बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को झटका लगा है। उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने जेडीयू छोड़ने की घोषणा कर दी है। उन्होंने कहा कि जिस गठबंधन में आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यदाव और जेडीयू छोड़ चुके शरद यादव रहेंगे उसी गठबंधन में मैं भी रहूंगा। पार्टी छोड़ने का कारण पूछे जाने पर चौधरी ने कहा कि मैंने 20 सालों तक, पहले समता पार्टी फिर जेडीयू को बनाने का काम किया, लेकिन जेडीयू के जो पुराने कार्यकर्ता हैं, उनके अरमानों को कुचलकर पार्टी में धन कुबेरों को प्राथमिकता दी जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा दलित आरक्षण के मुद्दे पर सरकार चुप है।
उदय नारायण ने कहा, “प्रमोशन में आरक्षण समाप्त कर दिया गया। नीजि क्षेत्रों से भी आरक्षण खत्म कर दिया गया। दलित छात्रों को मिलने वाली छात्रवृत्ति खत्म कर छात्र क्रेडिट कार्ड और लोन में बदल दिया गया।” उन्होंने आगे कहा, “दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ राज्य में अत्याचार बढ़ गए हैं। दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्ग के मुद्दों को एक-एक कर खत्म कर दिया गया। राज्य में अल्पसंख्यकों को धमकाया जा रहा है।”
Published: 02 May 2018, 3:57 PM IST
जेडूयी ने उदय नारायण के पार्टी छोड़ने के कदम की कड़ी निंदा की है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि उदय नारायण को हर समय कुर्सी चाहिए। उदय नारायण चौधरी के दलित मुद्दे के कारण पार्टी छोड़ने के सवाल पर संजय सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “जब उदय नारायण विधानसभा अध्यक्ष थे, तब उन्हें दलित मुद्दे याद नहीं थे। आज कुर्सी चली गई तो उन्हें दलित मुद्दा याद आ रहा है।”
जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा, “उदय नारायण चौधरी को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 10 साल तक विधानसभा अध्यक्ष बनाया। महादलित समुदाय के सशक्तिकरण का इससे बड़ा उदाहरण नहीं मिल सकता।” जेडीयू प्रवक्ता ने चौधरी पर कड़ा प्रहार करते हुए कहा कि चुनाव हारने के बाद कुर्सी चली गई, लेकिन राजनैतिक तौर पर जो बड़े नेता हो जाते हैं वह पेंशन पर नहीं वेतन पर रहना चाहते हैं।
उदय नारायण चौधरी के जेडीयू छोड़ने को महागठबंधन के घटक दलों ने सराहनीय कदम बताया है। आरजेडी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने उदय नारायण चौधरी के जेडीयू छोड़ने के फैसले का स्वागत किया। शिवानंद तिवारी ने कहा, “उदय नारायण चौधरी लंबे समय तक जेडीयू के साथ रहे हैं। जेडीयू के संबंध में उनके आंकलन को दूसरों की अपेक्षा ज्यादा विश्वसनीय माना जाएगा।” उन्होंने कहा कि चौधरी के जेडीयू छोड़ने का फैसला बिल्कुल सही है, उनके वहां रहने का कोई औचित्य नहीं था।
बिहार प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी अध्यक्ष कौकब कादरी ने कहा कि जीतन राम मांझी की तरह उदय नारायण चौधरी भी लंबे समय से जेडीयू में घुटन महसूस कर रहे थे। चौधरी के पार्टी छोड़ने के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कादरी ने कहा कि जिस तरह से दलितों, अल्पसंख्यकों और पिछड़ों के खिलाफ राज्य में अत्याचार के मामले बढ़े हैं, उससे साफ है कि चौधरी जैसे नेता जेडीयू में असमंजस की स्थिति में थे। कादरी ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास के नाम पर बीजेपी के साथ गए थे, लेकिन वहां उनकी भी स्थिति बद से बदतर हो गई है।
हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ. दानिश रिजवान ने भी उदय नारायण चौधरी के जेडीयू छोड़ने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा, “जो दलित हित की बात करता है, वह बीजेपी और जेडीयू के साथ नहीं रह सकता। और भी कई नेता हैं जो पार्टी से नाराज हैं, सभी हमारे संपर्क में हैं। जल्दी ही वे सब भी जेडीयू को अलविदा कहेंगे।
Published: 02 May 2018, 3:57 PM IST
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Published: 02 May 2018, 3:57 PM IST