यक्तिगत हैं तो इस्तीफा देकर जाएं। इस पर रामकुमार गौतम ने उल्टा दुष्यंत से इस्तीफा देने के लिए कह दिया।
राम कुमार गौतम यहीं नहीं रुके। सरकार की पोल खोलते हुए वह बोले कि पंचायत और म्यूनिसिपल कमेटियों में सारे रिश्वत खोर हैं। अस्पतालों में खाली पड़े पदों की उन्होंने बात की। जेजेपी के कोटे से ही मंत्री देबेंद्र बबली से भी राम कुमार गौतम की भिड़ंत हो गई। दुष्यंत की मां विधायक नैना चौटाला भी इस बीच गुस्से में कुछ बोलते नजर आईं। हैरानी इस बात की थी कि बात-बात पर विपक्ष के विधायकों को टोकने और माइक बंद कर देने वाले स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता ने भी यह सब होने दिया। रामकुमार गौतम का माइक भी बंद नहीं किया गया। इस दौरान बीजेपी विधायकों के चेहरे पर मुस्कान इस बात की तस्दीक कर रही थी कि उसे जेजेपी के भीतर संघर्ष में ही शायद फायदा नजर आ रहा है। जब दुष्यंत चौटाला बोलने खड़े हुए तो उन्होंने फिर राजकुमार गौतम को लेकर जिक्र किया कि यदि इनको मैं देवेंद्र बबली की जगह शपथ दिला देता, तो ये भी खुश रहते।
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इससे पहले अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का आरंभ कांग्रेस की तरफ से रोहतक से विधायक बीबी बत्रा ने किया। बत्रा ने गठबंधन की सरकार को अहंकारी करार देते हुए इलेक्शन बांड के मुद्दे पर बीजेपी पर बड़ा हमला किया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 6 मार्च को जब पूरी लिस्ट बाहर आ जाएगी तो सरकार की सच्चाई सामने आ जाएगी। बीजेपी-जेजेपी सरकार को घोटालों की सरकार करार देते हुए बत्रा ने कहा कि 70 साल में उन्होंने इससे भ्रष्ट सरकार नहीं देखी। सीएम की नाक के नीचे यमुनानगर में रेत-पत्थर घोटाले का जिक्र करते हुए कहा कि हजारों करोड़ का घोटाला हुआ है। यहां तक कि अवैध खनन से यमुना का रास्ता तक बदल दिया गया। महेंद्र गढ़, नारनौल में माइंस घोटाला और डाडम खान के घोटाले का जिक्र करते हुए बत्रा ने सरकार को चुनौती दी कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के कार्यकाल में एक इंच जमीन भी किसी बिल्डर को एक्वायर करके नहीं दी गई, जिसके बीजेपी आरोप लगाती है। वहीं बीजेपी सरकार के कार्यकाल में छोड़ी गई जमीनों का चिट्ठा खोलते हुए उन्होंने बताया कि इस्लामपुर में 6 बीघा, गुरुग्राम के पास 41 कनाल, गांव बड़ौली में 8 कनाल और गुरुग्राम में 4 एकड़ और जमीन छोड़ी गई। कुरुक्षेत्र में जमीन छोड़ी गई।
बिना खर्ची-पर्ची की सरकार के दावे पर हमला करते हुए बत्रा ने सवाल पूछा कि कैथल में 8 सोसायटी में 56 कर्मचारियों की नियुक्ति कैसे हुई। हरियाणा लोक सेवा आयोग और हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग को तमाशा बना दिया गया है। पेपर लीक हो रहे हैं। बच्चे हाईकोर्ट में भाग रहे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि 5350 विभिन्न पद किस आधार पर वापस लिए गए। हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग का चेयरमैन दूसरे स्टेट के व्यक्ति को बनाने पर गंभीर आपत्ति उठाते हुए बत्रा ने कहा कि क्या हमारे प्रदेश में इसके लिए कोई योग्य व्यक्ति नहीं मिला। हाल ही आए 100 करोड़ के कोआपरेटिव घोटाले पर हमला करते हुए कहा कि जांच के लिए एसआईटी (स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम) बना दी जाती है, लेकिन किसी भी एसआईटी की रिपोर्ट विधानसभा में क्यों नहीं पेश की गई।
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उन्होंने कहा कि यात्रा और संवाद के नाम पर राज्य के खजाने का पैसा लुटाया जा रहा है। विवरण देते हुए बत्रा ने कहा कि 244 करोड़ प्रिंट मीडिया को, 5 करोड़ डिजिटल मीडिया को और 99 करोड़ इलेक्ट्रानिक मीडिया को एक साल में विज्ञापन के लिए दे दिए गए। एक गंभीर सवाल उठाते हुए बत्रा ने कहा कि हरियाणा रोडवेज की बसों में मोदी की गारंटी लिखा है और उसके नीचे राष्ट्रीय चिन्ह बना हुआ है। यह हमारे राष्ट्रीय चिन्ह का घोर अपमान है। बीच में दखल देते हुए हुड्डा ने कहा कि पहले यह घोषणा पत्र लाए थे। फिर संकल्प पत्र ले आए। अब मोदी की गारंटी ले आए। इनका तो बस यही है कि बदलते जाओ।
