सोशल मीडिया पर गोरखपुर की कुछ ध्वस्त दुकानों की फोटो के साथ एक कमेंट की भरमार हैः “कोई यूं ही योगी नहीं बन जाता।” इसमें बताया गया है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने फोरलेन की खातिर उस गोरखनाथ मंदिर परिसर की दुकानों पर बुलडोजर चलवा दिए, जहां के महंत वह खुद हैं।
यह खबर मीडिया में सुर्खियों में रही। लेकिन क्या जैसा ऊपर-ऊपर दिख रहा है, वैसा ही अंदरखाने भी है? जहां मंत्री से लेकर संतरी तक इंच-इंच जमीन पर कब्जे को लेकर बेचैन हों, वहां योगी-जैसा कोई व्यक्ति मुख्यमंत्री की कुर्सी पर होते हुए क्या खुद अपनी दुकानों पर बुलडोजर चलवा सकता है? इसलिए अंदर की कहानी तो कुछ और ही है।
Published: 04 Jun 2020, 9:00 PM IST
दरअसल, योगी ने यह सब 5 साल बाद की तस्वीर को सामने रखकर किया है। दुकानों को तोड़ने की अनुमति देने के निहितार्थ और पर्दे की पीछे की राजनीति समझने की जरूरत है। निर्देश के तहत मंदिर परिसर में बनीं 150 से अधिक दुकानें ध्वस्त की जानी हैं। करीब 50 दुकानें ध्वस्त हो चुकी हैं, 100 से अधिक टटूनी हैं। इन दुकानों से मंदिर प्रबंधन को बमुश्किल 1,000 से 2,000 रुपये के बीच किराया मिलता है।
अभी भी आप नहीं समझे तो इस बात से समझिये कि मंदिर गेट से बमुश्किल 150 मीटर पर पांचमंजिला शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाया जा रहा है। यह जमीन गोरखनाथ मंदिर की है। यहां इस वक्त सब्जी मंडी लगती है। कॉम्प्लेक्स के मानचित्र को गोरखपुर विकास प्राधिकरण से स्वीकृति मिल चुकी है। इनमें 83 दुकानें और 20 आवासीय फ्लैट बनने हैं। इतना ही नहीं, गोरखनाथ मंदिर के आसपास तीन और स्थानों पर शॉपिंग कॉम्पलेक्स बनाने की कवायद शुरू हो गई है।
Published: 04 Jun 2020, 9:00 PM IST
जिन लोगों की दुकानें ध्वस्त हो चुकी हैं, उनसे पगड़ी लेकर इस कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट करने की योजना है। यह भी हो सकता है कि अगर पगड़ी की रकम अपेक्षा से ज्यादा निकली और नया किराया भी अधिक हुआ, तो कुछ दुकानदार हाथ खड़े कर दें। इसमें भी मंदिर प्रबंधन की चांदी है। हालांकि प्रशासनिक कार्रवाई से दुकानदारों के साथ ही सिंधी समाज के लोगों में गुस्सा है, लेकिन कार्रवाई के खौफ में ये कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। यह खौफ ऐसे ही नहीं है। एक व्यापारी ने विरोध किया तो उसे घंटों थाने में बिठाए रखा गया।
फोरलेन बनने से और भी फायदे हैं। इसके निर्माण के बाद ट्रैफिक जाम से तो निजात मिलेगी ही, गोरखनाथ मंदिर तक पहुंचना आसान होगा। गोरखपुर की प्रस्तावित मेट्रो भी इसी सड़क से होकर गुजरनी है। गोरखनाथ मंदिर भी मेट्रो का प्रस्तावित स्टेशन है। जाहिर है, मंदिर की ब्रांडिंग में यह कार्ययोजना काफी अहम है। फोरलेन के रूट पर ही करीब 10 किलोमीटर की दूरी पर गोरखनाथ प्रबंध तंत्र का मेडिकल कॉलेज निर्माणधीन है। जाहिर है, फोरलेन और मेट्रो के निर्माण से मेडिकल कॉलेज की राह आसान होगी।
Published: 04 Jun 2020, 9:00 PM IST
मोहद्दीपुर से जंगल कौडिया फोरलेन को लेकर योगी आदित्यनाथ तबसे सक्रिय हैं, जब वह सिर्फ सांसद थे। योगी ने सितंबर, 2016 में गोरखपुर के तेनुआ टोल प्लाजा पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के समक्ष इस फोरलेन की मांग की थी। फोरलेन शिलान्यास के इस कार्यक्रम में योगी के भावी मुख्यमंत्री होने को लेकर फुलस्क्रीन पर एक गीत भी चला था। सरकारी कार्यक्रम में इसे लेकर किरकिरी भी हुई थी। खैर, योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तो इस योजना पर तेजी से अमल शुरू हुआ और साल 2018 में 288 करोड़ की इस परियोजना का टेंडर फाइनल हो गया।
