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केंद्र सरकार को खटकने लगा है देश का 'बहुत ज्यादा लोकतंत्र', नीति आयोग के CEO बोले- नहीं हो पाते हैं कड़े सुधार

भारत में लोकतंत्र अब केंद्र सरकार को खटकने लगा है, तभी तो नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत कहते हैं कि, “बहुत ज्यादा लोकतंत्र है” इसके चलते सुधार नहीं हो पा रहे।

फोटो : सोशल मीडिया
फोटो : सोशल मीडिया 

क्या केंद्र की मोदी सरकार को देश का लोकतंत्र ही उनके एजेंडे को लागू करने में अवरोध नजर आने लगा है? क्या देश का लोकतांत्रिक ढांचा विकास के रास्ते में रोड़ा बना हुआ है? क्या संविधान से मिले लोकतांत्रिक अधिकारों के चलते देश तरक्की नहीं कर पा रहा है? हालांकि यह एकदम बेहूदा सवाल हैं, लेकिन लगता है मोदी सरकार के नीति निर्धारकों का जवाब इन सब सवालों के लिए हां है। देश के लिए नीतियां निर्धारित करने वाले नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत को लगता है कि देश में “बहुत ज्यादा लोकतंत्र” होने के कारण कई क्षेत्रों में सुधार नहीं हो पा रहा है और अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर चीन से से मुकाबला करना मुश्किल हो रहा है।

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एक पत्रिका द्वारा आयोजित एक वर्चुअल कार्यक्रम में अमिताभ कांत ने कहा कि केंद्र सरकार ने सभी क्षेत्रों में कड़े सुधार किए हैं, वह खनन हो, कोयला हो, कृषि हो या फिर श्रम हो। उनका कहना है कि अब सुधारों की अगली लहर राज्यों से होनी चाहिए।

उन्होंने कहा, “भारतीय संदर्भ में कड़े सुधार करना बहुत मुश्किल है, क्योंकि हमारे यहां बहुत ज्यादा लोकतंत्र है...इन सुधारों को लागू करने के लिए आपको राजनीतिक इच्छाशक्ति चाहिए....अभी तो और भी सुधार होने हैं। अगर आर्थिक सुधार नहीं किए जाएंगे तो फिर चीन से मुकाबला करना मुश्किल होगा।”

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अमिताभ कांत ने जोर दिया कि आर्थिक सुधारों का अगला चरण राज्यों से शुरु होना चाहिए। उन्होंने कहा कि, “अगर 10-12 राज्य ऊंची दर से विकासित होंगे तो भारत भी उसी गति से विकास करेगा। हमने केंद्र शासित प्रदेशों को पहले ही कह दिया है कि बिजली क्षेत्र का निजीकरण करें। इससे प्रतिस्पर्धा बढ़ती है और सस्ती बिजली मिलती है।”

किसानों के आंदोलन के मुद्दे पर नीति आयोग के सीईओ का कहना था कि कृषि क्षेत्र को बड़े पैमाने पर सुधार की जरूरत है। उन्होंने कहा कि, “यह समझना बहुत जरूरी है कि (नए कृषि कानून आने के बाद भी) एमएसपी बनी रहेगी, मंडिया भी रहेंगी...किसान अपनी मर्जी से अपनी फसल कहीं भी बेच सकेगा और इससे किसानों को फायदा होगा।“

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मोदी सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ नारे के बारे में अमिताभ कांत ने कहा कि, “यह घर में बैठकर काम करने का नहीं बल्कि बाहर निकलकर काम करने की योजना है जिससे भारतीय कंपनियों की असली क्षमता निकलकर बाहर आएगी।”

इतना ही नहीं केंद्र की मोदी सरकार की योजना गांवों का भी धीरे-धीरे शहरीकरण करने का इरादा अमिताभ कांत ने सामने रख दिया। उन्होंने कहा कि देश का योजनाबद्ध तरीके से शहरीकरण करना होगा क्योंकि यहीं विकास का अगला बड़ा कारक (ड्राइवर) साबित होगा।

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