वित्त राज्य मंत्री शिव प्रताप शुक्ल ने राज्यसभा सांसद रिताब्रता बनर्जी के सवाल के जवाब में दी लिखित प्रतिक्रिया में यह स्वीकार किया है कि वित्त वर्ष 2014-15 से सितंबर 2017 के बीच सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 2,41,911 करोड़ रुपए कर्ज माफ कर दिए हैं। वित्त मंत्रालय ने आरबीआई के ग्लोबल ऑपरेशंस के आंकड़ों के हवाले से यह जानकारी दी।
सांसद रिताब्रता बनर्जी ने क्रोनी कैपिटलिस्ट के कर्ज-माफी के संबंध में अपने सवाल में यह जानना चाहा था कि क्या यह सच है कि सितंबर 2017 तक क्रोनी कॉरेपोरेट पर बकाया सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का 2.4 लाख करोड़ कर्ज मौजूदा केंद्र सरकार ने माफ कर दिया है? और अगर ऐसा है तो उन कॉरपोरेट घरानों के नाम बताए जाएं और कर्ज-माफी का कारण बताया जाए?
वित्त मंत्रालय ने कहा कि आरबीआई कानून के अनुसार कर्जदारों की जानकारी गोपनीय रखी जाती है और उसे न तो बताया जा सकता है और न ही प्रकाशित किया जा सकता है।
Published: undefined
इस पूरे मामले को लेकर सांसद रिताब्रता बनर्जी ने नवजीवन से खास बातचीत में कहा, “सरकार कॉरपोरेट की कर्ज-माफी के सवाल इंकार की मुद्रा में है और मेरे सवाल का ठीक से जवाब नहीं दे रही है। इससे साफ पता चलता है कि सरकार की प्रतिबद्धता सिर्फ कॉरपोरेट के प्रति है और आम जनता के हितों की उसे कोई परवाह नहीं है।”
बनर्जी ने नवजीवन को इस बात की भी जानकारी दी कि वे इस मसले को लेकर वित्त मंत्री को एक पत्र लिखेंगे और पूरे मामले में स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह करेंगे।
Published: undefined
कॉरपोरेट की कर्ज-माफी से जुड़े एक सवाल को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी अगस्त, 2017 में लोकसभा को यह बताया था कि सरकार ने कॉरपोरेट घरानों द्वारा लिया गया 1 रुपया कर्ज भी माफ नहीं किया है। उन्होंने विपक्ष से पहले अपने तथ्यों की जांच करने को कहा था। उन्होंने यह भी बताया था कि कर्ज माफ करना बैंकों का एक कमर्शियल निर्णय होता है।
Published: undefined
Google न्यूज़, नवजीवन फेसबुक पेज और नवजीवन ट्विटर हैंडल पर जुड़ें
प्रिय पाठकों हमारे टेलीग्राम (Telegram) चैनल से जुड़िए और पल-पल की ताज़ा खबरें पाइए, यहां क्लिक करें @navjivanindia
Published: undefined