प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को उत्तर प्रदेश के गाज़ीपुर में जिन राजा सुहेलदेव के नाम पर डाक टिकट जारी किया, उन्हीं सुहेलदेव के नाम पर बनी राजनीतिक पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी – एसबीएसपी और निषाद पार्टी के लोग सभा स्थल से कुछ ही दूर आरक्षण की मांग को लेकर धरना प्रदर्शन कर रहे थे।
खबरों के मुताबिक गाजीपुर के नौनहरा थाना क्षेत्र में निषाद समाज ने आरक्षण की मांग पर धरना प्रदर्शन का ऐलान किया था, लेकिन प्रशासन ने उन्हें धरना प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी। इतना ही नहीं पुलिस ने इस आशंका में कि कहीं पीएम के कार्यक्रम में व्यवधान न पड़े, निषाद पार्टी के एक नेता को हिरासत में लिया था। साथी को हिरासत में लेने की नाराजगी और आरक्षण की मांग को लेकर पार्टी के लोग कठवामोड़ के पास सरयू पांडेय पार्क में धरना-प्रदर्शन कर रहे थे।
पीएम की जनसभा खत्म होने के बाद जब एसबीएसपी और निषाद पार्टी के धरना स्थल के पास से बीजेपी कार्यकर्ताओं से भरे वाहन निकले, तो वहां जाम लग गया। बताया जाता है कि इस दौरान कुछ बीजेपी कार्यकर्ताओं और एसबीएसपी और निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच तूतू-मैंमैं भी हुई। इस सबके बीच इलाके में भारी जाम लग चुका था।
तभी पीएम की सभा में ड्यूटी कर लौट रहे पुलिस दल के वाहन भी वहां पहुंच गए और पुलिस कर्मियों ने जाम खुलवाने की कवायद शुरु की। खबरों के मुताबिक इस बीच पुलिस वालों ने जाम खुलवाने के लिए लाठियां भांजी, जिससे कुछ देर के लिए अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इसी बीच कुछ लोगों ने पथराव शुरु कर दिया। देखते-देखते हालात बेकाबू होने लगे और चारों तरफ भगदड़ मच गई।
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बताया जाता है कि दो तरफ से जारी पथराव में कई लोगों को चोटें आईं ,जिनमें पुलिस वाले भी शामिल थे। इसी पथराव के बीच एक पत्थर सुरेश वत्स नाम के एक पुलिस कांस्टेबिल को भी लगा। इसी बीच भीड़ ने इस कांस्टेबिल को घेर लिया और उसकी पिटाई शुरु कर दी। बताया जाता है कि पहले से घायल सुरेश वत्स की हालत पिटाई के बाद और खराब हो गई और कुछ ही देर में उसकी मौत हो गई।
कांस्टेबिल की मौत के बाद हालात और नियंत्रण से बाहर हो गए। इलाके से गुजर रहे वाहनों पर भी पथराव हुआ और कई वाहनों को नुकसान पहुंचा। इस अफरातफरी में कई लोगों के घायल होने की खबर है।
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यह पूरी घटना गाजीपुर जिले के कठवा मोड़ के नजदीक हुई। खबरों में बताया जा रहा है पीएम की जनसभा से लौट रहे बीजेपी कार्यकर्ताओं की झड़प के चलते हालात इतने बेकाबू हुए।
घटना के बारे में सदर थाने के पुलिस क्षेत्राधिकारी का कहना है कि, “कांस्टेबिल सुरेश वत्स करीमुद्दीन थाने के दूसरे पुलिस कर्मियों के साथ पीएम की जनसभा से लौट रहा था। रास्ते में नौनेरा थाने क्षेत्र के कठुवा मोड़ के पास निषाद समुदाय के लोग प्रदर्शन कर रहे थे। वहां हुए पथराव में कांस्टेबिल को भी पत्थर लगा और कुछ लोगों ने उसकी पिटाई की, जिससे उसकी मौत हो गई।“
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घटना के सिलसिले में निषाद पार्टी के छत्रपति निषाद का कहना है कि, “हम निषाद समुदाय के लिए बरसों से आरक्षण की मांग कर रहे हैं। हम आरक्षण का मुद्दा लोगों तक ले जा रहे हैं। हमने इलाहाबाद से अपना मार्च शुरु किया था और इसे पूरे राज्य में लेकर जाएंगे।” उनका कहना है कि 4 साल से उन्हें सिर्फ वादे-दिलासे दिए जा रहे हैं, नतो पीएम और न ही सीएम निषाद समुदाय की मांग पर ध्यान दे रहे हैं।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने गाज़ीपुर हिंसा को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने मृतक सुरेश वत्स के परिवार वालों को 40 लाख रुपए देने की घोषणा की है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गाजीपुर जनसभा दरअसल उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल को साधने की रणनीति का हिस्सा थी। साथ ही राजभर और निषाद समाज को रिझाने की कोशिश भी इस कार्यक्रम के जरिए करने की कोशिश की गई थी। लेकिन जिन राजा सुहेल देव के नाम पर पीएम ने डाक टिकट जारी किया, उन्हीं के नाम पर बनी पार्टी ने पीएम के इस कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया। गौरतलब है कि राजभर समाज के नेता ओम प्रकाश राजभर योगी सरकार में मंत्री हैं और बीजेपी के सहयोगी हैं। वहीं बीजेपी की एक और सहयोगी पार्टी और केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल के संगठन अपना दल ने भी पीएम के कार्यक्रम का बहिष्कार किया था। ओमप्रकाश राजभर लगातार बीजेपी की आलोचना करते रहे हैं। राजभर को पूर्वां
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