कोरोना वायरस से निपटने में गुजरात सरकार के उदासीन रवैये को लेकर गुजरात हाईकोर्ट ने रूपानी सरकार को जमकर फटकार लगाई है। इतना ही गुजरात सरकार में अस्पताल की तुलना काल कोठरी से की है। गुजरात हाई कोर्ट ने कहा है कि अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की दशा 'दयनीय' है और यह अस्पताल 'कालकोठरी जैसा है, यहां तक कि उससे भी ज्यादा बदतर।
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST
कोरोना प्रभावित राज्यों में गुजरात तीसरे नंबर पर है। गुजरात में कोरोना के 13,669 केस सामने आ चुके हैं। राज्य में 6,671 केस सक्रिय हैं। कोरोना की चपेट में आकर अब तक 829 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। जबकि सिर्फ अहमदाबाद सिविल अस्पताल में 377 लोगों की मौत हो चुकी है जो सूबे में पूरी मौतों का 45 फ़ीसदी है। एक पीआईएल की सुनवाई करते हुए जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस इलेश वोरा ने कोरोना मरीज़ों के इलाज के सिलसिले में राज्य सरकार को कई निर्देश दिए।
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST
कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन पर स्थिति का जनहित याचिका के रूप में स्वत: संज्ञान लेते हुए न्यायमूर्ति जे बी परदीवाला और न्यायमूर्ति आई जे वोरा की खंडपीठ ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल की दशा पर राज्य सरकार को खूब खरी खोटी सुनाई। उन्होंने पूरी परिस्थिति का टाइटनिक के डूबते जहाज से तुलना की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा, “इस बात को देखना बेहद परेशान करने वाला और पीड़ादायी है कि सिविल अस्पताल की मौजूदा परिस्थिति बेहद दयनीय है। जैसा कि हम लोगों ने पहले कहा था कि सिविल अस्पताल का मतलब मरीजों का इलाज करना है। लेकिन अभी के हालातों से तो ऐसा लगता है कि यह किसी कालकोठरी सरीखा है।”
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST
सुनवाई के दौरान कोर्ट एडिशनल चीफ़ सेक्रेटरी पंकज कुमार, सेक्रेटरी मिलिंद तोरवाने और सिविल अस्पताल की इंचार्ज बनायी गयीं स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण की प्रिंसिपल सेक्रेटरी जयंती रवि की जमकर खिंचाई की। इसके साथ ही कोर्ट ने पूछा कि स्वास्थ्य मंत्री नितिन पटेल और चीफ सेक्रेटरी अनिल मुकीम को क्या इस स्थिती के बार में पता भी है?
अस्पतालों में पर्याप्त वेंटिलेटर नहीं होने पर भी कोर्ट ने गुजरात सरकार को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा, “क्या राज्य सरकार को पता भी है कि सिविल अस्पताल में मरीज इसलिए मर रहे हैं क्योंकि वहां पर्याप्त संख्या में वेंटिलेटर नहीं हैं? वेंटिलेटर की इस समस्या को हल करने के लिए राज्य सरकार के पास क्या योजना है?”
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST
कोरोना से हो रही मौतों और राज्य सरकार की उदासीनता को लेकर कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार को इस बात का नोटिफिकेशन जारी करने का निर्देश दिया कि अहमदाबाद के सभी मल्टीस्पेशियलटी, निजी और कॉरपोरेट अस्पताल अपने 50 फीसदी बेड कोविड मरीजों के लिए सुरक्षित रखा जाए।
कोर्ट ने राज्य सरकार के टेस्टिंग प्रोटोकाल संबंधी रवैये की भी जमकर खिंचाई की। राज्य सरकार ने कोर्ट को कहा था कि वह गेटकीपर का काम करेगी और इस बात का फ़ैसला करेगी कि कब निजी अस्पतालों को कोरोना वायरस के नमूनों की टेस्टिंग शुरू करनी है।
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST
वहीं कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि वह कृत्रिम तरीके से कोरोना संक्रमण को नियंत्रित करना चाहती है। उसके कहने का मतलब यह है कि राज्य सरकार जानबूझ कर कोरोना के कम मामले बता रही है, वह जांच नहीं कर रही है ताकि कोरोना संक्रमण की बड़ी तादाद सामने नहीं आए।
कोरोना टेस्टिंग को लेकर कोर्ट ने विजय रुपाणी सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि यह तर्क कि ज्यादा संख्या में टेस्टिंग से आबादी के 70 फीसदी के कोविड पोजिटिव होने की आशंका है और अगर ऐसा हुआ तो यह लोगों के बीच भय पैदा कर सकता है, टेस्ट को रोकने के लिहाज से इसे आधार नहीं बनाया जा सकता है।
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST
इस मामले को लेकर कांग्रेस ने भी विजय रुपाणी की सरकार पर हमला बोला है। कांग्रेस ने ट्वीट कर कहा कि गुजरात सरकार को अपना काम कराने के लिए गुजरात हाईकोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ रहा है, यह देखकर आश्चर्य हो रहा है। गुजरात मॉडल ऑफ डेवलपमेंट का खोखलापन एक बार फिर उजागर हुआ।
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST
बता दें कि अहमदाबाद में शनिवार को 277 नए मामले सामने आने के साथ ही कुल संक्रमितों की संख्या 10 हजार के पार हो गई। राज्य के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अब अहमदाबाद में कुल संक्रमितों की संख्या 10,001 हो गई है।
( जनचौक से साभार )
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: 24 May 2020, 3:14 PM IST