मंदिर से होकर गुजरने वाले 17 किलोमीटर लंबे फोरलेन का वह हिस्सा बन चुका है, जहां विवाद नहीं है। लेकिन गोरखनाथ ओवरब्रिज से लेकर गोरखनाथ चिकित्सालय तक दुकानदारों के विरोध के चलते ध्वस्त करने का अभियान कई महीने तक रुका रहा। इससे पहले कई बार दुकानदारों ने ध्वस्त करने के विरोध में और मुआवजे की मांग को लेकर दुकानें बंद रखकर विरोध-प्रदर्शन भी किया। पर इसे तोड़ने की ताक में बैठे प्रशासनिक अफसरों को लॉकडाउन ने मुफीद अवसर दे दिया।
Published: 04 Jun 2020, 9:00 PM IST
सबसे पहले बीते 20 मई को गोरखनाथ मंदिर के मुख्य गेट से सटी दुकानों पर बुलडोजर चलाकर मैसेज दिया गया कि जब मुख्यमंत्री की दुकानें तोड़ी जा रही हैं तो अन्य लोग अपना हश्र खुद समझ लें। 22 और 23 मई तक गोरखनाथ मंदिर परिसर की करीब 40 दुकानें तोड़ी गईं। इसी बीच 23 मई को लॉकडाउन में पहली बार योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे और मंदिर प्रशासन और अफसरों के साथ बैठकें कीं।
योगी के लखनऊ लौटने के बाद अफसरों ने गोरखनाथ ओवरब्रिज से लेकर गोरखनाथ मंदिर के दूसरे गेट की दुकानों को जमींदोज कर दिया। इसके लिए न तो रविवार देखा गया, न ही ईद का त्योहार। फिलहाल की तस्वीर देखकर तो लगता है कि मानो किसी जलजले में दुकानें ध्वस्त हुई हों।
Published: 04 Jun 2020, 9:00 PM IST
इस दौरान 70 साल पुराना झूलेलाल मंदिर भी तोड़ दिया गया, तो सिंधी समाज के लोग सड़क पर आ गए। लेकिन बड़े-बुजुर्गों की नसीहत और मौके की नजाकत को देखते हुए वे बैकफुट पर हैं। सिंधी समाज के जीवंत माधवानी का कहना है कि मंदिर के लिए जमीन पहले मिल जाती तो भगवान झूलेलाल की प्रतिमा को तत्काल स्थापित कर दिया जाता। दरअसल, मुख्यमंत्री ने मंदिर के लिए नगर निगम की जमीन देने का ऐलान किया है।
हालांकि, अभी सिंधी समाज को इस पर कब्जा नहीं मिला है। वहीं मंदिर गेट के पास भी लोग दबी जुबान में ही विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि पूर्व में पीडब्ल्यूडी के एनएच विभाग ने मंदिर की बाउंड्री की तरफ भी चिह्नांकन किया था, लेकिन अब सड़क की दूसरी तरफ करीब डेढ़ मीटर बढ़कर तोड़फोड़ की जा रही है।
Published: 04 Jun 2020, 9:00 PM IST
यहां प्रदेश मुख्यालय के शीर्षस्थ अफसरों के मुताबिक, यूपी सरकार ने फोरलेन की जद में आने वाली दुकानों और मकानों के मुआवजे के लिए 69 करोड़ रुपये जारी किए हैं। पर लखनऊ से लेकर गोरखपुर तक किसी स्तर का कोई अधिकारी अभी यह बताने की स्थिति में नहीं है कि किस दुकान और मकान मालिक को कितना मुआवजा मिल रहा है। अलबत्ता, मंदिर परिसर के दुकानदारों को मुआवजा जरूर बांट दिया गया। इसके लिए रविवार और ईद के अवकाश को भी दरकिनार कर ट्रेजरी कार्यालय खोलकर 1.67 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। अफसर सिर्फ यह बता रहे हैं कि दुकानों के निर्माण में जो लागत आई थी, उसे लेकर मुआवजा दिया गया है।
Published: 04 Jun 2020, 9:00 PM IST
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Published: 04 Jun 2020, 9:00 PM IST