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ग्राउंड रिपोर्ट: रोचक हुई करनाल की चुनावी लड़ाई, गांवों में भारी विरोध और जनता में अंडर करंट से अटकीं BJP की सांसें!

करनाल लोकसभा में 9 विधानसभा हैं। इसमें 5 करनाल जिले में और 4 पानीपत में हैं। करनाल में असंध, नीलोखेड़ी, इंद्री, घरौंडा, करनाल शहर तो पानीपत में पानीपत ग्रामीण, समालखा, पानीपत शहर और इसराना शामिल हैं।

फोटो: सोशल मीडिया
फोटो: सोशल मीडिया 

हरियाणा की सत्‍ता के पावर सेंटर से करनाल में मुकाबला कर रहे कांग्रेस के युवा चेहरे दिव्यांशु बुद्धिराजा ने चुनाव को रोचक बना दिया है। BJP के वर्तमान मुख्‍यमंत्री यहां से विस का उप-चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर लोस चुनाव में प्रत्‍याशी हैं। सरकार ने पूरी ताकत यहां झोंक रखी है। बावजूद इसके हर एक दिन बढ़ने के साथ यहां चुनाव नए रंग ले रहा है। महंगाई, बेरोजगारी के साथ BJP की केंद्र व राज्‍य सरकार की तानाशाही भी यहां बड़ा मुद्दा है।

किसान आंदोलन के दौरान राज्‍य व केंद्र की BJP सरकारों का किसानों के प्रति रहा रवैया यहां आक्रोश में तब्‍दील हो गया है। मुद्दों से ज्‍यादा कई जगह चुनाव जनता बनाम BJP तब्‍दील होता दिख रहा है। पंजाबी समाज से आते मनोहर लाल खट्टर के नाम पर यहां एकमुश्‍त पंजाबी वोट बटोरती BJP के लिए पंजाबी समाज से ही आते युवा चेहरे दिव्यांशु बुद्धिराजा को उतारकर कांग्रेस ने एक और पेंच फंसा दिया है। करनाल लोकसभा में 9 विधानसभा हैं। इसमें 5 करनाल जिले में और 4 पानीपत में हैं। करनाल में असंध, नीलोखेड़ी, इंद्री, घरौंडा, करनाल शहर तो पानीपत में पानीपत ग्रामीण, समालखा, पानीपत शहर और इसराना शामिल हैं।

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पुराने करनाल शहर में BJP दफ्तर के बगल में चाय की दुकान लगाने वाले ओमप्रकाश के शब्‍दों में मुकाबला टक्‍कर का है। ओमप्रकाश बताते हैं कि मनोहर लाल खट्टर जब मुख्‍यमंत्री नहीं बने थे तो यहीं चाय की दुकान के सामने बेंच पर अक्‍सर बैठकर लोगों से गपशप करते थे। लेकिन सीएम बनने के बाद मुड़कर नहीं देखा। शहर में काम करवाने के सवाल पर सामने टूटी सड़क दिखाते हुए वह कहते हैं कि आप ही देख लो कि क्‍या काम करवाया है। साथ ही यहां हो रहे विस चुनाव के सवाल पर वह कहते हैं कि नए मुख्‍यमंत्री नायब सिंह सैनी में एक सीएम में जो बात होनी चाहिए, वह नहीं है। महंगाई को वह बड़ा मुद्दा मानते हैं।

करनाल से तकरीबन 20 किमी दूर 18-20 हजार मतदाताओं वाले बड़े गांव गोंदर में राजकुमार वाल्‍मीकि कहते हैं कि वाल्‍मीकि के साथ एससी बिरादरी के लोग इस बार बदलाव के लिए वोट करेंगे। BJP सरकार दोबारा आई तो संविधान बदल देने व आरक्षण पर खतरे का संदेश गांव तक है। कुल आबादी के 50 फीसदी राजपूतों वाले गांव में राजपूत बिरादरी से ही आते लीला प्रधान कहते हैं कि इस सरकार ने राजपूतों का अपमान किया है। वैसे तो हम BJP को वोट देते थे, लेकिन इस बार नहीं देंगे। इसी गांव के राकेश व सुभाष कहते हैं कि पिछले 10 साल से किसी योजना का उन्‍हें फायदा नहीं मिला। हम तो बदलाव चाहते हैं। BJP की राज्‍य सरकार से समर्थन वापस लेकर कांग्रेस को सपोर्ट करने का ऐलान करने वाले निर्दलीय विधायक धर्मपाल गोंदर इसी गांव से हैं।

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घरौंडा में मशहूर समोसे वाले राजू ने कहा कि हम 27 साल से BJP को वोट दे रहे हैं। इस बार भी वोट BJP को ही देंगे, लेकिन यह सच्‍चाई है कि खट्टर ने कोई काम नहीं करवाया। इसी वजह से लोग BJP से नाराज हैं। वहीं बैठी गांव से आई 2 महिलाएं यह बात सुनते ही बोल पड़ीं कि जमीदारों को तो इस सरकार ने मार ही दिया है। साफ है कि किसान बेहद नाराज है। इंद्री अनाज मंडी में मिले गिरीश के लिए महंगाई बड़ा सवाल है। यह कहते हुए उनमें उदासीनता भी दिखी कि कोई भी नेता जीते हमारी जिंदगी में क्‍या फर्क पड़ता है। असंध के सुरजीत राणा कहते हैं कि समीकरण BJP के पक्ष में नहीं हैं। पानीपत में वार मेमोरियल में मिले शहनवाज और इमरान कहते हैं कि पानीपत में 40 फीसदी कंपनियां बंद हो गई हैं। हजारों कर्मचारियों की छटनी हुई है।

