विश्विवद्यालय अनुदान आयोग कल सोमवार को फोर ईयर अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम- एफवाईयूपी की रूपरेखा सार्वजनिक करेगा। इसके तहत यूजीसी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रावधानों का पालन करते हुए छात्रों को तीन वर्षीय स्नातक डिग्री के साथ-साथ 4 वर्षीय ऑनर्स डिग्री हासिल करने का विकल्प प्रदान करेगा। यूजीसी के मुताबिक छात्रों को रिसर्च स्पेशलाइजेशन के साथ चार वर्षीय स्नातक यूजी ऑनर्स की डिग्री मिलेगी।
यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश कुमार के मुताबिक छात्र 120 क्रेडिट पूरा होने पर तीन वर्षीय यूजी डिग्री और 4 वर्ष में 160 क्रेडिट पूरा करने पर एफवाईयूपी ऑनर्स डिग्री हासिल कर सकेंगे। रिसर्च स्पेशलाइजेशन के इच्छुक छात्रों को चार साल के अंडर ग्रेजुएशन पाठ्यक्रम में एक रिसर्च प्रोजेक्ट शुरू करना होगा। इससे उन्हें रिसर्च स्पेशलाइजेशन के साथ साथ ऑनर्स की डिग्री हासिल होगी।
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यूजीसी के अनुसार शैक्षणिक सत्र 2023-24 से सभी विश्वविद्यालय 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों (बीए, बीकॉम, बीएससी) आदि में दाखिला ले सकेंगे। यूजीसी ने 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों के लिए सभी आवश्यक नियम और दिशानिर्देश तैयार किए हैं, जिसे कल सार्वजनिक किया जाएगा।
जगदीश कुमार ने बताया कि 2023-24 से जहां सभी नए छात्रों के पास चार साल वाले अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का विकल्प होगा, वहीं पुराने छात्रों के लिए भी 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम की स्कीम को मंजूरी दी जा सकती है। इसका सीधा सीधा अर्थ यह है कि ऐसे छात्र जिन्होंने इस वर्ष सामान्य तीन वर्षीय अंडर ग्रेजुएशन पाठ्यक्रमों में दाखिला लिया है, उन्हे भी अगले सत्र से चार साल की डिग्री कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिल सकता है।
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यूजीसी की इस नई पहल का कई विश्वविद्यालयों के शिक्षकों द्वारा विरोध भी शुरू हो गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ की पूर्व सदस्य प्रोफेसर आभा देव हबीब कह चुकी हैं कि इससे छात्रों पर 1 वर्ष का अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा। उनके मुताबिक इससे छात्रों की समस्याओं में इजाफा होगा।
वहीं यूजीसी के मुताबिक सभी छात्रों के लिए 4 वर्षीय अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रम मुहैया कराया जाएगा लेकिन इस पाठ्यक्रम में दाखिला लेने के लिए छात्रों को बाध्य नहीं किया जाएगा। यदि छात्र चाहें तो वह पहले से चले आ रहे 3 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों को ही जारी रख सकते हैं। यूजीसी का कहना है कि एफवाईयूपी में छात्रों के पास मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के विकल्प होंगे। इस विकल्प का लाभ यह होगा कि यदि किसी छात्र को अपनी डिग्री पूरी किए बिना पढ़ाई बीच में छोड़नी पड़ती है, तो ऐसे छात्रो को अगले तीन सालों में पढ़ाई फिर से पूरी करने की अनुमति होगी। मल्टीपल एंट्री और एग्जिट सिस्टम के माध्यम से छात्र 7 वर्षों के भीतर कभी भी अपनी डिग्री पूरी कर सकते हैं।
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प्रोफेसर जगदीश कुमार के मुताबिक विश्वविद्यालयों में पहले से ही दाखिला ले चुके छात्रों को भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का हिस्सा बनने का अवसर मिलेगा। ऐसे छात्र जो प्रथम या सेकंड ईयर में हैं यदि वह चाहेंगे तो उन्हें भी 4 वर्षीय अंडर ग्रेजुएट पाठ्यक्रमों का विकल्प उपलब्ध कराया जा सकेगा। इसकी शुरूआत वर्ष 2023-24 से शुरू होने वाले नए सत्र से ही होगी। यूजीसी 4 वर्षीय पाठ्यक्रमों के मामले में विभिन्न विश्वविद्यालयों को भी कुछ नियम कायदे बनाने की छूट देगा।
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