सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड यानी बीपीसीएल को पूरी तरह निजी हाथों में सौंपने का रास्ता साफ हो चुका है। बताया जा रहा है कि सरकार ने ‘चुपके से’ बीपीसीएल का राष्ट्रीकरण करने वाले कानून को 2016 में रद्द कर दिया था। ऐसे में बीपीसीएल को किसी निजी या विदेशी कंपनी के हाथों बेचने के लिए सरकार को संसद की अनुमति लेने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि, पहले कहा जा रहा था कि बीपीसीएल का निजीकरण करने को संसद की मंजूरी लेनी होगी।
Published: undefined
गौरतलब है कि सरकार ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 के तहत 187 बेकार और पुराने कानूनों को समाप्त किया था। इन कानूनों में 1976 कानून भी शामिल था जिसके तहत बरमाह शेल (आज की बीपीसीएल) का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
Published: undefined
मीडिया रिपोर्ट्स के में में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से कहा गया है कि इस कानून के समाप्त होने के बाद बीपीसीएल की रणनीतिक बिक्री के लिए संसद की मंजूरी की जरूरत नहीं होगी। चर्चा है कि सरकार घरेलू ईंधन खुदरा कारोबार में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लाना चाहती है, जिससे प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सके। इसी के मद्देनजर सरकार बीपीसीएल में अपनी पूरी 53.3 प्रतिशत हिस्सेदारी रणनीतिक भागीदार को बेचने की तैयारी कर रही है।
Published: undefined
बीपीसीएल का निजीकरण होने से देश के घरेलू ईंधन खुदरा बिक्री कारोबार में काफी उथलपुथल आ सकती है। वर्षों से इस क्षेत्र पर सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों यानी सरकारी कंपनियों का दबदबा है। बीपीसीएल के निजीकरण से सरकार को 1.05 लाख करोड़ रुपए के विनिवेश लक्ष्य में से कम से कम एक-तिहाई हासिल करने में मदद मिलेगी।
Published: undefined
शुक्रवार 4 अक्टूबर को शेयर बाजार बंद होते वक्त बीपीसीएल की मार्केट कैपिटल करीब 1.11 लाख करोड़ रुपए थी। बीपीसीएल में हिस्सेदारी बेचकर सरकार को 60,000 करोड़ रुपये तक मिलने की उम्मीद है। ध्यान रहे कि सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर, 2003 में व्यवस्था दी थी कि बीपीसीएल और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (एचपीसीएल) का निजीकरण संसद द्वारा कानून के संशोधन के जरिये ही किया जा सकता है। संसद में पूर्व में कानून पारित कर इन दोनों कंपनियों का राष्ट्रीयकरण किया गया था।
अधिकारियों का कहना है कि अब सुप्रीम कोर्ट की इस शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि राष्ट्रपति ने निरसन एवं संशोधन कानून, 2016 को मंजूरी दे दी है और इस बारे में अधिसूचना जारी की जा चुकी है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined