भारत-म्यांमार सीमा के पास नागालैंड के मोन जिले में गोलीबारी में 14 नागरिकों और एक सैनिक के मारे जाने की घटना पर कांग्रेस ने 4 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को नागालैंड भेजने का फैसला किया है। कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के अनुसार पार्टी के 4 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल में महासचिव भंवर जितेंद्र सिंह, नागालैंड के प्रभारी महासचिव अजॉय कुमार, सांसद गौरव गोगोई और एंटो एंटोनी शामिल हैं।
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इस मुद्दे पर कांग्रेस ने तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए सोमवार को संसद परिसर में एक बैठक भी की। जिसमें करीब 16 दलों की ओर से इस मुद्दे को उठाने पर सहमति बनी थी। इसके साथ ही राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सांसद मनोज झा और कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी, के सुरेश और गौरव गोगोई ने स्थगन प्रस्ताव का नोटिस भी दिया था।
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वहीं राज्यसभा में कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने इस मसले पर एक ईमानदार और खुली जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि यह दुखद और खेदजनक है। ऐसा कभी नहीं होना चाहिए था। लोकतंत्र में यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि सेना द्वारा आश्वासन के अनुसार उच्च स्तरीय जांच की जाएगी और सच्चाई सामने आएगी।
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दूसरी ओर इस मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह की ओर से लोकसभा में सोमवार को जवाब दिये जाने के बाद विपक्षी दलों ने इस पर असंतुष्टि जाहिर करते हुए वॉकआउट कर दिया था। जिसमें कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी), बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी), द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम (डीएमके), राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सदस्य शामिल रहे।
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गौरतलब है कि नागालैंड सरकार ने रविवार को मोन जिले में सुरक्षाबलों की कथित गोलीबारी में मारे गए 14 लोगों के परिवारों को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का ऐलान किया है। साथ ही सरकार ने घटना की जांच के लिए पुलिस महानिरीक्षक (आईजीपी) स्तर के एक अधिकारी की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की भी घोषणा की है।
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