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बेटियों की अस्मिता पर उबली हरियाणा विधानसभा, विपक्ष ने दागे सवाल, दुष्‍यंत चौटाला की हुई फजीहत

कांग्रेस विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्‍कल ने छात्राओं के यौन शोषण पर सरकार से सवाल पूछे तो निशाने पर उचाना से विधायक दुष्‍यंत चौटाला भी थे। सदन में जमकर हंगामा बरपा। जवाब देने खड़े हुए दुष्‍यंत चौटाला कुछ ऐसे आरोप लगा गए, जो बाद में झूठे निकले।

बेटियों की अस्मिता पर उबली हरियाणा विधानसभा, दुष्‍यंत चौटाला की हुई फजीहत
बेटियों की अस्मिता पर उबली हरियाणा विधानसभा, दुष्‍यंत चौटाला की हुई फजीहत फोटोः सोशल मीडिया

हरियाणा विधानसभा के शीतकालीन सत्र में अहम सवाल एक बार फिर अनुत्‍तरित रह गए। सत्‍ताधारी दल की जुबान से महंगाई के नाम पर एक शब्‍द तक नहीं निकला। बेरोजगारी की बात तो खट्टर सरकार मानती ही नहीं। जाहिर है उसकी चर्चा को भी वह बेमानी मानती है। लेकिन बेटियों की अस्मिता के सवाल पर सत्र खूब उबला। वर्षों से छात्राओं के साथ यौन शोषण कर रहे जींद के एक स्‍कूल प्रिंसिपल की करतूत पर विपक्ष ने जमकर हमला बोला। विपक्ष ने सवाल किया कि हरियाणा की ही धरा से दिए गए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ के प्रधानमंत्री के नारे का क्‍या हुआ। इस मुद्दे पर खट्टर सरकार की फजीहत के साथ डिप्‍टी सीएम दुष्‍यंत चौटाला की भी भारी किरकिरी हुई।

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डिप्‍टी सीएम दुष्‍यंत चौटाला के विधानसभा क्षेत्र जींद जिले के उचाना में एक स्‍कूल प्रिंसिपल की करतूत पर 15 से 19 दिसंबर तक चले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में मुख्‍यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार को जवाब देना भारी पड़ा। सत्र के पहले दिन 15 दिसंबर को ही कांग्रेस विधायक और पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्‍कल ने छात्राओें के यौन शोषण पर सरकार से मुश्किल सवाल पूछे तो निशाने पर उचाना से विधायक दुष्‍यंत चौटाला भी थे। सदन में जमकर हंगामा बरपा। जवाब देने खड़े हुए दुष्‍यंत चौटाला कुछ ऐसे आरोप लगा गए, जो बाद में झूठे निकले। 

डिप्टी सीएम ने कहा कि 2005 और 2011 में भी आरोपी के खिलाफ शिकायत हुई थी। 2005 और 2011 में उसे बचाया गया। गीता भुक्‍कल पर आरोप लगा दिया कि 2011 में तत्कालीन शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल के घर झज्‍जर में इस मामले पर पंचायत हुई थी, जिसमें समझौता कराया गया था। गीता भुक्‍कल ने इस पर उसी वक्‍त दुष्‍यंत का भारी विरोध किया। आरोप के समर्थन में प्रूफ मांगा। स्‍पीकर से भी गीता भुक्‍कल की जमकर बहस हुई। आश्‍चर्य उस वक्‍त हुआ जब राज्‍य में बड़े-बड़े घोटालों की हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच की विपक्ष की मांग को ठुकराने वाले मुख्‍यमंत्री के दखल के बाद स्‍पीकर ज्ञानचंद गुप्‍ता ने गीता भुक्‍कल और दुष्‍यंत चौटाला के बीच हुई बहस में लगे आरोपों की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करवाने का फैसला सुना दिया।

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जाहिर है कि गंभीरता से ज्‍यादा बीजेपी मजे ले रही थी। फंसना था तो दुष्‍यंत चौटाला को फंसना था, जिनकी पार्टी जेजेपाी से बीजेपी के संबंध मुश्किल में हैं। दो दिन के अवकाश के बाद सोमवार यानी 18 दिसंबर को विधानसभा में इस पर फिर हंगामा हुआ। नेता विरोधी दल भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाईकोर्ट के सिटिंग जज से जांच कराने के फैसले का विरोध किया। स्‍पीकर से उनकी तीखी बहस हुई। कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा के तर्क पर कि सदन में कही गई बात को हाईकोर्ट का जज इन्‍वेस्टिगेट नहीं कर सकता। विधायकों को संवैधानिक प्रोटेक्‍शन हासिल है। बीबी बत्रा के तर्क के बाद विधानसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी पर फैसला डाल दिया गया। दुष्‍यंत के खिलाफ कांग्रेस ने प्रिविलेज मोशन भी दे दिया। अंत में बीएसी ने फैसला किया कि विधानसभा की ही तीन सदस्‍यीय कमेटी इसकी जांच करेगी।