उद्योग नगरी पानीपत निर्यात के लिए जाना जाता है। कंपनियां बंद होने की वजह बताते हुए वह कहते हैं कि विदेशों में डिमांड खत्‍म होने से निर्यात के आर्डर नहीं हैं। हालात ऐसे हैं कि बची कंपनियां भी महीने में 20 दिन काम देती हैं और 10 दिन का रेस्‍ट। 500-600 रुपये की रोज दिहाड़ी पर काम करने वाले को महीने में 10-12 हजार बमुश्किल मिलते हैं। यह जिंदगी चलाने के लिए नाकाफी हैं। लॉकडाउन के बाद पानीपत में यही स्थिति है। वह कहते हैं कि रोजगार का संकट गंभीर है। मुसलमानों के प्रति BJP के रवैये को लेकर शहनवाज और इमरान का दर्द भी छलका। वार मेमोरियल में ही मिले सुनील मलिक कहते हैं यह सरकार तानाशाह हो गई है। इस देश में यह नहीं चलेगा। इनका धमंड तोड़ना जरूरी है। हमें उम्‍मीदवार से भी मतलब नहीं है। हम तो BJP को बदलने के लिए कांग्रेस को वोट करेंगे। सुनील इलेक्‍टोरल बांड में BJP के भ्रष्‍टाचार को भी बड़ा मुद्दा मानते हैं। वार मेमोरियल अपनी जमीन पर ही बना बताते हुए सुनील मलिक महंगाई के सवाल औैर अग्निवीर भर्ती को गंभीर मानते हैं। सुनील मलिक कहते हैं कि कांग्रेस उम्‍मीदवार दिव्यांशु बुद्धिराजा का ग्राफ चुनाव बढ़ने के साथ हर दिन बढ़ रहा है।

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करनाल में जातीय समीकरण

जाट, जट सिख, राजपूत, एससी और पंजाबी मतदाताओं का एक कांबिनेशन कांग्रेस के साथ खड़ा होता दिख रहा है। यदि यह चला तो परिणाम कुछ भी हो सकता है। अभी कुछ जातियों में असमंजस है। जातियों में डिवीजन की मात्रा परिणाम तय करेगी। पंजाबी समाज में साढ़े नौ साल राज्‍य के मुख्‍यमंत्री रहे पंजाबी चेहरे मनोहर लाल खट्टर के रूखे व्‍यवहार से भी नाराजगी है। करनाल लोकसभा में 20,97,752 वोटर हैं। इसमें पुरुष वोटर 11,04,302 हैं और महिला वोटरों की संख्या 9,93,413 है।

सबसे ज्यादा वोट पंजाबी बिरादरी के हैं। पंजाबी वोटरों की तादाद 2 लाख से अधिक है। इसके बाद 2 लाख जाट हैं। ब्राह्मण वोट करीब डेढ़ लाख हैं। चौथे नंबर पर रोड बिरादरी के मतदाता हैं। इनकी संख्या करीब एक लाख 20 हजार है। पांचवें नंबर पर जट सिख मतदाता है। इनकी तादाद करीब 92 हजार है। फिर राजपूत करीब 80 हजार व महाजन मतदाता 75 हजार से ज्यादा हैं। जाहिर है कि पंजाबी, जाट, जट सिख, रोड व राजपूत वोट बैंक अहम हैं।

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गांवों में BJP से गहरी नाराजगी

युवाओं का पलायन भी यहां एक बड़ा मुद्दा है। युवा गांवों से नौकरी की तलाश में जमीन बेचकर विदेश जा रहे हैं। किसान सरकार से बेहद नाराज हैं। किसान आंदोलन में जिस तरह किसानों के साथ सरकार ने व्‍यवहार किया उससे एक आक्रोश है। गांवों में विरोध BJP की चैन छीन रहा है। नामांकन दाखिल करने से पहले निकाले गए रोड शो में जिस तरह करनाल से BJP उम्‍मीदवार पूर्व सीएम मनोहर लाल खट्टर का विरोध हुआ, उससे भगवा दल में बेचैनी है। पूर्व सीएम ने असंध के गंगाटेहड़ी पोपड़ा से रोड शो शुरू किया था।

पहले तो रास्‍ते में हल्‍का विरोध जगह-जगह होता रहा। जैसे ही पूर्व सीएम काफिला अंसध के गांव बलौना पहुंचा वहां भारी संख्या में किसान माजूद थे। काले झंडे दिखाने के साथ ही ग्रामीणों ने काफिले में शामिल गाड़ियों को रोक लिया। किसानों ने गाड़ियों पर लगे BJP के पोस्टर फाड़ डाले। इसके बाद गांव रत्तक में इससे भी ज्यादा विरोध का सामना करना पड़ा। यहां किसानों ने गांव में काफिले को घुसने से पहले ही रोक दिया। यहां तक कि पूर्व सीएम को रत्तक से रास्ता बदलकर चौचड़ा गांव जाना पड़ा। लोकसभा क्षेत्र करनाल की 9 विधानसभाओं में सैकड़ों गांव हैं। अधिकतर गांवों में विरोध हो रहा है।

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