सरकारी बैंकों में धोखाधड़ी और घोटाले अनवरत जारी हैं और मौजूदा वित्त वर्ष के पहले 6 महीने में बैंकों ने 95,700 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले और धोखाधड़ी की शिकायतें दर्ज कराई हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को राज्यसभा में बताया कि देश के सरकारी बैंकों ने वित्त वर्ष 2019-20 के पहले छह महीनों में 95,760.49 रुपये धोखाधड़ी की रिपोर्ट दी है। उन्होंने कहा,''अप्रैल से सितंबर की अवधि के दौरान धोखाधड़ी के मामलों की कुल संख्या 5,743 है।“ वित्त मंत्री के मुताबिक, इस साल 1000 मामलों में 25 अरब रुपये का घोटाला हुआ है।
Published: 20 Nov 2019, 8:41 AM IST
वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक ने सबसे ज्यादा 254 अरब रुपये के घोटाले की शिकायत की है, जबकि पंजाब नेशनल बैंक ने 108 अरब रुपये और बैंक ऑफ बड़ौदा ने 83 अरब रुपये की धोखाधड़ी की जानकारी दी है। बैंकों ने धोखाधड़ी और घोटाले के लिए लचर नियमों और बैंक अधिकारियों की धोखेबाजों के साथ मिलीभगत को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार बैंकों का नुकसान पूरा कराने की कोशिश कर रही है। बैंकों में घोटाले की घटनाएं रोकने के लिए व्यापक उपाय किए जा रहे हैं।
Published: 20 Nov 2019, 8:41 AM IST
उन्होंने कहा कि पिछले दो सालों में निष्क्रिय हो चुकी कंपनियों के 3.38 लाख बैंक खातों को सीज कर दिया गया है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने 2016 में एक सख्त दिवालिया व ऋणशोधन अक्षमता कानून और भगोड़े आर्थिक अपराधी कानून पारित कराए हैं, जिनका लक्ष्य बैंकों को धोखाधड़ी के कारण हुए करीब 10 लाख करोड़ रुपये के घाटे को पूरा करने में मदद देना है।
Published: 20 Nov 2019, 8:41 AM IST
गौरतलब है कि देश के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने अपने अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत का सबसे ज्यादा नुकसान उठाया है। पिछले साल ज्वैलरी समूहों को विदेशी में धन उगाहने के लिए जारी की गई फर्जी बैंक गारंटियों के चलते पीएनबी को 14 हजार करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था।
Published: 20 Nov 2019, 8:41 AM IST
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Published: 20 Nov 2019, 8:41 AM IST