मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बालिकाओं के लिए सरकार द्वारा संचालित सरोजिनी नायडू बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की छात्राओं ने बुधवार को महिला प्रशासक पर कठोर दंड देने और बदसलूकी का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया। इस दौरान छात्राओं ने तोड़फोड़ कर स्कूल के फर्नीचर और अन्य संपत्ति को काफी नुकसान पहुंचाया, जिसके बाद अधिकारियों ने प्रशासक को पद से हटा दिया।
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सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में छात्राओं को सरकारी सरोजिनी नायडू बालिका उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में कक्षा के फर्नीचर, पंखों और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण को नुकसान पहुंचाते हुए और खिड़कियों तथा दरवाजों के शीशे तोड़ते हुए देखा जा सकता है। छात्राओं ने दावा किया कि विद्यालय में देरी से पहुंचने के कारण उन्हें अनुचित दंड दिया जाता है।
वायरल वीडियो में एक छात्रा ने दावा किया, "सिर्फ़ इसलिए कि हम 10-15 मिनट देर से आए, स्कूल प्रशासन ने हमें ज़मीन से घास हटाने के लिए मजबूर किया और धूप में खड़ा किया।" उसने कहा कि कठोर सज़ा के कारण कुछ छात्राएं बेहोश हो गईं। छात्राओं ने शौचालयों की खराब स्थिति और अपर्याप्त जल आपूर्ति की भी शिकायत की।
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मामला के तूल पकड़ने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) एनके अहिरवार ने पुष्टि की कि विद्यालय की देखरेख राज्य मुक्त विद्यालय द्वारा की जाती है और सेना की पूव कैप्टन वर्षा झा प्रशासन का प्रबंधन करती हैं। उन्होंने कहा कि हंगामे के बाद वर्षा झा को उनके पद से हटा दिया गया है। इस बीच, भोपाल मध्य विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक ने छात्राओं को शांत कराने की कोशिश की।
पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने दावा किया कि छात्राओं से देर से आने पर कचरा हटाने, घास काटने और पत्थर हटाने के लिए कहा गया। उन्होंने ‘एक्स’ पर दावा किया कि स्कूल में शौचालय गंदे हैं और छात्राओं को स्वच्छ पेयजल नहीं मिल रहा है। यादव ने कहा कि अगर राज्य की राजधानी के एक स्कूल की यह स्थिति है, तो राज्य के अन्य हिस्सों में सरकारी स्कूलों की दुर्दशा की कल्पना की जा सकती है।
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बहरहाल, छात्राओं द्वारा लगाए गए दुर्व्यवहार और स्कूल में सुविधाओं की खराब स्थिति के आरोपों की जांच की जा रही है। अहिरवार ने आश्वासन दिया कि निष्कर्षों के आधार पर उचित कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि 10-15 मिनट देरी से आने पर स्कूल प्रशासन द्वारा उन्हें दी गई सजा से छात्राएं नाराज थीं और उन्होंने विरोध प्रदर्शन किया।
शौचालय साफ करने के लिए मजबूर किए जाने की छात्राओं की शिकायतों पर प्रतिक्रिया देते हुए डीईओ ने कहा कि जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा, "छात्राओं को सुनने के बाद ऐसा लगता है कि वर्षा झा का व्यवहार उनके प्रति अच्छा नहीं था। ऐसा लगता है कि वह उनसे बहुत सख्ती से पेश आती थीं।"
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