बुंदेलखंड की पानी की कहानी किसी से छुपी नहीं है और यहां सूखे गले को तर करने के नाम पर बड़े खेल खेले जाते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ है टीकमगढ़ और निवाड़ी जिलों में जहां जामनी नदी से 10 तालाबों को भरने की योजना बनी थी, मगर योजना का पहला चरण पूरा होने के बावजूद पानी सिर्फ 5 तालाबों तक ही पहुंच सका है।
बुंदेलखंड के टीकमगढ़ और निवाड़ी (निवाड़ी नया जिला) जिले में सबसे ज्यादा चंदेल कालीन तालाब हैं और इनकी संख्या साढ़े चार सौ के आसपास है, इसके बावजूद यह इलाका हर साल पानी के संकट से जूझता है। यही कारण है कि साल 2013 में नदी-तालाब जोड़ो योजना बनाई गई थी, इसमें जामनी नदी पर हरपुरा सिंचाई परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाना था।
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इस योजना में फेस एक और फेस दो में काम कराने का फैसला हुआ था। पहले चरण में 10 तालाबों में नदी का पानी भरने की योजना पर अमल हुआ, इसके लिए नदी से तालाब तक नहर बनाई गई।
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि नदी जोड़ो योजना के पहले चरण का काम पूरा भी हो गया है। लेकिन, जहां 10 तालाबों तक नदी का पानी भेजा जाना था, पानी सिर्फ पांच तालाबों तक ही पहुंचा है।
राज्य के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट भी मानते हैं कि जिन 10 तालाबों तक पानी पहुंचना था, उनमें से सिर्फ पांच तालाब ही भरे जा सके हैं। साल 2017-18 में पांच तालाब भरे गए और 2020-21 में भी पांच ही तालाब भरे गए। बाकी शेष तालाब खाली पड़े हैं, ऐसा इसलिए क्योंकि नदी में पानी नहीं है।
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जल संसाधन मंत्री सिलावट की बात पर निवाड़ी क्षेत्र की पृथ्वीपुर विधानसभा के विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर ने सवाल उठाया है और उनका कहना है कि "नदी में इतना पानी है कि 10 नहीं 50 तालाब भी भरे जा सकते हैं। अगर तालाब नहीं भरे गए हैं तो यह कहीं न कहीं तकनीकी खामी है। जब कोई योजना बनती है तो तमाम हालात देखने के बाद ही फैसले लिए जाते हैं। ऐसा ही कुछ नदी तालाब जोड़ो योजना में हुआ, मगर लापरवाही के कारण तालाब नहीं भरे जा रहे हैं।"
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जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि तालाब भरे जाने का मामला किसानों के लिहाज से महत्वपूर्ण और गंभीर है, इसलिए इस पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। वहीं,विधायक बृजेंद्र सिंह राठौर ने कहा कि टीकमगढ़ और निवाड़ी में बड़ी संख्या में तालाब हैं, मगर हर दूसरे साल सूखा पड़ने के कारण यहां जल संकट बना रहता है। यही कारण है कि नदी तालाब जोड़ो योजना बनाई गई। इस क्षेत्र का दुर्भाग्य है कि इस योजना को भी सही तरह से क्रियान्वित नहीं किया गया है। 10 तालाबों को भरने की बजाय सिर्फ पांच तालाब ही भरे गए हैं।
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