केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार अधिनियम यानी मनरेगा के तबत मिलने वाली न्यूनतम मजदूरी में वर्ष 2022-23 के लिए 5 से 7 फीसदी का इजाफा किया है। 34 में से 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में यह बढ़ोत्तरी सिर्फ 5 फीसदी है। यानी केंद्र ने मजदूरी में 4 रूपए से लेकर 21 रुपए का इजाफा किया है। वहीं त्रिपुरा, मणिपुर और मिजोरम में कोई बढ़ोत्तरी नहीं की गई है।
मजदूरी दर को केंद्र के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने उपधारा 1 के तहत मंगलवार को अधिसूचित किया है और यह पहली अप्रैल से प्रभावी होगा। लेकिन संशोधित दरें भी कई राज्यों के अनस्किल्ड लेबर से काफी कम हैं।
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मसलन सिक्किम में मजदूरी के दो मानक हैं। तीन ग्राम पंचायतों (नाथांग, लाचुंग और लाचेन) में मनरेगा की मजदूरी 318 प्रतिदिन से बढ़ाकर 333 रुपए प्रतिदिन की गई है जबकि बाकी राज्य में मजदूरी की दर 212 से 222 की गई है। यानी यह बढ़ोत्तरी पांच फीसदी से भी कम है। इसी तरह हरियाणा में न्यूनतम मजदूरी 315 से बढ़ाकर 331 रुपए की गई है।
31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में से अधिकतम बढ़ोत्तरी गोवा में हुई। वहां मजदूरी में 7.14 फीसदी का इजाफा किया गया है। यानी पहले के 294 के रुपए के मुकाबले मजदूरों को अब 315 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे। इसी तरह कर्नाटक में 289 की जगह अब 309 रुपए, केरल में 291 की जगह 311 रुपए प्रतिदिन दिए जाएंगे।
हरियाणा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, बिहार, झारखंड, जम्मू-कश्मीर, लक्षद्वीप, केरल, कर्नाटक, और गोवा में तो बढ़ोत्तरी 5 से 7 फीसदी है, लेकिन असम और तमिलनाडु में 2 से 3 फीसदी और ओडिशा, महाराष्ट्र, दादरा-नगर हवेली और दमनदीव में 3-4 फीसदी हुई है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, सिक्कम, हिमाचल प्रदेश, अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, पंजाब, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में न्यूनतम मजदूरी में 4-5 फीसदी का इजाफा किया गया है।
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ध्यान रहे कि देश में सबसे कम मनरेगा मजदूरी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मिलती है। यहां के मजदूरों को अब 193 रुपए प्रतिदिन के बजाए 204 रुपए प्रतिदिन मिलेंगे। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मजदूरी में इस तरह के इजाफे पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि देश में महंगाई की दर 8 से 10 फीसदी है ऐसे में इस तरह की बढ़ोत्तरी से मजदूरों का क्या भला होगा। पश्चिम बंगल खेत मजदूर समिति की सदस्य अनुराधा तलवार ने कहा कि, “बंगाल में महंगाई दर 8.7 फीसदी है और मजदूरी में इजाफा सिर्फ 4.6 फीसदी का हुआ है, तो मजदूर क्या करेगा। ऐसे में मजदूरों का जीवन कैसे चलेगा।”
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