इस बीच डिप्‍टी सीएम दुष्‍यंत चौटाला का झूठ पकड़ा गया। गीता भुक्‍कल ने कहा कि 2005 में तो उक्‍त स्‍कूल का प्रिंसिपल नौकरी में ही नहीं था। वहीं दुष्‍यंत ने 2011 में हमारे निवास झज्‍जर में पंचायत होने की बात कही थी, लेकिन 2011 में तो हमारा वहां निवास बना ही नहीं था। साथ ही जिस सरपंच के उस पंचायत में शामिल होने की बात कही जा रही थी उसने कहा कि जेजेपी के लोग उस पर ऐसा बयान देने के लिए दबाव डाल रहे हैं। दुष्‍यंत चौटाला की स्थिति इस पर बड़ी हास्‍यास्‍पद हो गई।

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सत्र के आखिरी दिन 19 दिसंबर को दुष्‍यंत बयान बदल कर कहने लगे कि वह 2011 नहीं 2012 में पंचायत हुई थी, लेकिन उनका मजाक तो बन चुका था। आखिरी दिन इसी मसले पर लगे विपक्ष के ध्‍यानाकर्षण प्रस्‍ताव पर चर्चा में सरकार दोहराती रही कि छेड़छाड़ के आरोपी प्रिंसिपल के खिलाफ उसने तुरंत एक्‍शन लिया है, जिस पर विपक्ष संतुष्‍ट नहीं था। कांग्रेस विधायक किरण चौधरी ने कहा कि छात्राओं के साथ छेड़छाड़ करने वाला प्रिंसिपल आदतन अपराधी था। कई साल से वह यह हरकत कर रहा था। इस तरह की घटनाएं न हों ऐसा प्रावधान होना चाहिए। उन्‍होंने बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओे पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि इन घटनाओं का संज्ञान तब लिया जाता है जब मामला हाई प्रोफाइल हो जाता है। उसके पहले सरकार क्‍यों नहीं जागती।

बीबी बत्रा ने कहा कि आगे से ऐसी घटनाएं नहीं होंगी सरकार इस बारे में आश्‍वस्‍त करे। कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने कहा कि बच्चियों को अपनी शिकायत प्रधानमंत्री और राष्‍ट्रपति तक पहुंचाने की नौबत क्‍यों आई। नीरज शर्मा ने कहा कि सरकारी स्‍कूलों में पीटीएम अनिवार्य की जाए। यदि पीटीएम हो रही होती तो किसी अभिभावक की नजर प्रिंसिपल के कार्यालय में लगी काली फिल्‍म पर जरूर जाती। इनेलो के अभय चौटाला ने कहा कि इस तरह के सभी मामलों की सुनवाई फास्‍ट ट्रैक कोर्ट में हो। दोषियों को जल्‍द सजा मिलेगी तो दूसरा ऐसी हरकत करने की हिम्‍मत नहीं करेगा।

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विधायक बलराज कुंडू ने भी बेटी पढ़ाओे, बेटी बचाओे पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि छात्राओं के साथ छेड़छाड़ में प्रधानाचार्य अकेला नहीं हो सकता। अकेले उसकी ऐसा करने की हिम्‍मत नहीं हो सकती। इसमें पूरे स्‍कूल को नोटिस देना चाहिए। कुंडू ने शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुर्जर से सवाल करते हुए कहा कि मंत्री जी बेटियों के मां-बाप को कैसे यकीन दिलाएं कि उनकी बेटी स्‍कूल में सेफ है। बहस के बीच में मुख्‍यमंत्री फास्‍ट ट्रैक कोर्ट पहले ही बनी होने की बात कहते हुए 2006 में भी इसी तरह की किसी घटना का उल्‍लेख करने लगे। जिस पर नेता विरोधी दल हुड्डा ने कहा कि बात 2006 की नहीं है। सवाल तो आज का है। बात इस पर होनी चाहिए कि कैसे अपराधी को सजा दी जाए। चर्चा इस पर होनी चाहिए कि कैसे अपराध को रोका जाए।

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मंत्री संदीप सिंह पर आरोप लगाने वाली महिला कोच पहुंची सदन के बाहर  

हरियाणा सरकार में मंत्री संदीप सिंह पर छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के आरोप लगाने वाली जूनियर महिला कोच सत्र के आखिरी दिन जब सदन चल रहा था उसी वक्‍त विधानसभा के बाहर पहुंच गई। वह सरकार से सवाल करने आई थी। उसने कहा कि विधानसभा में बैठकर हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज कह रहे हैं कि मामला कोर्ट में है, इसलिए हम कुछ नहीं कर सकते। मैं यही बात आज अनिल विज से और मुख्‍यमंत्री से पूछने आई हूं। सीएम मनोहर लाल से सवाल करना चाहती हूं कि अब तक मुझे न्याय क्यों नहीं मिल रहा है। मुझे डराया धमकाया जा रहा है। वह विधानसभी में जाना चाहती थी। इस पर पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया।  

दरअसल, सत्र के पहले दिन 15 दिसंबर को कांग्रेस ने सदन में जूनियर महिला कोच के सेक्सुअल हैरासमेंट के आरोपी मंत्री संदीप सिंह का केस उठाया था। जिस पर गृहमंत्री अनिल विज ने तर्क दिया था कि मामला कोर्ट में विचाराधीन है, ऐसे में उस पर बहस नहीं कर सकते। सरकार उसे नौकरी से पहले ही सस्‍पेंड कर चुकी है।

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