देश भर में नागरिकता संसोधन कानून, एनपीआर और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी है। अलग-अलग धर्मों और समुदायों के लोग इसके खिलाफ आवाज उठा रहे हैं। अब इसके खिलाफ गोवा के आर्कबिशप फिलिप नेरी फेरारो ने आवाज बुलंद की है। उन्होंने सीएए को देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने के खिलाफ बताया है। उन्होंने मोदी सरकार से सीएए को वापस लिए जाने की मांग की है। साथ ही एनपीआर और एनआरसी प्रक्रिया पर रोक लगाने की भी मांग की है।
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गोवा के आर्कबिशप फिलीप नेरी फेरारो, गोवा में कैथोलिक समुदाय ने एक बयान जारी कर मोदी सरकार से मांग की “नागरिकता संशोधन अधिनियम को तुरंत और बिना शर्त रद्द करें और एनपीआर और एनआरीस को लागू करने से रोकें।”
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आर्कबिशप ने आगे कहा कि एनआरसी और एनपीआर को लागू करने का नतीजा यह होगा कि इससे निचले वर्ग के लोग प्रताड़ना के शिकार हो जाएंगे। विशेष रूप से दलितों, आदिवासियों, प्रवासी मजदूरों, घुमंतू समुदायों और अनगिनत अवांछित लोगों को, जिन्हें योग्य नागरिकों के रूप में मान्यता दी गई थी। उहोंने कहा कि और इस महान देश में 70 से अधिक सालों से रह रहे लाखों लोग अचानक अपने अधिकार खो देंगे और उन्हें डिटेंशन सेंटर में बंद कर दिया जाएगा, जोकि गलत है।
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गौर करने वाली बात यह है कि सीएए में ईसाई धर्म के लोगों के लिए नागरिकता देने की व्यवस्था की गई है। बावजूद इसके सीएए के खतरे को भांपते हुए आर्कबिशप ने इसके खिलाफ आवाज बुंद की है।
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सीएए में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत में अवैध तरीके से आए हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इसमें इस्लाम धर्म के मानने वालों को नागरिकता देने का प्रावधान नहीं है। ऐस में इसे लोग संविधान के खिलाफ बता रहे हैं। यही वजह है कि पूरे देश में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहा है।
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