पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायाधीश रहे न्यायमूर्ति स्नेह पाराशर हरियाणा राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के रूप में अपने चार साल के कार्यकाल में एक भी मामले का निपटारा नहीं कर पाए और 1.35 करोड़ रुपये वेतन लेकर सेवानिवृत्त हो गए। इसका कारण है कि अर्धन्यायिक संस्था विवाद में फंस गई है और मामला पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में विचाराधीन है।
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इसका नतीजा हुआ कि न्यायमूर्ति पाराशर को 1.35 करोड़ रुपये का भारी वेतन मिला, इसके अलावा आधिकारिक वाहन और कार्यालय कर्मचारी और प्रोटोकॉल के अनुसार अतिरिक्त सुविधाएं भी मिलीं और वह कार्काल पूरा कर रिटाययर भी हो गए। न्यायमूर्ति पाराशर को जुलाई 2019 में हरियाणा राज्य प्रशासनिक न्यायाधिकरण के अध्यक्ष के रूप में पांच साल की अवधि में 65 वर्ष की आयु तक के लिए नियुक्त किया गया था।
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इस पर प्रतिक्रिया देते हुए महाधिवक्ता बलदेव राज महाजन ने कहा कि उनके पूरे कार्यकाल के दौरान कोई काम नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि लंबे समय से मामला उच्च न्यायालय में लंबित होने के कारण काम शुरू नहीं कर सका। उन्होंने कहा, "ट्रिब्यूनल के कामकाज के संबंध में उच्च न्यायालय के निर्देशों पर नियुक्त समिति पहले ही अपनी रिपोर्ट उच्च न्यायालय को सौंप चुकी है।"
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हरियाणा प्रशासनिक न्यायाधिकरण के गठन को लेकर पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वकीलों की करीब दो सप्ताह तक हड़ताल के बावजूद राज्य सरकार ने अधिसूचना वापस लेने से इनकार कर दिया था। वकील ट्रिब्यूनल के खिलाफ थे, उनका कहना था कि इससे मुकदमेबाजी की प्रक्रिया लंबी हो जाएगी और अंततः सरकार को फायदा हो सकता है। कर्मचारियों की शिकायतों का त्वरित समाधान प्रदान करने और उच्च न्यायालय में सेवा मामलों की लंबितता को कम करने के लिए हरियाणा के अनुरोध पर केंद्र सरकार द्वारा ट्रिब्यूनल की स्थापना की गई थी।
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