गणेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर मुआवजे की मांग की है। गणेश गुप्ता उन दुकानदारों में से हैं जिन पर दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में बुधवार को बीजेपी शासित एमसीडी ने बुलडोजर चला दिया। गुप्ता की इलाके में जूस की दुकान थी, जिसे गुप्ता की मिन्नतों के बाद भी नहीं बख्शा गया।
गणेश गुप्ता ने सुप्रीम कोर्ट से नॉर्थ एमसीडी से अपने नुकसान के लिए मुआवजा दिलाने के साथ-साथ जनहित को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने की मांग की है। इस मांग में कहा गया है कि बड़ी संख्या में गरीब, निर्दोष या सामाजिक या आर्थिक रूप से वंचित स्थिति वाले लोगों के संवैधानिक या कानूनी अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए और इसे अनदेखा नहीं किया जाना चाहिए।
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गुप्ता की याचिका में इस बात को रेखांकित किया गया है कि नॉर्थ एमसीडी द्वारा की गई ध्वस्तीकरण की कार्रवाई सांप्रदायिक द्वेष से प्रेरित है क्योंकि एमसीडी के पास पहले से अतिक्रमण के 3,000 मामले लंबित हैं, जिनपर कार्यवाही करने से पहले अनुचित जल्दबाजी में और अनिवार्य वैधानिकता को दरकिनार कर जहांगीरपुरी पर बुलडोजर चला दिए।
गुप्ता ने अपनी अर्जी मे बताया है कि वह दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा उसे 1977-78 में वह जगह अलॉट की गई थी और तब से ही वह और उसका परिवार नियमित रूप से जरूरी शुल्क और करों का भुगतान कर रहा है। गुप्ता ने कोर्ट को बताया है कि विध्वंस के दिन उन्होंने अधिकारियों को सभी दस्तावेज दिखाने की कोशिश की लेकिन उन्होंने उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया और उनकी दुकान को तोड़ दिया गया। उन्होंने विध्वंस पर रोक लगाने के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में उन्हें सूचित करने की भी कोशिश की, लेकिन उन्होंने सुनने से इनकार कर दिया।
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अर्जी में कहा गया है कि विध्वंस की कार्यवाही पूरी तरह कानून के खिलाफ और एमसीडी एक्ट की धारा 343, 347 बी और 368 के प्रावधानों का उल्लंघन है। एमसीडी एक्ट की धारा 343 और 368 के तहत स्पष्ट है कि प्रभावित व्यक्ति को कारण बताओं नोटिस जारी कर पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए कि आखिर विध्वंस की कार्यवाही क्यों न की जाए।
धारा 343 में यह भी प्रावधन है कि अगर किसी व्यक्ति ने किसी इमारत में कोई अवैध निर्माण किया है या किया जा रहा हैतो उसे हटाने या गिराने के लिए व्यक्ति को आदेश जारी करने की तिथि से कम से कम 5 दिन का समय स्वंय ही उस निर्माण को हटाने के लिए दिया जाना चाहिए। इसी तरह धारा 347 बी में कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति बिना कमिश्नर की अनुमति के किसी भी जमीनका इस्तेमाल या बदलाव नहीं कर सकता। ऐसे धारा 368 में कहा गया है कि अगर कोई इमारत मानव प्रयोग के लिए सुरक्षित नहीं है तो उसे कम से कम 30 दिन का नोटिस देकर गिराया जा सकता है।
लेकिन जहांगीरपुरी मामले में एमसीडी ने इन सभी प्रावधानों को दरकिनार कर दिया। इतना ही नहीं एमसीडी ने कई ऐसे वैंडर्स के स्टाल भी तोड़ दिए जिन्हें स्ट्रीट वेंडर प्रोटेक्शन ऑफ लिवलीहुड एंड रेगुलेशन एक्ट 2014 के तहत सुरक्षा मिली हुई थी। इस ऐक्ट के तहत किसी भी वेंडर को ऐसे ही नहीं हटाया जा सकता है।
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याचिका में यह भी कहा गया है कि बुलडोजर कार्यवाही से खूब वाहवाही भी लूटी गई और एक न्यूज एंकर उसी बुलडोजर पर चढ़ी हुई दिखाई दीं जिसे विध्वंस के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था।
गुप्ता की याचिका में यह भी कहा गया है कि इन दिनों बुलडोजर का इस्तेमाल सरकारी संरक्षण में गरीबों और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। याचिका में एमपी के खरगौन और उत्तराखंड के रुड़की का हवाला दिया गया है।
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