गैंगरेप केस में पीड़ित बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की है। बिलकिस बानो ने 13 मई के आदेश पर दोबारा विचार की मांग की। बिलकिस बानो ने कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दाखिल की है, जिसमें कोर्ट ने रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था। इसके अलावा बिलकिस बानो ने सभी 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई के खिलाफ भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है।
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बानो का प्रतिनिधित्व करने वाली अधिवक्ता शोभा गुप्ता ने चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष मामले को रखा। गुप्ता ने तर्क दिया कि संभावना कम है कि न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी की अगुवाई वाली पीठ मामले की सुनवाई कर पाएगी, क्योंकि वह अब संविधान पीठ की सुनवाई का हिस्सा हैं। बानो ने शीर्ष अदालत के गुजरात सरकार को दोषियों की सजा पर फैसला करने की अनुमति देने के फैसले के खिलाफ समीक्षा याचिका लगाई थी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि पहले समीक्षा सुननी होगी और इसे न्यायमूर्ति रस्तोगी के समक्ष आने दीजिए। गुप्ता ने कहा कि मामले की सुनवाई खुली अदालत में होनी चाहिए।
बता दें कि गैंगरेप मामले के 11 दोषियों को गुजरात सरकार ने सजा माफी दे दी थी, जिसके बाद 15 अगस्त को उन्हें गोधरा उप-कारागार से रिहा किया गया था। इसके बाद से ही इस मामले को लेकर राज्य और केंद्र सरकार पर सवाल खड़े होने लगे थे।
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क्या है पूरा मामला?
गुजरात दंगों के दौरान दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका में 3 मार्च, 2002 को भीड़ ने 14 लोगों की हत्या कर दी थी। इसी दौरान बिलकिस के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया था, उस दौरान वह गर्भवती थीं। भीड़ ने जिन लोगों की हत्या की थी, उनमें बिलकिस बानों की तीन साल की बेटी भी शामिल थी।
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