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सोशल मीडिया पर '#गोडसे जिंदाबाद' करने वालों की गांधी प्रेमियों के हाथों करारी हार

गांधी जयंती पर महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का गुणगान करने वालों को गांधी प्रेमियों ने सोशल मीडिया पर करारी मात दी है। जहां #गोडसे जिंदाबाद के साथ चंद हजार ही पोस्ट सामने आईं, वहीं गांधी जी को श्रद्धांजलि देने वालों की संख्या लाखों में थी।

यह तस्वीर नॉर्वे की राजदूत ने पोस्ट की है
यह तस्वीर नॉर्वे की राजदूत ने पोस्ट की है 

भारत में नॉर्वे की राजदूत मे-एलिन स्टेनर ने सोमवार को गांधी स्मृति का एक फोटो शेयर किया। इस फोटो में वे एक पत्र की प्रति के साथ खड़ी हैं जिसमें पते की जगह लिखा है, “महात्मा गांधी, वे जहां भी हों...”, और यह पत्र महात्मा गांधी तक पहुंच भी गया था।

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महात्मा गांधी की जयंती पर देश भर के लोग उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं, लेकिन बापू के आलोचक भी सक्रिय रहे। हां आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत इस मामले में चुप रहे। आर एस एस के एक्स (@Rssorg) पर सन्नाटा रहा, लेकिन संघ के बौद्धिक समर्थकों ने कथित तौर पर मुसलमानों का समर्थन करने और देश के विभाजन के लिए महात्मा गांधी पर निशाना साधा था। कुछ बचकाने  ट्वीट्स तो गांधी जी के हत्यारे की प्रशंसा करते हुए 'गोडसे' में 'गॉड' तक को देखने लगे।

प्रधानमंत्री और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे सहित कई राजनीतिक नेताओं ने सोमवार सुबह राजघाट जाकर राष्ट्रपिता को पुष्पांजलि अर्पित की और सोशल मीडिया पर लोगों ने महात्मा को भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें याद किया। उनमें से एक ने याद किया कि महात्मा अक्सर अपनी खामियों और गलतियों को शालीनता से स्वीकार करते थे, जो उन गुणों में से एक है जिसने उन्हें महान बनाया।

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लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक हैशटैग ट्रेंड कर रहा था जिसमें महात्मा के हत्यारे का महिमामंडन किया गया था। इस हैशटैग को “#नाथूराम_गोडसे_ज़िंदाबाद” लिखा गया था। सोशल मीडिया पर और खासतौर से एक्स पर हैशटैग को ट्रेंड किए जाने को लेकर आमतौर पर संदेह होता है कि इसे जानबूझकर ट्रेंड कराया जा रहा है। सवाल ये भी उठते हैं कि सरकार, जो एक भी ऐसे ट्वीट या पोस्ट के लिए लोगों को गिरफ्तार कर लेती है जो उसे पसंद नहीं है, उसने इतने सारे लोगों को, जिनमें से कई गुमनाम और शायद फर्जी नामों से पोस्ट कर रहे थे, महात्मा को बदनाम करने की खुली छूट क्यों दी जाती है।

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साइबर सेल और सरकार के पास ऐसे लोगों की पहचान करना कोई मुश्किल काम नहीं है, क्योंकि उसके पास इसके लिए जरूरी सारे संसाधन उपलब्ध हैं। लेकिन इसे लेकर सरकार की गहरी चुप्पी इस संदेह को मजबूत करती है कि भले ही सरकार खुले तौर पर महात्मा गांधी को बदनाम करने की प्रवृत्ति को प्रोत्साहित नहीं कर सकती है, लेकिन यह महात्मा गांधी के विरोधियों का मौन समर्थन करती है। वैसे यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है।

बीते कुछ वर्षों में महात्मा गांधी को समर्पित अधिकांश संस्थाएं गैर-गांधीवादियों या यहां तक कि गांधी-विरोधियों को सौंप दी गई हैं। गांधी स्मृति संग्रहालय की आधिकारिक पत्रिका ने पिछले साल महात्मा गांधी हत्याकांड के मुख्य आरोपियों में से एक सावरकर पर एक विशेष अंक निकाला था। संग्रहालय और इसी तरह के अन्य संस्थान अब नियमित रूप से आरएसएस की बैठकें आयोजित करते हैं और ऐसे अवसरों पर, सुरक्षा कारण  बताकर संग्रहालय को लोगों के लिए बंद कर दिया जाता है।

मीडिया निगरानी संस्था के रूप में काम करने वाले पोर्टल न्यूज़लॉन्ड्री द्वारा पोस्ट की गई एक वीडियो स्टोरी में इसी बात पर प्रकाश डाला गया है कि कैसे महात्मा की स्मृति को समर्पित संस्थानों में प्रधानमंत्री की छवि को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के उद्धरण अब इनमें से अधिकांश संस्थानों की शोभा बढ़ाते हैं, उनकी तस्वीरें अक्सर गांधी की तुलना में बड़ी होती हैं।

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कनॉट प्लेस (राजीव चौक) स्थित खादी इंडिया के शोरूम में सेल्फी पॉइंट पर, यह प्रधानमंत्री की छवि है जो आगंतुकों के सामने रख दी जाती है। सेल्फी पॉइंट की आड़ में अन्य प्रधानमंत्रियों की तस्वीरें और उद्धरण छिप जाते हैं। सवला है कि आखिर प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर भी दूसरों के साथ दीवार पर क्यों नहीं नजर आ सकती?

सत्ता में बैठे लोगों का पाखंड और दोहरा मापदंड लोगों से छिपा हुआ नहीं है। वे कहते हैं कि कैसे प्रधानमंत्री और बीजेपी नेताओं ने लगातार महात्मा की निंदा को प्रोत्साहित किया है, पुराने और प्रतिबद्ध गांधीवादियों को संस्थानों से बाहर कर दिया है और आधुनिकीकरण के बहाने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है।

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लोग ये भी पूछते हैं कि क्या प्रधानमंत्री ने भोपाल से बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर संसद में गोडसे का महिमामंडन करने के लिए माफ कर दिया है, या फिर उस कथित साध्वी को क्षमा दे दी है जिसने समारोहपूर्वक प्रतीकात्मक रूप से महात्मा की तस्वीर पर गोली चलाई थी। राजघाट पर प्रार्थना करते हुए पीएम मोदी के नेतृत्व में जी-20 नेताओं की तस्वीर को कई लोगों ने यह बताने के लिए साझा किया कि महात्मा की स्मृति को मिटाने के प्रयास नाकाम हो गए हैं।

हालाँकि, एक्स पर नफरत फैलाने वालों को सोमवार को महात्मा गांधी के प्रशंसकों ने बहुत पीछे छोड़ दिया। जबकि उनके हत्यारे नाथूराम गोडसे के समर्थन में हैशटैग पर दोपहर तक 10 हजार से भी कम पोस्ट आए थे, वहीं महात्मा को श्रद्धांजलि देने वाले पोस्ट की संख्या 1.16 लाख से भी पार हो चुकी थी।

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