ब्राजील में संपन्न जी-20 शिखर सम्मेलन के घोषणा पत्र में यूक्रेन पर रूस के हमले की साफ शब्दों में निंदा करने से परहेज किया गया है, साथ ही यूक्रेन को मदद देने के मामले में भी नर्मी दिखाई गई है। माना जा रहा है कि ऐसा अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की आमद के दबाव में किया गया है।
इससे पहले दिल्ली में हुए जी-20 घोषणापत्र में भी रूस के प्रति नर्म रुख अपनाया गया था और रूस को युद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराने के बजाए युद्ध के सामाजिक प्रभावों पर अधिक जोर दिया गया था। दिल्ली के घोषणापत्र में रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर साथ पैराग्राफ थे, जबकि रियो में संपन्न घोषणापत्र में सिर्फ एक पैराग्राफ में इस मामले को निपटा दिया गया।
रियो घोषणापत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संदेश को भी जगह नहीं मिली जिसमें उन्होंने पुतिन के साथ हुई चर्चा में कहा था कि ‘यह युद्ध का युग नहीं है।’ इस बयान का उल्लेख बाली और दिल्ली दोनों ही घोषणापत्रों में किया गया था। इसके अलावा इसमें परमाणु खतरों की निंदा करने या आवश्यक ऊर्जा इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमलों को रोकने की मांग करने जैसी कोई बात भी नहीं कही गई।
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रूस के पश्चिमी सहयोगियों ने जी20 के इस बयान की आलोचना करते हुए कहा है कि जी-20 का घोषणापत्र रूस द्वारा 2022 में अपने पड़ोसी यूक्रेन पर हमले को उजागर करने में नाकाम रहा है। कहा गया है कि ब्राजील में शिखर सम्मेलन में जो अंतिम बयान निकला है वह पिछले साल की तुलना में काफी कमजोर है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लादिमिर ज़ेलेंस्की ने जी-20 नेताओं पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा परमाणु हथियारों के उपयोग के लिए मास्को के नियमों को आसान बनाने वाले एक फैसले पर हस्ताक्षर करने के बाद कोई कार्रवाई करने में नाकाम रहने का भी आरोप लगाया। उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि "आज, जी-20 देश ब्राजील में बैठे हैं। क्या उन्होंने कुछ कहा? कुछ भी नहीं,"
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उधर जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज़ ने कहा है कि वह इस बात से निराश हैं कि बयान में युद्ध शुरू करने में रूस की भूमिका का कोई संदर्भ नहीं दिया गया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "यह काफी नहीं है क्योंकि जी-20 यह स्पष्ट करने के लिए शब्द नहीं खोज पाया कि (युद्ध के लिए) रूस जिम्मेदार है।"
इसके अलावा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर की तरफ से भी बयान आया है जिसमें घोषणापत्र की भाषा में बदलाव को "निराशाजनक, लेकिन आश्चर्यजनक नहीं" कहा गया है। स्टारमर ने कहा कि संप्रभुता पर भाषा को शामिल करना महत्वपूर्ण होता है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि रूस को सीधे युद्ध के लिए दोषी ठहराना मुश्किल था। बता दें कि यह लगातार तीसरा मौका था जब रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन जी-20 सम्मेलन में शामिल नहीं हुए, अलबत्ता उनके विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव बैठक में मौजूद थे।
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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी कहा कि जी-7 देशों और "विकसित अर्थव्यवस्थाओं" को लगा कि रूस द्वारा यूक्रेन पर "अवैध आक्रमण" को दिखाने के लिए एक बहुत मजबूत बयान की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिखर सम्मेलन “दुनिया में एक विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण समय पर हुआ है, जब भू-राजनीति स्थितियों के साथ ही दुनिया भर के नागरिकों के लिए भी चुनीतपूर्ण समय है, महंगाई, युद्ध और जलवायु परिवर्तन चिंता का कारण हैं।
बताया जाता है कि जब जी-20 के घोषणापत्र को अंतिम रूप दिया गया उस समय फ्रांस, जर्मनी और अमेरिका मौजूद नहीं थे। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रोन ने कहा, “राष्ट्रपति लूला ने इसे अंतिम रूप दे दिया। लेकिन उसमें वह बातें नहीं थीं जो हम रख सकते थे।” उन्होंने कहा कि आज हमारी प्राथमिकता एक स्थायी शांति प्राप्त करना है।
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