हुड्डा ने नूंह जिले से कांग्रेस के एमएलए मामन खान पर जमानत मिलने के बाद यूएपीए लगाने पर गंभीर आपत्ति जताई। हुड्डा ने कहा कि इसके पीछे सिर्फ एक ही मंशा है कि उसे बेल न मिले। उन्होंने सरकार से सवाल किया कि क्या वह कोई आतंकवादी है। तोशाम से कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने भी इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि एक विधायक पर टेररिस्ट एक्ट लगाने पर विचार करना चाहिए। बीबी बत्रा ने वादा किया कि कांग्रेस की सरकार बनने पर वह ओपीएस लागू करेगी। मुलाना से कांग्रेस विधायक वरुण चौधरी ने चुनाव में किए गए बीजेपी के वादों का पूरा पिटारा खोल दिया। उन्होंने अच्छे दिन लाने का वचन, हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख आने, किसानों की आय दोगुनी करने, हर गरीब के सिर पर छत का बंदोबस्त करने, साल में दो करोड़ नौकरियां देने और बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ के नारे की बीजेपी को याद दिलाई।
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वरुण चौधरी ने कहा कि पंच वर्षीय योजना की जगह 25 वर्षीय योजना शुरू कर दी, जिससे न पूछने वाला रहे और न बताने वाला। उन्होंने कहा कि आज सरकार पर जनता के अविश्वास का आलम यह है कि गांवों में बीजेपी-जेजेपी नेताओं के प्रवेश वर्जित होने के बोर्ड लगा दिए जाते हैं। विधायक शमशेर गोगी ने कहा कि आजादी के साथ यह संविधान हमें कांग्रेस ने दिया। पहले राजा होते थे और प्रजा होती थी। पिछले 10 साल से इस संविधान को खत्म करने की साजिश रची जा रही है। संविधान के साथ यह हिंदू राष्ट्र की शपथ लेते हैं। पगड़ी पहनने वाले हमारे सिख भाईयों को यह खालिस्तानी कहते हैं। मोदी जी की गारंटी के नाम पर किसानों को धोखा दिया गया। इसीलिए किसान अपना हक मांगने के लिए एक बार फिर सीमा पर बैठा है। एक युवक की मौत हो चुकी है। सरकार ने हरियाणा-पंजाब सीमा को भारत-पाकिस्तान की सीमा बना दिया है।
अभय चौटाला ने कहा कि दिल्ली की सीमाओं पर 13 महीने चले आंदोलन में 750 किसानों की शहादत के बाद मोदी जी को अपनी भूल का अहसा हुआ, जिसके बाद 3 कृषि कानून वापस लिए। मोदी जी की भूल का खामियाजा 750 किसानों ने अपनी शहादत देकर भुगता। कांग्रेस विधायक मामन खान पर यूएपीए लगाने पर अभय चौटाला ने भी गंभीर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस विधायक पर तो नूंह हिंसा में यूएपीए लगा दिया, लेकिन गुरुग्राम में एक मस्जिद में हुई मौलाना की हत्या पर यह क्यों नहीं लगाया। विधायक जगबीर मलिक ने कहा कि आज हालत यह है कि कर्मचारी सड़कों पर है। किसान सड़क पर है। उन्होंने कहा कि जब मोदी जी ने एमएसपी के लिए कमेटी बना दी थी तो फिर कानून क्यों नहीं बनाया गया।
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विधायक गीता भुक्कल ने कहा कि कृषि प्रधान प्रदेश हरियाणा-पंजाब के बार्डर को भारत-पाक की सीमा बना दिया गया है। किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे जा रहे हैं। मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए गीता भुक्कल ने कहा कि सीएम ने यहीं सदन में कहा था कि किसी भी हालत में 3 कृषि कानून वापस नहीं होंगे, लेकिन प्रधानमंत्री ने इन्हें भूल मानते हुए वापस ले लिए। चंडीगढ़ नगर निगम मेयर के चुनाव में हुई धांधली पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसे मर्डर आफ डेमोक्रसी कहा है।
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विधानसभा में कई बार हंगामे की स्थिति बनी। हुड्डा ने बड़ा हमला बोलते हुए कहा कि इस सरकार में परचून की दुकान की तरह नौकरियां बिकी हैं। अंत में जवाब देने खड़े हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल के उत्तर से असंतुष्ट होकर हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस के विधायकों ने वाकआउट कर दिया।
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