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गोवा: G-20 प्रतनिधियों को जुआखाने दिखाने में शर्मा रही है बीजेपी सरकार, कसीनो की ब्रांडिंग को सफेद कपड़े से ढका

गोवा की बीजेपी सरकार को जी-20 प्रतिनिधियों के सामने जुआखाने दिखाने में शर्म आ रही है। इसीलिए राज्य में होने वाली जी-20 बैठकों के दौरान कसीनो की ब्रांडिंग वाले होर्डिंग्स और बैरिकेड को सफेद कपड़े से ढक दिया गया है।

पणजी में कसीनो की ब्रांडिंग वाले बैरिकेड को सफेद कपड़े से छिपा दिया गया है
पणजी में कसीनो की ब्रांडिंग वाले बैरिकेड को सफेद कपड़े से छिपा दिया गया है 

गोवा में बीजेपी सरकार मोटी आमदनी वाले पर्यटकों को रिझाने के लिए कसीनो (जुआखाने) को प्रोमोट करती रही है, लेकिन इस महीने से लेकर जुलाई तक गोवा आने वाले जी-20 डेलीगेट के सामने इनके प्रचार को लेकर कुछ असहज नजर आ रही है। ऐसे में गोवा की प्रतिष्ठा बचाने की खातिर सरकार ने पणजी में कसीनो की ब्रांडिंग को छिपाने का काम शुरु कर दिया है। इसके लिए रातों-रात कसीनों की ब्रांडिंग वाले रोड बैरिकेड, होर्डिंग्स और बिल बोर्ड्स को सफेद कपड़े से ढक दिया गया है। गोवा में 17 अप्रैल से जी-20 प्रतिनिधियों की आमद शुरु हुई है।

राज्य के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक गोवा में होने वाली जी-20 बैठकों में जी-20 के 19 सदस्य देशों के प्रतिनिधि, दस सरकारी मेहमान र 22 अंतरराष्ट्रीय संगठन हिस्सा लेंगे। इन बैठकों में तीन लक्ष्यों पर बात होनी है, जोकि जी-20 के हेल्थ ट्रैक का हिस्सा हैं और दूसरे स्वास्थ्य कार्मिक समूह की बैठक का यही केंद्र बिंदु होगा।

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पणजी के पूर्व मेयर सुरेंद्र फरतादो ने कसीनो द्वारा अपे सीएसआर फंड से मुहैया कराए गए रोड बैरिकेड को गोवा सरकार द्वारा छिपाने पर हैरानी जताई है। उन्होंने कहा, “कसीनों के नाम छिपाने का मकसद सिर्फ यही है कि जी-20 प्रतिनिधियों को मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत की सरकार पर कसीनो का प्रभाव दिखाई न पड़े।”

फरतादो ने आगे कहा कि, “पणजी के लोगों को कसीनो की आदत पड़ चुकी है और वे समझ चुके हैं कि राज्य के विधायक और बीजेपी सरकार का कसीनो लॉबी से शुरुआत से ही गहरा रिश्ता है। इसलिए जब बीजेपी सरकार के समर्थन और सहयोग से चल रहे कसीनों को छिपाने की कोशिश करती है तो उसका पाखंड सामने आता है।" उन्होंने कहा कि, “मुझे विश्वास है कि दुनिया समझ चुकी है कि गोवा सरकार अपने अस्तित्व के लिए पूरी तरह से कैसीनो पर निर्भर है।"

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दरअसल गोवा में कसीनो का इतिहास काफी पुराना है। इसकी शुरुआत 1990 के दशक में गोवा, दमन और दीव गैंबलिंग एक्ट 1976 में संशोधन किया गया था। इसके बाद गोवा में कसीनों को कानूनी बना दिया गया था। हालांकि गोवो में पर्यटकों की बढ़ती संख्या और कसीनों की  बढ़ती मांग के बाद 2000 के दशक में ऑफशोर कसीनों की अनुमति दी गई थी।

गोवा प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष जोएल आंद्रादे कहा कहना है कि, “क्या पणजी का कसीनो उद्योग सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए ही है? इसे जी-20 प्रतिनिधियों को दिखाने में आप शर्मा क्यों रहे हैं? आखिर गोवा वासियों और पर्यटकों के लिए एक जैसे मानदंड क्यों नहीं हैं।”

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गोवा में इस समय 10 ऑनशोर यानी तट से लगे हुए और 6 ऑफशोर यानी तैरते हुए कसीनो हैं। ऑनशोर कैसीनो की संख्या बढ़ने के कयास हैं क्योंकि गोवा मंत्रिमंडल ने ऑफशोर कसीनों की संख्या पर एक सीमा तय की हुई है।

मुख्यमंत्री प्रमोद सांवत ने 2021 में गोवा विधानसभा को बताया था कि कसीनो उद्योग ने 2012 से गोवा के राजस्व में 1277.29 करोड़ का योगदान दिया है। फिलहा गोवा में ऑनशोर कसीनो के लिए 10 से 40 करोड़ रुपए की फीस है, जबकि ऑफशोर कसीनों के लिए 25 से 40 करोड़ की फीस है। सभी कसीनों से 2022-23 में मिलने वाली फीस 320 करोड़ होने का अनुमान है।

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