कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान हुए हुए तीन सप्ताह के करीब हो गए हैं। भारत ने ओमक्रॉन के अब तक लगभग 40 मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन वायरोलॉजिस्टों का मानना है कि और भी बहुत से लोग होंगे जो इस वेरिएंट से संक्रमित हो सकते हैं। ऐसे में इसे समझने में कई सप्ताह लगेंगे कि ओमिक्रॉन के चलते अस्पतालों में भर्ती होने वालों की संख्या में कितना उछाल आएगा।
अभी तक भारत में 40 के आसपास ओमिक्रॉन केसों की पुष्टि हो चुकी है। ओसीआईएस एंड ग्रीन टेम्पलटन कॉलेज, युनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफर्ड के फेलो डा शाहिद जमील का कहना है कि अभी की स्थिति में सरकार को क्लस्टर आधारित टेस्टिंग बढ़ानी चाहिए और वैक्सीनेश का काम तेज करना चाहिए। डॉ शाहिद जमील अशोका यूनिवर्सिटी में विजिटिंग प्रोफेसर भी हैं।
अब यह सामने आने लगा है कि ओमिक्रॉन काफी तेजी से फैल रहा है और कोरोना वायरस का सबसे प्रभावी वेरिएंट है। जॉर्ज इंस्टीट्यूट ऑफ ग्लोबल हेल्थ में सीनियर पब्लिक हेल्थ स्पेशलिस्ट ऊमेल जॉन कहते हैं कि, “इसका अर्थ है कि ओमिक्रॉन के फैलने की क्षमता कहीं अधिक है। अब यह भी साफ होने लगा है कि यह उन लोगों को भी संक्रमित कर सकता है जो वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं। यूरोप में ऐसे लोगों में यह अधिक फैल रहा है जिन्होंने वैक्सीन नहीं ली है।”
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इस वेरिएंट की पहचान सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में हुई थी। वहां यह वेरिएंट डेल्टा की जगह ले रहा है और केसों में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। यह भी सामने आया है कि ओमिक्रॉन वेरिएंट दोबारा भी लोगों को संक्रमित कर सकता है। जूलिएट पुलियम ऑफ स्टेलेनबॉश यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन से सामने आया है कि जो लोग पहली और दूसरी लहर के दौरान दक्षिण अफ्रीका में डेल्टा और बीटा वेरिएंट से संक्रमित हुए थे, उन्हें ओमिक्रॉन अपनी चपेट में ले रहा है।
इससे पहले हुए अध्ययन में सामने आया था कि ओमिक्रॉन वैक्सीन को भी बेअसर कर सकता है या नहीं. इसका पता नहीं लग सका है। और यह सवाल भी अनुत्तरित था कि क्या यह वेरिएंट इम्यूनिटी को कम करके गंभीर बीमारियों या फिर मौत का कारण बन सकता है।
ओमिक्रॉन से संक्रमित अस्पताल में भर्ती लोगों का डेटा बताता है कि ज्यादा उम्र के लोगों में इस वायरस के लक्षण एक जैसे नहीं हैं। लेकिन यह संकेत हैं कि जैसे जैसे अधिक लोग इससे संक्रमित होंगे इसकी प्रकृति बदल सकती है। दक्षिण अफ्रीका में जो लोग ओमिक्रॉन से संक्रमित हैं उनमें से सिर्फ 30 फीसदी ही गंभीर माने जा सकते हैं। इससे पहले डेल्टा लहर के दौरान 50 से 69 साल के 70 फीसदी लोग और 80 से ऊपर उम्र के 90 फीसदी लोग गंभीर रूप से बीमार हुए थे।
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इसके अलावा इससे होने वाली मृत्यु दर भी काफी कम है। बीते चार सप्ताह में इससे सिर्फ 2.6 फीसदी लोगों की मौत हुई है जबकि डेल्टा वेरिएंट से 22 फीसदी था मौत का आंकड़ा। डॉ शाहिद जमील बताते हैं कि कोरोना वायरस के किसी भी वेरिएंट के मुकाबले ओमिक्रॉन में सर्वाधिक म्यूटेशन है।
11 दिसंबर तक यूरोपीय सीडीसी ने ओमिक्रॉन सीक्वेंस के कुल 732 केसों की पुष्टि की थी। इनें से डेनमार्क में सर्वाधिक लोग संक्रमित थे। ब्रिटेन की हेल्थ सिक्यूरिटी एजेंसी ने कहा है कि ओमिक्रॉन से संक्रमित व्यक्ति तीन गुना ज्यादा खतरे में है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी 9 दिसंबर को कहा था कि ओमिक्रॉन वेरिएंट डेल्टा के मुकाबले कम गंभीर बीमारी दे रहा है, लेकिन अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी।
आने वाले दिनों में दुनिया को ओमिक्रॉन और इसके संक्रमण की गंभीरता के बारे में और अधिक जानकारी मिलने की संभावना है। एक अध्ययन से सामने आया है कि फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन का असर ओमिक्रॉन के मामले में सिर्फ 30 फीसदी है जबकि बाकी वेरिएंट में यह 87 फीसदी असरकारक थी।
ऊमेन जॉन का कहना है कि वैक्सीनेटेड लोगों को ओमिक्रॉन से बचाव का सिर्फ भ्रम है और उन्हें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। उनका कहना है कि, “माना जा रहा है कि विदेश यात्रा करने वाले लोगों में संक्रमण की संभावना अधिक है। हमें एहतियात तो बरती ही होगी।”
डॉ शाहिद जमील भी कहते हैं कि वैक्सनी ओमिक्रॉन के संक्रमण से तो नहीं बचा सकती, लेकिन गंभीर रूप से बीमार होने का खतरा कम रहता है। वायरोलॉजिस्ट बूस्टर डोज की भी बात करते हैं, लेकिन वैक्सीनेशन में तेजी तो अभी ही लानी होगी।
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